जब से हम जन्म लेते हैं शरीर को शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति के दो प्रमुख स्रोत
हैं -
१. नींद २.भोजन
नींद तो अनिवार्यतः सब को लेनी ही पड़ती है। एक दो दिन भी कम
हो गई तो शरीर हाथ के हाथ उसको पूरा करने को मजबूर होता है।
भोजन हम दो कारणों से करते हैं - १. शक्ति के लिये २. स्वाद के लिये
आरम्भ से ही शक्ति और स्वाद में कुश्ती चलती है और देखा
यह गया है कि इस कुश्ती में स्वाद जीतता है और शक्ति पीछे रह
जाती है। कई चीजें तो हम -केवल इसीलिये खा- पी लेते हैं कि वे
स्वादिष्ट लगती हैं चाहे उनमें शक्ति है या नहीं या चाहे वे
अंततः नुकसान ही करें।
कहने को तो कहते हैं कि ‘‘हम जीने के लिये खाते हैं’’ पर वस्तुतः यह पाया जाता है कि
‘‘हम खाने के लिये जीते हैं’’।
हम खाना पका कर क्यों खाते हैं?
यों तो हम कहते हैं कि खाने की वस्तुओं में कई कीड़े इत्यादि
रहते हैं अतः हम पकाकर खाते हैं, पर मुख्यतः स्वाद के लिए ही
पकाकर खाते हैं। यद्यपि हम जानते हैं कि पकाने से भोजन की पौष्टिक निश्चित रूप से कम हो जाती है, फिर भी स्वाद व सुविधा के लिए हम पका कर ही खाना खाते हैं।हमें क्या- क्या खाना चाहिये ?
१.कार्बोहाईड्रेट- अनाज -जैसे गेंहू, चावल, जौ, ५०- ६० प्रतिशत
बाजरा, ज्वार, मकई इत्यादि
२.प्रोटीन - दाल,मूगफली,सोयाबीन,दूध आदि १५- २० प्रतिशत
३.चर्बी - तेल, घी, अथवा वे पदार्थ जिनसे ८- १० प्रतिशत
तेल निकलता है जैसे मूंगफली,
नारियल, तिल, सरसों इत्यादि-
४.खनिज लवण साग- सब्जी एवं फल शेष उचित मात्रा में
५. विटामिन संतुलित भोजन