(1) हवन के उपयुक्त समिधाएं—आम, पीपल, गूलर, ढाक, बरगद, छोंकर।
(2) हवन के उपयुक्त हविष्यान्न—जौ 1 भाग, चावल 2 भाग, तिल 3 भाग, शकर 4 भाग।
(3) हवन सामग्री—चन्दन, अगर, तगर, गूगल, जायफल, जावित्री, दालचीनी, तालीस पत्र, लौंग, बड़ी इलायची, इन्द्र जौ, कपूर, कचरी, आंवला, बालछड़, नागकेशर, गिलोय, पटोल पत्र, पवार के बीज, मुलहठी, जावित्री, लाल चन्दन, तालमखाना, मोचरस, केशर, असगन्ध, शीतलचीनी, जायफल, चिरायता, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, पुष्करमूल, मजीठ, धाय के फूल, खस, गोखरू, शतावर, देवदारू, छारछवीला।
(4) हवन के उपयुक्त मेवा—मुनक्का, बादाम, गोला, किशमिश, छुहारा, पिस्ता, अखरोट।
(5) हवन के आवश्यक पात्र—प्रणीता, प्रोक्षणी, स्रुवा, स्रचि और स्फय।
यह पुस्तिका हमारे ‘‘गायत्री यज्ञ विधान’’ ग्रन्थ से संक्षिप्त रूप से संग्रह की गई है। जिन्हें इस सम्बन्ध में विशेष जानना हो, वे उपरोक्त ग्रन्थ को पढ़ें या मथुरा आकर यज्ञ-विद्या की क्रियात्मक शिक्षा प्राप्त करें।
—श्रीराम शर्मा आचार्य