अतीन्द्रिय सामर्थ्य संयोग नहीं तथ्य

पूर्वाभास एवं भविष्य कथन—कितना सही, कितना तर्क सम्मत?

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क्या मनुष्य वही देखता है, जो सामने परिलक्षित होता है। साधारण स्थिति में तो ऐसा ही होता देखा जाता है। नाक के ऊपर लगे हुए दो नेत्र गोलक केवल सामने की दिशा में और कुछ दांये-बायें एक नियत आकार-प्रकार—डायमेन्शन तक वस्तुएं देख सकते हैं। इसे फील्ड ऑफ विजन कहते हैं। सूक्ष्मदर्शी व दूरदर्शी यन्त्रों की मदद से इच्छानुसार वस्तुओं के आकार-प्रकार को बड़ा देखा जा सकता है चाहे वे समीपस्थ हों अथवा दूरस्थ। किन्तु यह दृश्य वर्तमान काल के ही हो सकते हैं, भूत या भविष्य के नहीं। टेलीविजन, फोटोग्राफी, चित्रों के माध्यम से भूतकाल की जानकारी हो सकती है। इतने भर से मनुष्य को सन्तुष्ट होना पड़ा है।

क्या भविष्य को प्रत्यक्ष आंखों के समक्ष देखा जा सकता है। प्रश्न उठ सकता है कि भविष्य का पूर्व निर्धारित रूप कैसे देखा जा सकता है। यदि भविष्य निश्चित है तो कर्म पुरुषार्थ की क्या आवश्यकता? अतः बुद्धि की अटकल, कम्प्यूटर सब कुछ के बावजूद भविष्य कथन की बात गले नहीं उतरती। बुद्धिवाद का युग है तो यह चिन्तन स्वाभाविक भी है।

किन्तु पूर्वाभास एवं भविष्य-कथन के अनेकों ऐसे घटनाक्रम दैनंदिन जीवन में प्रकाश में आते हैं, जिनका विज्ञान के पास कोई उत्तर नहीं। वे कालान्तर में सही भी होते पाये गये हैं। ऐसी एक नहीं, अनेकों घटनाएं हैं जिनमें सामान्य अथवा असामान्य व्यक्तियों में यह क्षमता अकस्मात उभरी या विकसित की गई एवं समय की कसौटी पर वे खरे उतरे।

प्रयत्नपूर्वक आत्मबल को बढ़ाना और सिद्धियों के क्षेत्र में प्रवेश करना यह एक तर्क और विज्ञान सम्मत प्रक्रिया है किन्तु कभी-कभी ऐसा भी देखने में आता है कि कितने ही व्यक्तियों में इस प्रकार की विशेषताएं अनायास ही प्रकट हो जाती हैं। उन्होंने कुछ भी साधन या प्रयत्न नहीं किया तो भी उनमें ऐसी क्षमताएं उभरीं जो अन्य व्यक्तियों में नहीं पाई जातीं। असामान्य को ही चमत्कार कहते हैं। अस्तु ऐसे व्यक्तियों को चमत्कारी माना गया। होता यह है कि किन्हीं व्यक्तियों के पास पूर्व संचित ऐसे संस्कार होते हैं जो परिस्थितिवश अनायास ही उभर आते हैं। वर्षा के दिनों अनायास ही कितनेक पौधे उपज पड़ते हैं, वस्तुतः उनके बीज जमीन में पहले से ही दबे होते हैं। यही बात उन व्यक्तियों के बारे में कही जा सकती है जो बिना किसी प्रकार की अध्यात्म साधनाएं किये ही अपनी अलौकिक क्षमताओं का परिचय देते हैं।

भविष्य दर्शन की विशेषता को अतीन्द्रिय क्षमता के अन्तर्गत ही गिना जाता है। इस विशेषता के कारण संसार भर में जिन लोगों ने विशेष ख्याति प्राप्त की है उनमें एण्डरसन, सेमबैन्जोन, पीटर हरकौस, फ्लोरेन्स फादर पियो आदि के नाम पिछले दिनों पत्र-पत्रिकाओं के पृष्ठों पर छाये रहे हैं।

पूर्वाभास में भविष्य-कथन के जो सही उदाहरण सामने आते रहते हैं उनका कारण क्या हो सकता है? उसका तथ्य संगत उत्तर एक ही हो सकता अध्यात्म स्तर की विशेषता। दिव्य दृष्टि। वह अदृश्य जगत की हाण्डी में पकती हुई भावी सम्भावनाओं का स्वरूप और समय जान सकता है। कर्म का प्रतिफल, समय साध्य है। इस मध्यवर्ती अवधि में यह पता चलाना कठिन पड़ता है कि किस कृत्य की परिणति कितने समय में किस प्रकार किस स्थान में होगी। इतने पर भी उसका स्वरूप बहुत कुछ इस स्थिति में होता है कि कोई दिव्य दर्शी उसका पूर्वाभास प्राप्त कर सके। यह सम्भावना है भी या नहीं, इस सन्दर्भ में कितनी ही महत्वपूर्ण साक्षियां समय-समय पर सामने आती रहती हैं।

प्रथम विश्वयुद्ध के दिन, पहली नवम्बर—आठ वर्षीय एण्डरसन घर की बैठक में खेल रहा था। सहसा वह रुका। मां के पास पहुंचा और उसका हाथ पकड़ उसे बैठक में ले गया, जहां उसके भाई नेल्सन की फोटो लगी थी। नेल्सन कनाडा की सेना में कप्तान था और मोर्चे पर था। एण्डरसन ने भाई की फोटो की ओर संकेत करते हुए मां से कहा—‘‘मां, देखो तो, भैया के चेहरे पर बन्दूक की गोली लग गई है और वे जमीन पर गिरकर मर गये हैं।’’

‘‘चुप मूर्ख! ऐसी अशुभ बात तेरे दिमाग में कहां से आई? अब कभी ऐसे कुछ न बोलना, न ऐसा सोचा करो।’’ मां ने झिड़का। पर एण्डरसन तो अपनी बात पर जिद-सी करने लगा। इस घटना के दो-तीन दिन बाद जब तार आया कि—‘‘1 नवम्बर 1918 को गोली लगने के कारण नेल्सन की मृत्यु हो गई है।’’ तो पूरा परिवार शोक में डूब गया। पर एण्डरसन की बातें याद कर वे सब विस्मय से भी भर उठे।

इसके बाद तो मुहल्ले-पड़ौस में उसने कई बार ऐसी भविष्य सम्बन्धी बातें बतायीं कि लोग उसे सिद्ध भविष्यवक्ता मानने लगे। घर वालों ने उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे शीघ्र ही एक खान की नौकरी में लगा दिया। पर थोड़े ही दिनों में एण्डरसन ने यह कहते हुए इस नौकरी को छोड़ दिया कि—‘‘मैं उन्मुक्त आत्मा हूं। योग के संस्कार मुझ में हैं। निरन्तर आत्म-परिष्कार ही मेरा लक्ष्य है। भौतिक परिस्थितियों से पैसे रुपयों के लोभ से मैं बंधा नहीं रह सकता।’’

इसके बाद एण्डरसन व्यापारी जहाजों द्वारा विश्व-भ्रमण के लिए निकल पड़ा। इसी बीच उसने अपने शरीर का व्यायाम, योगाभ्यास, संयम और परिश्रम द्वारा विकास कर अतुलित बल अर्जित किया। लोहे की छड़ कन्धे पर रखकर उसमें 15-20 व्यक्तियों तक को लटकाकर चल फिर लेना, कार उठा लेना, शक्तिशाली गतिशील मोटर को हाथ से रोक देना, उन्मत्त और क्रुद्ध सांडों को पछाड़ देना आदि के करतब उसके लिए मामूली बात हो गई। उसने इनके सफल प्रदर्शन किये और ख्याति पाई।

लोग कहने लगे कि यह कोई पूर्व जन्म का योगी है। पूर्वजन्म में किये गये योगाभ्यास का प्रभाव और प्रकाश इसमें अब भी शेष है। 70 वर्ष से अधिक की आयु में भी एण्डरसन लोहे की नाल दोनों हाथ से पकड़कर सीधी कर देते हैं। शारीरिक शक्ति के साथ ही उन्होंने अतीन्द्रिय सामर्थ्य भी विकसित की और वे जीन डिक्सन, कीरो तथा टेनीसन से भी अधिक सफल भविष्यवक्ता माने जाते हैं। एण्डरसन भारत आकर योग एवं ज्योतिष सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। यद्यपि उनकी यह आकांक्षा परिस्थितियोंवश पूर्ण नहीं हो सकी है।

इंगलैण्ड में ही सैमवैजोन नामक एक व्यक्ति हुआ है। उसे बाल्यावस्था से ही पूर्वाभास की शक्ति प्राप्त थी। सात वर्ष का था, तभी उसे यह पूर्वाभास हुआ कि बाहर गये पिताजी एक ट्राम से घर आ रहे हैं और वह ट्राम दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से वे घायल हो गये हैं। मां को वैजोन ने बताया तो मिली झिड़की। पर जब कुछ समय बाद आहत पिताजी घर आये और उन्होंने बताया कि ट्राम दुर्घटना से ही वे आहत हुए हैं तो दुःखी मां विस्मित भी हो उठी।

बाल्यावस्था में ही सैमवैजोन ने अनेकों बार पूर्वाभास की अपनी शक्ति का परिचय दिया। उसके घर में क्रिसमस पर प्रीतिभोज दिया गया। मित्रों, पड़ौसियों, परिजनों ने उपहार दिये। सबके जाने के बाद मां ने सैमवैजोन से उपहार का एक डिब्बा दिखाकर पूछा—‘‘तू बड़ा भविष्यदर्शी बनता है, बता इस डिब्बे में क्या है?’’ डिब्बा जैसा आया था, वैसा ही बन्द था। सैम ने वे सारी वस्तुएं गिन-गिनकर बता दीं जो उस डिब्बे में बन्द थीं।

बिना किसी ‘लेन्स’ या यन्त्र के डिब्बे के भीतर की वस्तु का यह ज्ञान इस तथ्य का द्योतक है कि विचारों और भावनाओं की दिव्य तथा सूक्ष्म शक्ति द्वारा बिना किसी माध्यम के गहन अन्तराल में छिपी वस्तुओं को भी देखा-जाना जा सकता है।

अपने एक परिचित पेन्टर के बारे में एक दिन आफिस में बैठे वैन्जोन ने सहसा चल-चित्रवत् दृश्य देखा कि वह एक दीवार की पेंटिंग करते समय सीढ़ियों से लुढ़ककर गिर पड़ा है। तीन दिन के भीतर ही यह दुर्घटना इसी रूप में हुई और मोहल्ले के एक मकान की दीवार की रंगाई के समय सीढ़ी से फिसलकर गिरने से उक्त पेंटर की मृत्यु हो गई। वैन्जोन का पूर्वाभास सत्य सिद्ध हुआ।

प्रख्यात भविष्यवक्ता पीटर हरकौस की विलक्षण अतीन्द्रिय शक्ति विश्व प्रसिद्ध है। वह घटनास्थल की किसी भी वस्तु को छूता और उसे उस स्थान से सम्बन्धित अतीत में घटी, वर्तमान में घट रही तथा भविष्य में घटित होने वाली घटनाएं स्पष्ट दिखने लगतीं।

पेरिस में कई शीर्षस्थ अधिकारियों की उपस्थिति में हरकौस का आह्वान किया गया कि वह अपनी अतीन्द्रिय सामर्थ्य का प्रदर्शन करें। पीटर हरकौस को कंघा, कैंची, घड़ी, लाइटर और बटुआ देकर कहा गया कि आप इनके आधार पर एक मामले का पता लगायें। पीटर ने पांचों को छुआ और ध्यानमग्न हो गया। उसने दो वस्तुओं को अनावश्यक कहकर लौटा दिया। फिर बटुए को हाथ में थामकर खोया हुआ-सा बोलने लगा—‘‘एक गंजा आदमी है। वह सफेद कोट पहने है। एक पहाड़ी के पास छोटे से मकान में वह रहता है, जिसके बगल से रेलवे लाइन गुजरती है। मकान से कुछ दूर एक गोदाम है। दोनों स्थानों के बीच एक शव पड़ा है। यह हत्या का मामला है। यह हत्या किसी निकोला नामक व्यक्ति द्वारा उसे जहर मिला दूध पिलाकर की गई है। लगता है यह सफेद कोटधारी गंजा ही निकोला है—जो इन दिनों जेल में है और वह शव एक महिला का है। निकोला भी मर गया है।

पीटर हरकौस की सभी बातें तो सही थी। पर जेल में बन्द निकोला जीवित था। तभी अधिकारियों को समाचार दिया गया कि दो घण्टे पहले निकोला ने आत्म हत्या कर ली है।

सन् 1950 में जब प्रसिद्ध संग्रहालय वेस्टमिनिस्टर एवी से ‘स्कोन’ नामक हीरा चोरी हो गया, तो पूरे ब्रिटेन में तहलका मच गया। गुप्तचरों और पुलिस की दौड़-धूप व्यर्थ गई। चोरी का सुराग तक नहीं मिला। तब पीटर हरकौस की सहायता ली गई। हरकौस लन्दन पहुंचा। एवे के दरवाजे की एक लोहे की चादर का टुकड़ा अपने हाथ में लेकर पीटर बताने लगा—पांच लड़कों ने ‘स्कोन’ को चुराया है और कार द्वारा ग्लासगो ले गये हैं। हीरा एक महीने में मिल जायेगा। ‘‘चोरों के भागने का रास्ता भी हरकौस ने नक्शे में बता दिया। अन्त में एक माह में हीरा मिला और हरकौस की हर बात सत्य निकली।

एम्सटरडम में एक बार एक फौजी कप्तान का लड़का समुद्र में गिर गया। शव मिल नहीं रहा था। पीटर हरकौस ने अपनी अन्तः दृष्टि से शव को तलाशने का स्थान बताया। वह मिल गया।

वेल्जियम के जार्ज कार्नेलिस के हत्यारों का पता भी हरकौस ने ही लगाया था। अमेरिकी डा. अन्डिया पूरिया के आमन्त्रण पर पीटर अमरीका गये। वहां उन पर कई प्रयोग किये गये।

पीटर हरकौस ने स्वयं ही ‘‘साइक’’ नाम से अपना संस्मरण संग्रह लिखा व प्रकाशित कराया है; जो उसकी अतीन्द्रिय शक्तियों पर प्रकाश डालता है।

पूर्वाभास की यह क्षमता कई व्यक्तियों में असाधारण तौर पर विकसित होती है। द्वितीय महायुद्ध में ऐसे लोगों का दोनों पक्षों ने उपयोग किया था। हिटलर के परामर्श मण्डल में पांच ऐसे ही दिव्यदर्शी भी थे। उनका नेतृत्व करते थे—विलियम क्राफ्ट।

इसी मण्डली के एक सदस्य श्री डी. व्होल ने तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मन्त्री लार्ड हेली फिक्स को सर्वप्रथम एक भोज में अनुरोध किये जाने पर हिटलर की योजनाओं का पूर्वाभास दिया। वे सच निकलीं और श्री व्होल को फौज में कैप्टन का पद दिया गया। श्री डी. व्होल हिटलर की अनेक योजनाओं की जानकारी अपनी दिव्य दृष्टि से दे देते। ब्रिटेन तद्नुसार रणनीति बनाता। फौजी अफसरों को जिम्मेदारियां सौंपते समय भी उनके भविष्य-बावत श्री डी. व्होल से सलाह ली जाती। उन्हीं के परामर्श पर माउण्ट गुमरी को फील्ड मार्शल बनाया गया। उनकी सफलताएं सर्वविदित हैं। जापानी जहाजी बेड़े को नष्ट करने की योजना भी श्री व्होल की सलाह से बनी थी। महायुद्ध की समाप्ति के बाद श्री व्होल ने ब्रिटिश शासक को परामर्श देने का कार्य छोड़ दिया था और धार्मिक लेखन का अपना पुराना काम करने लगे थे।

न्यूजर्सी नगर की रहने वाली फ्लोरेन्स से उसके साथी नेबेल ने एक बार कहा कि ‘‘आप सबके बारे में भविष्य बताती ही रहती हैं। मेरे बारे में भी कुछ बताइये।’’ नेबेल प्रसारण-सेवा का कर्मचारी था। उसने माइक फ्लोरेन्स की ओर बढ़ाया तो फ्लोरेन्स ने उसे दाहिने हाथ में थाम लिया। 15-20 सैकिण्ड तक वह शान्त रही। फिर बोली—‘‘आप शीघ्र ही दूसरे राज्य का प्रसारण करेंगे।’’

नेबेल हंस पड़ा। उन्होंने कहा कि ‘‘आपसे मैं यह एक अच्छा मजाक कर बैठा। अब अगर हमारे इस कार्यक्रम को हमारी कम्पनी के किसी संचालक ने सुना होगा, तो दूसरे राज्य में जब जाऊंगा तब, यहां से अवश्य मेरा कार्यकाल समाप्त समझिये।

कुछ मिनटों बाद कन्ट्रोलरूम में फोन घनघना उठा। वह नेबेल के लिए ही फोन था। कम्पनी के जनरल मैनेजर ने उसे बताया कि शीघ्र ही न्यूयार्क से एक कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। वहां तुम्हें ही भेजने का निर्णय लिया गया है। किन्तु यह घोषणा कल होगी। अभी इसे गुप्त ही रखना है। फ्लोरेन्स ने जो कुछ बताया है वह है तो सच, पर उसे यह बात कैसे ज्ञात हुई? यही आश्चर्य का विषय है।’’ नेबेल फलोरेन्स से यह भी नहीं कह पा रहा था कि आपकी भविष्यवाणी सच है।

फ्लोरेन्स ने अपनी पराशक्ति के बल पर खोये हुए व्यक्तियों, वस्तुओं और हत्या के मामलों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्बद्ध व्यक्तियों तथा पुलिस को आवश्यक जानकारी देकर मदद की।

जुलाई 1964 में ही अमरीका में बाल्टीमोर शहर की एक ग्यारह वर्षीया बच्ची घर से सहसा गायब हो गई। जिसका कुछ पता पुलिस नहीं लगा पा रही थी। वहां के अखबार ‘न्यूज अमेरिकन’ ने अपने संवाददाता को फ्लोरेन्स के पास भेजा। फ्लोरेन्स ने बताया कि उस बालिका के पड़ौस के घर के तहखाने में कुछ दिखाई दे रहा है, उसे देखा जाये।

इसके दो दिन बाद पुलिस अधिकारी जब लड़की की डायरी लेकर फलोरेन्स के पास पहुंचे तो उसे हाथ में लेने के पास फ्लोरेन्स ने निश्चित रूप से यह घोषणा कर दी कि इस बालिका की हत्या की जा चुकी है और लाश पड़ौस के घर में तहखाने में दफन है। खोज करने पर लड़की का शव वहीं मिला।

एक बार एक लड़की कह हत्या के प्रकरण में पुलिस जब कोई सुराग न पा सकी, तो शव के पास पड़ा एक सिक्का लेकर फ्लोरेन्स के पास पुलिस अधिकारी पहुंचा। उस सिक्के को हाथ में लेकर फ्लोरेन्स ने बताया कि यह आखिरी बार जिस व्यक्ति के हाथ में था—वह साढ़े पांच फुट लम्बा है, 160 पौण्ड वजन वाला है तथा जिस इमारत में यह शव प्राप्त हुआ है, उसके पास वाले मदिरालय में आता-जाता रहता है। पुलिस ने इस आधार पर खोज की और शीघ्र ही अपराधी को पकड़ लिया। रूमाल, पुस्तक, डायरी पेन, अंगूठी आदि कोई भी वस्तु छूकर वह सम्बद्ध व्यक्ति के बारे में बता सकती थी। पर फ्लोरेन्स ने अनुभव किया कि ऐसे प्रत्येक परा-दर्शन के बाद, जिसमें यह प्रयत्नपूर्वक अपनी शक्ति खर्च करती है, उसे अपनी अतीन्द्रिय शक्ति में कुछ ह्रास-सा अनुभव में आता है।

शीघ्र ही उसने अपने को सीमित कर लिया। अपनी शक्ति का प्रदर्शन तो फ्लोरेन्स ने पूरी तरह बन्द कर ही दिया, वह लोगों को जानकारियां अब नहीं देती। अत्यावश्यक एवं विषम परिस्थितियों में ही वह लोगों को जानकारी देती। उसने ध्यान-उपासना एवं स्वाध्याय में अधिक समय लगाना प्रारम्भ कर दिया। न्यूजर्सी के अपने मकान को उसने साधना केन्द्र ही बना डाला। कुछ वर्षों बाद उसने लिखने का क्रम प्रारम्भ किया। उसकी पुस्तकें बाजार में तेजी से बिकने लगीं। इसमें से ‘गोल्डन लाइट आफ ए न्यू एरा’ तथा ‘फाल आफ द सेन्सेशनल कल्चर’ अधिक प्रसिद्ध हुयीं। मनोचिकित्सक एवं सम्मोहन कला विशारद डा. मोरे वर्सटीन से उसकी मैत्री विकसित हुई। वह समाज सेवा के कार्यों में अधिकाधिक रुचि लेने लगी।

जब इटली के पादरी, सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ता फादर पियो ने पत्रकारों के पूछने पर भविष्य कथन व्यक्त किया तो प्रतिवाद में वे बोले ‘‘पूंजीवाद तथा साम्यवाद एक कमरे में कैसे रह सकते हैं? इटली में वह शक्ति कहां जो वह विश्वयुद्ध में भाग ले? मुसोलिनी का उदय एक अपराजेय शक्ति के रूप में हुआ है। उसका पतन असम्भव है? विश्व संस्था का निर्माण एक असंगत कल्पना है जिसकी स्थापना कभी भी सम्भव नहीं।’’

इस प्रतिवाद के प्रत्युत्तर में फादर पियो का उत्तर था—‘‘द्वितीय विश्वयुद्ध की अनेक विचित्रताओं में अमेरिका और रूस दोनों का एक साथ मित्र सेना के रूप में युद्ध में भाग लेना भी सम्मिलित है। इस युद्ध में इटली को भी भाग लेना पड़ेगा और भाग ही नहीं, युद्ध-समाप्ति की पहल भी वही करेगा। तब तक मुसोलिनी का पतन हो चुका होगा और एक बार इटली को भयंकर मुद्रास्फीति, महंगाई तथा देश-व्यापी संकटों का सामना करना पड़ेगा। इस विश्वयुद्ध का आखिरी चरण इतना भयंकर होगा कि दुनिया के सभी शीर्ष राजनीतिज्ञ यह सोचने को विवश होंगे कि युद्ध, समस्याओं का अन्तिम हल नहीं है। वार्ताओं से भी समस्यायें सुलझाई जा सकती हैं, इस भावना से प्रेरित एक विश्व संस्था का निर्माण होगा किन्तु उसमें राजनैतिक अखाड़ेबाजी के अतिरिक्त होगा और कुछ भी नहीं। यह एक सुनिश्चित संभावना है व इसे टाला नहीं जा सकता।’’

ऊपर जिस पत्रकार ने फादर पियो से इन भविष्यवाणियों की सम्भावनाओं पर आशंका व्यक्त की थी तब तक अधिक ख्याति प्राप्त न होने के कारण बहुत अधिक लोगों को तो विवाद का अवसर नहीं मिला किन्तु जब उसी पत्रकार द्वारा सर्वप्रथम प्रकाशित फादर पियो की भविष्यवाणियां एक-एक कर सच होती गयीं तो एकाएक उनके नाम की इटली में धूम मच गई। इटली के गिरजाघर में पादरी श्री पियो अत्यन्त विनम्र स्वभाव, मधुर वाणी, ऊंचा शरीर, स्वस्थ और गौर वर्ण और विनोद प्रिय स्वभाव के हैं। परमात्मा पर उनकी अनन्य आस्था है। अपनी निश्चिंतता का आधार भी वह इसी आस्था को मानते हैं उनका कहना है कि जब परमात्मा को अपनी हर सन्तान के हित की चिन्ता आप है तो मनुष्य व्यर्थ की कल्पनाओं में क्यों डूब मरे?

उन दिनों अमेरिका में प्रेसीडेन्ट निक्सन चुनाव लड़ रहे थे। इटली में भी उनके पक्ष-विपक्ष की बातें चलती रहती थी। एक दिन यह प्रसंग फादर पियो के समक्ष भी उठा तो उन्होंने कहा—‘‘शक नहीं निक्सन अब तक के सब अमेरिकी शासनाध्यक्षों की अपेक्षा अधिक बहुमत से विजयी होंगे, किन्तु जिस तरह उफान आग को बुझा देता है और स्वयं भी तली में चला जाता है उसी प्रकार निक्सन महोदय उतने ही बदनाम राष्ट्रपति होंगे और उन्हें बीच में ही गद्दी छोड़ने तथा जन-सत्ता के अधिकारों के हनन का अपयश भोगना पड़ेगा।

उस समय कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इतने शक्तिशाली प्रेसीडेन्ट निक्सन को वाटर गेट कांड ले डूबेगा और उस कारण उन्हें महाभियोग तक का सामना करना पड़ेगा; पर इतिहास ने यह सब कुछ कर दिखाया।

फादर ‘पियो की तरह ही’ उत्तर पूर्वी कनाडा के हायलैंड प्रदेश की निवासिनी माल्वा डी भी अपनी सही भविष्यवाणियों के लिए विख्यात रही हैं। उन्हें अनायास ही वह शक्ति प्राप्त हो गई जिससे वह लोगों के फोटो या हाथ की लिखावट देखकर उसके सुदूर भविष्य को जान लेती हैं। इन भविष्यवाणियों के द्वारा न केवल उन्होंने अनेक लोगों को उनके खोये बच्चों से मिलाया, आजीविका के रास्ते बताये अपितु सैकड़ों लोगों की आकस्मिक घटनाओं से भी रक्षा की। ऐसे व्यक्तियों में स्वयं उनके पति भी थे जो उनसे परामर्श लिए बिना कभी भी कोई काम नहीं करते थे।

उनकी भविष्यवाणियों में कैनेडी की राष्ट्रपति चुनाव में विजय तथा उनकी मृत्यु की पूर्व घोषणा का अत्यधिक महत्व रहा। उन्होंने सन् 1961 में यह भविष्यवाणी कर दी थी कि 22 नवम्बर 1963 को राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या कर दी जायेगी। घोषणा को लिखकर उन्होंने एक लिफाफे में बन्द कराकर उसे सरकारी प्रामाणिकता में रजिस्ट्री कराई। पीछे जब उनकी हत्या के दिन उसे खोला गया तो लोग आश्चर्यचकित रह गये कि वह वही तिथि थी जो माल्वा डी के पूर्व रजिस्ट्री कराये लिफाफे में थी।

इस चर्चा का एक रोचक अध्याय यह था कि उसी दिन उन्होंने वह घोषणा करा दी कि 3 अगस्त 1964 को चर्चिल की मृत्यु हो जायेगी तथा जून को कनाडा में एक ऐसी जबर्दस्त विमान दुर्घटना होगी जिसमें एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचेगा। ‘‘पूर्व कथन से प्रभावित होने के कारण इस बार तो उनकी घोषणाओं को विधिवत् टेलीविजन में भी दिखाया गया। जिस दिन उनका यह कार्यक्रम प्रसारित हो रहा था उस दिन एक भी टी.वी. सेट बन्द नहीं था। लोग भारी संख्या में पहले से ही टी.वी. सेट घेर कर खड़े हो गये थे। यह दोनों भविष्य वाणियां अखबारों में भी प्रकाशित हुयीं और जब निश्चित तिथियों सहित वे पूर्ण सच निकलीं तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली।

प्रसुप्त क्षमता के परिचायक ये विलक्षण घटनाक्रम—

पूर्वाभास एवं भविष्य कथन दो दीखने में एक सी होते हुए भी भिन्न विधाएं हैं। भविष्य कथन की सामर्थ्य कुछ में जन्मजात रूप से होती है कुछ इसे प्रयत्न पूर्वक विकसित कर लेते हैं। वे मानवजाति के भविष्य, मनीषियों-नेताओं के संबंध में बिना उन्हें देखे भविष्य बताने की क्षमता रखते हैं। घटनाओं को वे भविष्य के गर्भ में पकने पूर्व में ही देख लेते हैं। नोस्ट्राडेमस, जीन डिक्सन, प्रो. हरार कीरो, जान सैवेज, एण्डरसन आदि इसी प्रकार के भविष्य वक्ता रहे हैं। पूर्वाभास अनायास ही कभी कभी किन्हीं को भी हो सकता है। यह संबंधित व्यक्ति की आत्मीयता-घनिष्ठता पर भी निर्भर करता है एवं किसी व्यक्ति के अन्दर जागी हुई क्षमता के आधार पर ध्यान लगाने पर व्यक्तियों व घटनाओं के संबंध में हो सकता है। है यह सब प्रकृति के नियम के अनुकूल ही। समष्टि में क्या कुछ हो रहा है, होने वाला है, यह जान सकना सबके वश की बात है। योग साधना का अवलम्बन लेकर हर कोई इसे अपने अंदर विकसित कर सकता है।

अनेकों भविष्य कथन कहे जाने वाले ऐसे हैं जो प्रसिद्ध तो नहीं हुए, पर उनके सभी कथन सही निकले। जोर्डन के भविष्य वक्ता शेख अब्दुलरजा ने एक बार भविष्यवाणी की थी कि जोर्डन के शासक अब्दुल्ला का कत्ल होगा। बताये हुए समय सन् 1951 में वह घटना उसी रूप में घटित हुई। भविष्यवक्ता की शक्ति की जहां सराहना हुई वहां उन पर षड़यन्त्र में सम्मिलित होने का लांछन भी लगाया गया। खिन्न होकर उनने 1 वर्ष का मौन धारण कर लिया और फिर लाख कहने पर भी इतने दिन तक किसी से नहीं बोले।

थाईलैण्ड के राजा फ्याकांग ने अपना प्रथम पुत्र जन्मते ही यह भविष्यवाणी की थी कि बड़ा होने पर पुत्र ही उसकी हत्या करेगा। दरबारियों ने उसकी आशंका का समर्थन नहीं किया। बालक लाड़-चाव में पलता रहा। युवा होने पर उसने बाप को गद्दी से उतारकर स्वयं सिंहासनारूढ़ होने के लोभ में उसकी हत्या कर ही दी। जिन्हें स्मरण था उनने चर्चा की कि राजा यह भविष्यवाणी तीस वर्ष पूर्व ही कर चुका था।

स्काटलैण्ड के राजा अलेक्जेण्डर तृतीय को किसी भविष्यवक्ता ने बताया कि उसकी मृत्यु घुड़सवारी के समय घोड़ा बिदकने से होगी उसने इस सम्भावना का अनुमान वर्तमान घोड़े से लगाया और उसे मरवा दिया। कुछ दिन बाद दूसरे घोड़े पर वह बाहर जा रहा था कि रास्ते में एक अजूबा देखकर घोड़ा ऐसा बिदका कि उछलकर पास के खड्ड में जा गिरा। राजा और घोड़ा दोनों ही मर गये।

स्पेन की सर्वश्रेष्ठ समझी जाने वाली इमारत ‘इस्कोनियल’ वहां के कुख्यात राजा फिलिप द्वितीय ने बनवाई थी। इसने उसे अपनी पत्नी मेरी ट्यूडार की स्मृति में बनवाया था। इस भवन के एक कक्ष में यह व्यवस्था भी की गयी थी कि स्पेन के राजाओं की मृत्यु के बाद उनके शव उसी में गाड़े जाया करें और उनके स्मारक बना दिये जाया करें।

फिलिप को एक भविष्य वक्ता ने कहा था कि स्पेन का राजवंश 24 पीढ़ियों तक चलेगा। उसे इस पर पूरा विश्वास था। इसलिये उसने चौबीस कब्रें ही पूर्व नियोजित ढंग से बनाकर रखी थीं।

सन् 1929 में स्पेन की रानी मैरिया क्रिस्टिना की मृत्यु हुई। उसका मृत शरीर 23 वें गड्डे में गाड़ा गया। आश्चर्य यह कि वह शताब्दियों से पूर्व घोषित भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य हुई। इसके बाद अलफोनों राजगद्दी पर बैठा उसे दो वर्ष बाद ही गद्दी छोड़नी पड़ी और साथ ही राजतन्त्र का भी अन्त हो गया। इसके बाद स्पेन में गणतन्त्र स्थापित हुआ और अलफोनो स्पेन का चौबीसवां—अन्तिम राजा सिद्ध हुआ।

मार्टिन इवॉन ने अपनी पुस्तक ‘टू एक्सपीरियन्सेस इन प्रोफेसी’ में कई प्रामाणिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए यह सिद्ध किया है कि मनुष्य के भीतर अद्भुत अलौकिक और विलक्षण क्षमताएं हैं। उन क्षमताओं के माध्यम से भूत, भविष्य, वर्तमान को देश, काल की सीमाओं से परे जाकर भी देखा जा सकता है।

अपनी पुस्तक में मार्टिन इवॉन ने ‘‘लैण्डेड टू’’ शीर्षक से हैटोल्ड ग्लूक के हवाले से एक घटना दी है जो पूर्वाभास की विलक्षण क्षमता की झांकी देती है।

नवम्बर 1950 की एक शनिवार को हमारे घर कोई उत्सव होने वाला था। एक दिन पूर्व शुक्रवार को ही मेरी धर्मपत्नी ने मुझसे कहा—‘‘आज आप बाहर नहीं जाइयेगा। घर की आवश्यक व्यवस्था में आज आपको हाथ बटाना पड़ेगा।’’ किन्तु उस दिन मुझे ऐसी प्रबल प्रेरणा उठ रही थी कि आज तो समुद्र की सैर के लिये जाना ही चाहिये। मैंने अपनी धर्मपत्नी की बात को कभी ठुकराया नहीं पर मैं स्वयं ही नहीं जानता कि उस दिन मुझे किस अज्ञात शक्ति द्वारा प्रेरित किया जा रहा था कि मैंने जानबूझ कर अपने मित्र जैक को कार लेकर अपने साथ चलने को राजी कर लिया। उस दिन समुद्र में तूफान आने की घोषणा मौसम-विभाग के द्वारा की जा चुकी थी, इसलिये, मेरी धर्म पत्नी ने समुद्र की ओर जाने से इनकार कर दिया किन्तु मेरे तन में न जाने क्यों कोई बात चिपक नहीं रही थी। मेरा कोई मन भी नहीं था पर भीतर से ऐसा लगता था, तुम्हें समुद्र की ओर जाना ही चाहिये।

निश्चित समय पर गाड़ी आ गई हम और जैक समुद्र की ओर चल पड़े। हमारे वहां पहुंचने से पूर्व ही समुद्र भयंकर आवाज के साथ गरजने लग गया था। तटवर्ती मल्लाह पीछे हट चुके थे तो भी मेरे मुख से निकल ही गया—ओ भाई मल्लाह, हमें समुद्र की सैर करनी है, एक बोट तो देना।’’

मल्लाह बुरी तरह झल्लाया ‘आपको दिखाई नहीं देता समुद्र किस तरह उबल रहा है, बोट तो डुबोयेंगे ही आप जान से भी हाथ धो बैठेंगे वही बात जैक ने भी कही किन्तु मुझे तो कोई अज्ञात शक्ति खींच रही थी, मैंने कहा—‘‘यह लो बोट की कीमत और एक बोट मेरे लिये छोड़ दो।’’

‘मेरे हठ के सामने सब परास्त हो गये। बोट, हम और जैक देखते-देखते समुद्र की लहरों में जा फंसे, मुझे 200 गज की दूरी पर फुटबाल की तरह कोई वस्तु दिखाई दी। मैंने जैक को इशारा किया तो जैक झल्लाया—‘‘आज आपको क्या हो गया है, एक साधारण सी फुटबाल के लिये अपने को मौत के मुख में डाल रहे हैं।’’

मुझे वह बातें भी कुछ प्रभावित न कर सकीं। बोट उधर ही बढ़ा दी। पास पहुंचकर देखता हूं कि दो नाविक जो समुद्र के तूफान में फंस गये थे डूब रहे हैं, हमने किसी तरह उन्हें अपनी नाव में चढ़ाया और डोलते डगमगाते किनारे आ पहुंचे।

मेरी इस सहृदयता और साहस को जिसने भी सुना सराहा। मेरी धर्मपत्नी ने उस दिन मुझे हृदय से लगा लिया। तब से बराबर सोचता रहता हूं, वह कौन-सी शक्ति थी जो मुझे इस तरह प्रेरित करके वहां तक ले गई? क्या ऐसा भी कोई तत्व है, जो अपनी इच्छा से विश्व का सृजन और नियमन करता है, यदि हां तो क्या मनुष्य इसकी स्पष्ट अनुभूति कर सकता है?

एक ऐसी अमेरिका में घटी घटना का वर्णन अपनी पुस्तक में उन्होंने किया है।

न्यूडेर्सीका वाल्टर जे मैसी अपनी पत्नी के साथ चाय की टेबल पर बैठा हुआ था। श्रीमती मैसी कप में चाय छान रही थीं। चाय उड़ेल कर उसने दूध मिलाया ही था कि वह बड़-बड़ाने लगी—‘किसी होटल के मैनेजर को गाली से मार कर एक हत्यारा कार में चढ़ कर भागा जा रहा है। दो मोटर साइकिलें उसका पीछा कर रही हैं। हत्यारे ने पीछा करने वालों पर भी गोली चलायी उनमें से एक सवार मारा गया। हत्यारा मोटर छोड़ कर अधबनी झोंपड़ी में घुस गया........।’

‘यह बुदबुदाना जारी ही था कि श्रीमती मैसी के हाथ से दूध का बर्तन छूट गया और वह अर्धमूर्छित होकर टेबल पर ही लुढ़क-सी गयीं। वाल्टर को कुछ भी समझ में न आया कि क्या करें? उपलब्ध चिकित्सा उपचार के बाद जब उसकी पत्नी होश में आयी तो उसने बताया कि वह ठीक यही दृश्य किसी फिल्म की तरह चाय की प्याली में देख रही थी।’

वाल्टर ने इस घटना को कोई विशेष महत्व नहीं दिया, पर मैसी के मस्तिष्क पर इसका प्रभाव ज्यों का त्यों बना हुआ था। वह अपने पति से बार-बार यही कहती कि या तो यह घटना हो चुकी है अथवा घटने वाली है। अतएव इस बारे में पुलिस को सूचित कर देना चाहिए। वाल्टर इसे भ्रम या मनोग्रन्थि का विकार कह रहा था जबकि मैसी बार-बार विचार कर रही थी। दो दिन तक दोनों में विवाद हुआ, अन्ततः वाल्टर ने मैसी की बात रखकर इस विवाद से छुटकारा पा लेने का निर्णय किया। वे लोग पुलिस दफ्तर पहुंचे और स्वप्न में देखे हत्यारे की हुलिया तथा पोशाक बताते हुए सारी बात कह दी। पुलिस अधिकारियों ने वाल्टर और मैसी को सनकी समझा तथा रिपोर्ट फाइलों में दबा दी गयी।

अभी दो सप्ताह भी न बीत पाये थे कि ठीक ऐसी ही घटना का विवरण दैनिक समाचार पत्रों में छपा। कैलिफोर्निया के एक होटल मैनेजर की तिजोरी लूटने और गोली मार देने का विवरण सचमुच ही सनसनीखेज था। इससे भी सनसनीखेज था वह विचित्र साम्य जो मैसी ने पुलिस में दर्ज करायी सूचना से अक्षरशः मेल खाता था। हत्यारा कार में बैठ कर ही भागा था। दो पुलिसमैनों ने मोटर साइकिल पर उसका पीछा किया जिनमें से एक हत्यारे को गोली से मारा गया। बाद में वह हत्यारा लूट के धन समेत एक अधबनी झोंपड़ी में पकड़ा गया।

यह समाचार भी बाद में अखबारों ने प्रकाशित किया कि किस प्रकार श्रीमती मैसी को इस हत्या की दुर्घटना का पूर्वाभास हो गया था तथा वह घटना अक्षरशः सत्य निकली। इस घटना से मार्टिन इवॉन ने यही निष्कर्ष निकाला है कि मनुष्य में अतीन्द्रिय शक्तियों की सम्भावनायें बीज रूप से विद्यमान हैं जो कभी-कभी इस रूप में भी प्रस्फुटित हो जाती हैं। मनुष्य यों अन्य प्राणियों की तरह ही एक जीवित पशु मात्र है उसमें बोलने और सोचने की अतिरिक्त विशेषतायें भर विद्यमान हैं।

न्यूरो साइक्रेट्रिक संस्थान कैलीफोर्निया के डाइरेक्टर डॉ. क्रेग ने अपने विस्तृत शोध प्रबन्ध में ऐसे अनेकों व्यक्तियों का उल्लेख किया है जिन्होंने स्वयं प्रयास किया एवं अपनी क्षमताओं को जगाया।

ऐसे व्यक्तियों में हेरोल्ड शर्मन को भी अपने समय में काफी प्रसिद्धि मिली। सन् 1915 में उसे मनुष्य की अतीन्द्रिय सामर्थ्यों का परिचय मिला। उस समय से ही वह उन्हें करतलगत करने का अभ्यास करने लगा। धीरे-धीरे उसे सफलता मिलने लगी। एक शाम वह अपने कमरे में बैठा टाइप कर रहा था। अन्धेरा हो चला था। वह प्रकाश करने के लिए स्विच खोलने के लिए उठा। जैसे ही स्विच तक पहुंचा, अपने ही भीतर से एक आवाज आयी ‘लाइट मत खोलो’ इस प्रकार का उसका पहला अनुभव था कि अपनी ही सत्ता के भीतर से स्पष्ट निर्देश मिला रहा हो। वापिस वह टाइप करने पुनः बैठ गया पर अन्धेरे के कारण कुछ सूझ नहीं रहा था। सोचा कि वह निर्देश मन का भ्रम भी हो सकता है, दुबारा वह स्विच बोर्ड के पास स्विच दबाने चला।’ पर इस बार पहली बार से भी अधिक स्पष्ट उसी निर्देश की पुनरावृत्ति हुई। ठीक उसी समय किसी व्यक्ति के नीचे दौड़ने की आवाज आयी। कोई धड़ाधड़ दरवाजा खटखटाने लगा। वह दरवाजा पीटने के साथ-साथ तेज आवाज में बोलता भी जा रहा था ‘कि लाइट मत जलाना। हाई वोल्टेज लाइन के साथ आपकी लाइन अकस्मात जुड़ गयी है’ बाद में मालूम हुआ कि वह लाइनमैन था तथा दौड़ता हुआ यह सूचना देने के लिए ही आया था। यदि शर्मन स्विच दबाता तो भयंकर संकट उपस्थित हो सकता था। उसे उस दिन के बाद समय-समय पर भविष्य की कितनी ही बातें पहले ही मालूम हो जाती थीं जिसका उल्लेख प्रायः वह अपने निकटवर्ती मित्रों से करता रहता था।

एक फ्रान्सीसी नाविक वोटिनो सन् 1762 में मैरिसंस में जहाजी व्यवस्था के लिए नियुक्त किया। उधर से कम ही जहाज निकलते थे इसलिए काम कम रहा। उन दिनों जहाजों के पूर्व आगमन की सूचना मिल सके ऐसी टेलीफोन रेडियो जैसी व्यवस्था नहीं थी। चौकसी रखकर ही जानकारी पाई और व्यवस्था की जाती थी। बोटिनो ने दिव्य दृष्टि का अभ्यास आरम्भ किया। कुछ दिन में उसने वह क्षमता विकसित करली और कई दिन पूर्व जहाजों के आगमन, स्वरूप समय की सही जानकारी देने लगा।

सन् 1998 से लेकर 1782 तक के चार वर्षों में उसने 575 जलयानों के आगमन की पूर्व सूचनाएं बताईं और वे सभी सही थीं। इस विशेषता के उपहार में फ्रांस सरकार ने उसे गवर्नर का पद और विपुल धन दिया।

हालैण्ड निवासी क्रोसेट का जन्म 1909 में एक साधारण गरीब मां बाप के यहां हुआ था, ये दिनों थियेटर में काम करते थे। बचपन से ही क्रोसेट भविष्यवाणियां किया करते थे। बचपन में ही उसने नाजी आक्रमण तथा जापानियों द्वारा डचों के ईस्ट इन्डीज अधिग्रहण के बारे में सही-सही पूर्व सूचना दे दी थी।

36 वर्ष की आयु आते ही वह इस विधा में इतना निष्णात हो गया था कि किसी भी वस्तु को देने पर बता देता था कि वस्तु का मालिक कौन है? उसका सामान्य परिचय तथा वर्तमान परिस्थिति ही नहीं, वह बताया करता था कि मालिक के मित्र, नौकर-चाकर तथा पारिवारिक सदस्य गण कैसे हैं? उनकी स्थिति कैसी है अर्थात् घर, आस-पड़ौस, स्थिति एवं मनोदशा कैसी है? उसकी इन प्रतिभाओं का प्रयोग पुलिस ने चोरों, अपराधियों तथा कत्ल करने वालों को ढूंढ़ने पकड़ने में किया उसे स्थान विशेष पर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। वह फोटो, नक्शा, साक्ष्य वस्तुएं जैसे कपड़े अथवा हथियार आदि की सहायता से चोरों, हत्यारों एवं खोयी वस्तुओं का पता बता दिया करता था।

सार्थक फलदायी दिशाबोध—

लेडी चारलौट किंग अपनी पूर्वाभास संबंधी अतीन्द्रिय क्षमताओं के कारण विश्व-विख्यात हैं। उनका निवास स्थान सलेन नामक स्थान पर यू.एस.ए. के और्गन प्रदेश में है। आने वाली गाड़ियों की ध्वनि को सुनकर वह पहले ही बता देती है कि आने वाले का उद्देश्य क्या है। लेकिन एक और विलक्षणता की कड़ी उनके जीवन में अविच्छिन्न रूप से जुड़ी हुई है वह है—भूकम्पों का पूर्वाभास। जिन भूकम्पों के आने से पूर्व ही चारलौट ने जो भविष्य वाणियां कीं वह बिलकुल प्रमाण सिद्ध होकर रही हैं। यह मनुष्येत्तर प्राणियों से मिलती जुलती उनकी सिद्धि हैं।

6 अगस्त 1979 को होलिस्टर (कैलीफोर्निया), इसी वर्ष 12 सितम्बर को न्यू जूनिया 24 जनवरी, 1980 को लिवरमोर (कैलीफोर्निया) तथा 3 मार्च 1980 को ही यूरेका (कैलीफोर्निया) में आने वाले भूकम्पों का लेडी चारलौट ने पूर्व उद्घोष किया था।

लेडी चारलौट ने बताया कि जैसे ही भूकम्प आने वाला होता है तो उसके मस्तिष्क में गहन और बारम्बार लय जैसी आवृत्ति चली जाती है। जब भूकम्प तेज होने की स्थिति होती है तो उन का सिर दर्द होने लगता है। चार वर्षों में 80 से भी ऊपर ऐसी घटनाओं को वह स्पष्ट रूप से बता चुकी हैं।

इस विषय में चारलौट अकेली ही नहीं है। एक और महिला कैलीफोर्निया के लॉस गेटास शहर में रहती हैं। नाम है क्लेरीसा वर्नहेड। इन्हें पिछले दो दशकों से ‘‘अर्थक्वेक लेडी’’ नाम से जाना जाता है। भूकम्पों की पूर्व जानकारी देने में वह सक्षम है। समय समय पर उसने भूकम्पों की कितनी ही भविष्यवाणियां कीं जो समय एवं स्थान के हिसाब से बिल्कुल सही निकलीं। कितनी बार उसके भविष्य बोध का प्रसारण सीधे रेडियो, टेलीविजन के माध्यम से भी हुआ है।

वर्ष 1974 को नवम्बर माह में उसकी एक ऐसी ही भविष्य वाणी का प्रसारण हुआ। अधिकारीगण भी रेडियो एवं टेलीविजन सेवाओं से प्रसारण की अनुमति इस कारण देते हैं क्योंकि उसके पूर्ववर्ती कथन अपने समय पर सच निकल चुके हैं। नवम्बर माह में रेडियो एवं टेलीविजन दोनों ही प्रसारणों से उसने अपनी दिव्य दृष्टि से खबर दी कि 28 नवम्बर, बृहस्पतिवार, दोपहर ठीक तीन बजे मध्य तटवर्ती क्षेत्र में भूकम्प का एक तीव्र झटका अनुभव किया जायेगा, पर किन्हीं अविज्ञात कारणों से कोई विशेष क्षति नहीं होगी। 28 नवम्बर की दोपहर को भूकम्प आया। पोलिस रेडियो स्टेशन का सम्पर्क अन्य क्षेत्रों से टूट गया तथा समीपवर्ती क्षेत्रों में अत्यन्त सामान्य नुकसान हुआ। जनहानि की कोई घटना प्रकाश में नहीं आयी। भूकम्प का समय तीन बजकर एक मिनट रिकार्ड किया गया। इस तरह क्लेरीसा के कथन में मात्र एक मिनट का अन्तर आया।

क्लेरिसा ने वर्ष 1975 के आरम्भ में ही कहा कि ‘इस वर्ष प्रमुख रूप से दो भूकम्प आयेंगे। 29 नवम्बर को उत्तरी गोलार्ध में और 25 मई को दक्षिणी गोलार्ध में। उत्तरी गोलार्ध वाले भूकम्प का स्थान हवाई द्वीप समूह होगा। उक्त कथन पूरी तरह सही निकला। भूकम्प के तीव्र झटके से हवाई द्वीप समूह भयंकर सर्वनाश का शिकार बना।

अमरीका के एक रेलवे इंजन ड्राइवर होरेस एल सीवर ने तो अपनी पूर्वाभास की विलक्षण क्षमता के कारण बड़ी प्रसिद्धि पाई। बीसवीं सदी के प्रारम्भिक दिनों में उनसे संबंधित कुछ घटनाएं बड़ी चर्चा का विषय बनीं। उनकी इस क्षमता के कारण अनेकों जाने भी बचीं एवं उन्हें ‘‘किंग ऑफ रेल्वेज’’ की उपाधि दी गयी। वे आस्तिकवादी थे व उनका भी सुकरात की तरह विश्वास था कि उन्हें यह बोध कोई दैवी सत्ता कराती है जो उनके साथ चलती है।

उन दिनों होरेस बिगफोर ट्रेन के ड्राइवर थे, जो अमेरिका के कैन्टकी शहर से चलकर इलिनास होती हुई शिकागो पहुंचती है। एक दिन उन्हें एक मिलिट्री रेजीमेंट को शिकागो पहुंचाने का कार्य सौंपा गया। गाड़ी 60 मील प्रति घण्टा की गति से चल रही थी। एकाएक उन्हें लगा कि इंजन कक्ष में किसी की आवाज गूंजी—सावधान! खतरा है। आगे पुल जला हुआ है। जबर्दस्त विश्वास के साथ होरेस उठ खड़े हुए और पूरी शक्ति से गाड़ी रोकने का उपक्रम किया। गाड़ी बीच में ही रुक जाने से परेशान कमाण्डर नीचे आये और गाड़ी रोकने का कारण पूछा तो होरेस ने अपने पूर्वाभास की बात बताई। कमांडर बहुत बिगड़ा और गाड़ी स्टार्ट करने का आदेश दिया किन्तु होरेस ने स्थिति स्पष्ट हुए बिना गाड़ी चलाने से स्पष्ट इनकार कर दिया। पता लगाया गया तो बात सच निकली। कमाण्डर ने न केवल क्षमा याचना की अपितु हजारों सैनिकों की जीवन रक्षा के लिए होरेस को हार्दिक धन्यवाद दिया। किन्तु होरेस कृतज्ञता पूर्वक यही कहते रहे, यह तो उन अज्ञात आत्मा की कृपा है जो मुझे ऐसा अनुभव कराते रहते हैं।

एक बार तो शिकागो से लौटते समय बड़ी ही विलक्षण घटना घटी। तब एकाएक उन्हें लगा कि किसी ने कहा—सामने इसी पटरी पर दूसरी गाड़ी आ रही है, गाड़ी तुरन्त पीछे लौटाओ।’’ बड़ी कठिन परीक्षा थी, किन्तु अदम्य विश्वास के सहारे पूरी शक्ति और सावधानी से गाड़ी रोक दी और उसकी रफ्तार पीछे को करदी। गाड़ी में बैठे यात्री चालक की सनक पर झुंझला ही रहे थे कि सामने से धड़धड़ाता हुआ इंजन इस गाड़ी पर चढ़ बैठा। एक ही दिशा होने और संभल जाने के फलस्वरूप किसी भी यात्री को चोट नहीं आई मात्र इंजन को मामूली क्षति पहुंची। पीछे सारी बात ज्ञात होने पर यात्री होरेस के प्रति कृतज्ञता से भर उठे। इस विलक्षण दैवी क्षमता को प्रत्यक्ष होते देख सभी की जीवसत्ता को परमसत्ता से प्राप्त विलक्षण अनुदानों पर भी विश्वास हुआ।

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डॉ. नेल्सन वाल्टर का कथन है कि हर मनुष्य के अन्दर एक बलवती चेतन शक्ति रहती है जो परोक्ष के गर्भ में पक रही उन हलचलों—घटना क्रमों का पूर्व ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता रखती है जो आगे विपत्ति बनकर आने वाली होती हैं। कोई उसे सुनकर सावधानी बरत लेते हैं। कोई उपेक्षा बरत कर बाद में हानि भुगतते व पछताते हैं।

पूर्वाभास संबंधी घटना क्रम कभी कभी समुदाय विशेष को भी होते देखे गए हैं। इंग्लैण्ड में वेल्स काउण्टी में अमेरफान एक कस्बा है। वर्षाकाल के दिन थे। सहसा समूचे कस्बे में एक खलबली मच गई। अधिकांश लोगों को या तो रात्रि को स्वप्नों में या दिन में यों ही अनायास ही पूर्वाभास होता कि उनकी मृत्यु शीघ्र ही हो जायेगी। अमेरफान वासियों की इस बेचैनी ने इस तरह सार्वजनिक चर्चा का रूप ग्रहण किया कि जर्मनी के सुप्रसिद्ध मानस शास्त्री जान मॉरकर को घटना के अध्ययन के लिए बाध्य होना पड़ा। सर्वेक्षण के मध्य उन्होंने पाया कि कस्बे के अधिकांश व्यक्तियों को इस तरह का पूर्वाभास हो रहा है। यही नहीं लोगों के चेहरे पर भय की रेखायें स्पष्ट झलकती थीं।

मुश्किल से एक पखवाड़ा बीता था कि सचमुच समीप के पहाड़ से एक दिन ज्वालामुखी फटा—कोयले की राख का भयंकर तूफान उमड़ा और उसने देखते-देखते हजारों व्यक्तियों को मौत की नींद सुला दिया। एक स्कूल की दीवार में हुए भयंकर विस्फोट से तो 100 बच्चे एक ही स्थान पर मृत्यु के घाट उतर गये।

इस विद्यालय की एक नौ वर्षीय बालिका तब तो बच गई थी किन्तु घटना के 10 दिन बाद वह एकाएक अपनी मां से बोली, मां—मैं मृत्यु से बिलकुल नहीं डरती। क्योंकि मेरे साथ भगवान रहते हैं। मां ने समझा-बच्ची पूर्व घटना से भयाक्रान्त है इसलिए उसने उसे हृदय से लगाकर समझाया, नहीं बेटी अब तो जो होना था हो गया अब तू निश्चिन्त रह।

जॉन मारकर ने उस बालिका से भी भेंट की और पूछा—बेटी तुम ऐसा क्यों सोचती हो? बालिका ने उत्तर दिया—क्योंकि मुझे अपने चारों ओर अन्धकार दिखाई देता है। इस भेंट के दूसरे ही दिन मध्यान्ह में बच्ची का निधन हो गया। संयोग से उसे जिस स्थान पर दफनाया वह स्थान कोयले की राख की 5-6 फुट परत से ढका हुआ था। जॉन मारकर ने इस अध्ययन से यह भी निष्कर्ष निकाला कि समस्त प्राणि-जगत एक ही चेतना के समुद्र से सम्बद्ध है।

स्वप्नों के द्वारा भविष्य के पूर्वाभास की घटनायें आमतौर पर प्रकाश में आती हैं। प्रसिद्ध विज्ञानवेत्ता जे.वी. राइन और उनकी पत्नी लुई ईण्टाइन ने मिल कर इस सम्बन्ध में वर्षों तक शोध की कि कई बार स्वप्नों में इस प्रकार के संकेत क्यों मिलते हैं जिनमें भावी घटनाओं का आभास होता है। डॉ. राइन विज्ञान अन्वेषण के दूसरे क्षेत्र में कार्यरत थे, परन्तु जब उनकी पत्नी ने ऐसी दर्जनों घटनाओं का विवरण सुनाया जिनसे स्वप्नों की सार्थकता सिद्ध होती थी तो उनने अपने अन्वेषण का क्षेत्र बदल कर स्वप्नों में पूर्वाभास को अपना विषय बना लिया और लगभग 4000 ऐसी घटनाओं का संग्रह प्रकाशित किया जिनमें स्वप्नों के माध्यम से लोगों की भवितव्यता की पूर्व सूचना प्राप्त हुई थी।

डा. राइन ने अपने अन्वेषण पर कितनी ही विज्ञान गोष्ठियों में भाषण दिये और इस सन्दर्भ में और अधिक शोध करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कार्पोरेशन ने उनके कई भाषण भी प्रकाशित किये। उनके भाषणों में मुख्यतः तीन शोध निष्कर्ष रहते थे। एक यह कि मनुष्य के भीतर ऐसी कोई अविज्ञात चेतना विद्यमान है जो सुदूर क्षेत्र तक अपना सम्बन्ध सूत्र बनाये हुए है और वह उपयुक्त अवसरों पर रहस्यमयी घटनाओं का उद्घाटन करती है। दूसरा यह कि परस्पर घनिष्ठ व्यक्तियों में सहज ही यह आदान-प्रदान हो सकता है। तीसरा यह कि इस प्रकार की अतीन्द्रिय शक्तियां पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक रहती हैं। विशेष रूप से उनमें जो धार्मिक रुचि लेती हैं।

यह चमत्कारी क्षमतायें अद्भुत, विलक्षण हैं और कोई भी इन्हें प्राप्त करने का लोभ संवरण नहीं कर सकेगा। परन्तु भारतीय ऋषियों ने इन सिद्धियों को दूसरे दृष्टिकोण से देखा है। महर्षि पतञ्जलि ने योग दर्शन में इस प्रकार की सिद्धियों का उल्लेख करते हुए कहा है कि ‘‘ये सिद्धियां समाधि में विघ्न हैं तथा व्युत्थान में सिद्धि है, (विभूतिपाद 39)

अर्थात्—ये जीवन का अन्तिम लक्ष्य नहीं हैं। जैसे दरिद्र मनुष्य थोड़ा-सा द्रव्य पाकर ही सन्तुष्ट हो जाता है उसी प्रकार विभ्रम ग्रस्त पुरुष ज्ञान से पहले प्राप्त होने वाली इन सिद्धियों में रम जाता है और हर्ष, गौरव तथा गर्व से अभिभूत होकर अपने अन्तिम लक्ष्य समाधि, परमशान्ति से विमुख हो जाता है। इन सिद्धियों की एक ही उपयोगिता बतायी गयी है कि मनुष्य इनके माध्यम से अपनी अद्भुत सामर्थ्य को पहचाने और विराट् चेतना के ही एक अंश होने की अनुभूति करे। उसे प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो।

उसी से शास्त्रकारों ने इन सिद्धि सामर्थ्यों में न उलझते हुए सत्य की खोज में अनवरत लगे रहने का निर्देश दिया है यदा-कदा यह चमत्कारी क्षमतायें झलकती दिखाई देती हैं तो उसका भी कुल इतना ही उपयोगी है कि मनुष्य अपने आपको परमपिता परमात्मा का उत्तराधिकारी होने की बात अनुभव कर सके और स्वयं भी उतना ही समर्थ, शक्तिमान तथा संसिद्ध होने की बात स्वीकार कर सके।

जीव-जन्तुओं की पूर्वाभास क्षमता—

मौसम का पता लगाने वाले यन्त्र तो अभी कुछ दशाब्दियों पूर्व निर्मित हुए हैं जिनके द्वारा आगामी 24 घण्टों अथवा उससे कुछ अधिक समय का मौसम ज्ञात किया जा सकता है परन्तु इससे पहले भी लोग मौसम का पूर्वानुमान लगा लेते थे। वह पूर्वानुमान इतना सटीक बैठता था कि लोग उसी आधार पर खेत जोतने की तैयारियां करने लगते थे। मौसम अनुसंधानशालाओं द्वारा प्रसारित सूचनायें आज भी सीमित क्षेत्रों में ही पहुंच पाती हैं। परन्तु दूर दराज गांवों में बसे, आधुनिक सभ्यता और साधनों से कोसों दूर लोग पशु-पक्षियों की हरकतों को देखकर मौसम का अनुमान लगाते हैं तथा उसी आधार पर जुताई-बुआई की तैयारियां करते हैं।

पशु-पक्षियों को बहुत-सी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वाभास हो जाता है। कहा जाता है कि कोई मकान गिरने वाला होता है और उसमें कोई बिल्ली रह रही होती है तो बिल्ली अपने बच्चों को उसमें से पहले ही निकाल लेती है। देहाती मरघट में जहां कभी-कभार कोई मुर्दा जलता है यदि कोई सियार लौटता दिखाई देता है तो गांव के लोग समझने लगते हैं कि निकट भविष्य में ही कोई मरने वाला होता है। जब कुत्ते एक साथ मिलकर ऊंचे स्वर में रोने लगते हैं तो बताया जाता है कि उस गांव में चोरी, डकैती, बीमारी, कलह, अग्निकाण्ड जैसे उत्पात होने वाले हैं।

कहा नहीं जा सकता कि ये मान्यतायें कहां तक सत्य हैं। परन्तु इन मान्यताओं के आधार में निहित तथ्य अवश्य सत्य पाये जाते हैं। वह तथ्य यह है कि जो घटनायें हमें आज घटती हुई दिखाई देती हैं उनके बीच अतीत के गर्भ में बहुत पहले ही विकसित हो चुके होते हैं। मकान का गिरना उसी समय दिखाई पड़ता है जबकि उसके टुकड़े जमीन पर गिरते दिखाई देते हैं परन्तु वास्तव में उसके गिरने की सूक्ष्म प्रक्रिया बहुत पहले से ही आरम्भ हो चुकी होती है कोई मनुष्य कितना ही आकस्मिक मरता हुआ जान पड़े परन्तु उसके मरने की प्रक्रिया काफी समय पहले शुरू हो चुकी होती है। यह प्रक्रिया ठीक उसी प्रकार आरम्भ होती है जिस प्रकार किसी बच्चे का जन्म आज होता हुआ दिखाई दे परन्तु उसका गर्भाधान नौ-सवा नौ महीने पहले हो चुका होता है।

हमारी दृष्टि की पकड़ में वह घटनाक्रम तभी आता है जब वह दिखाई देता है अन्यथा घटनाओं की सम्भावना के बीज बहुत पहले ही पड़ चुके होते है। कई जीव-जन्तुओं में इन बीजों का अंकुरण पहचानने की सामर्थ्य होती है। मुर्गे को सूर्य की प्रथम किरण का आगमन होते ही जबकि पूर्व के आकाश पर लालिमा छाने ही लगती है सूर्योदय की सम्भावना का पता लग जाता है कितने ही अन्धेरे और बंद स्थानों पर रखे जाने पर भी मुर्गे को निश्चित समय पर बांग देते हुए देखा जा सकता है। समुद्र में जब बादल बनना आरम्भ ही होते हैं तभी उन स्थानों पर मोर एक विशेष स्वर के साथ कूकने लगते हैं। जब मोर खूब कूकने लगता है तो किसान समझ लेता है अब वर्षा शीघ्र ही होने वाली है। रूस के दक्षिणी भाग में एक ऐसी चिड़िया पाई गई है जो भूकम्प आने के हफ्तों पहले उस स्थान पर दिखाई देना बन्द हो जाती है। अर्थात् उसे भूकम्प आने का आभास हो जाता है, जबकि आधुनिकतम विकसित यन्त्र भी भूकम्प की चेतावनी दो-तीन दिन से अधिक समय पहले नहीं दे पाते।

अमेरिका के विख्यात मौसम विशेषज्ञ डॉ. लागन इस दिशा में वर्षों से परिश्रम कर रहे हैं। उनका कहना है कि भूकम्प से पहले पशु-पक्षियों के व्यवहार में आये परिवर्तनों को सही ढंग से पहचान लिया जाये तो घण्टों नहीं, दिनों पहले उससे होने वाले नुकसान से बचाव के प्रयास किये जा सकते हैं?

चीन में भी इस विषय में काफी शोधकार्य हुआ है, क्योंकि वहां के कई क्षेत्रों में एक वर्ष में पांच-पांच, छह-छह बार भूकम्प आते हैं। इन मौसम विशेषज्ञों ने विधिवत् एक चार्ट तैयार किया है जिसमें यह बताया गया है कि कौन-कौन से पशु-पक्षी भूकम्प के समय अपना व्यवहार बदल लेते हैं और उनके व्यवहार में किस प्रकार का परिवर्तन होता है। चार्ट में कहा गया है कि—‘जब भूकम्प आने की सम्भावना होती है तब गाय, भैंस, घोड़े, भेड़, गधे आदि चौपाये बाड़े में नहीं जाते। बाड़े में जाने के स्थान पर वे उल्टे भागने लगते हैं। एकाध तरह का चौपाया तो कभी भी ऐसा कर सकता है, परन्तु जब अधिकांश या सभी चौपाए बाहर भागने लगें तो भूकम्प की सम्भावना रहती है। उस समय चूहे और सांप भी अपना बिल छोड़कर भागने लगते हैं, सहमे हुए कबूतर निरन्तर आकाश में उड़ाने भरने लगते हैं और वापिस अपने घोसलों में नहीं जाते। मछलियां भयभीत हो जाती हैं तथा पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगती हैं। खरगोश अपने कान खड़े कर लेते हैं और अकारण उछलने-कूदने लगते हैं।’’

जापान भी भूकम्पों का देश है और वहां किए गए परीक्षणों तथा अध्ययन में भी पशु-पक्षियों के व्यवहार में इसी प्रकार के परिवर्तन नोट किए गए। अमेरिका, इटली तथा ग्वाटेमाला के वैज्ञानिक भी इन परिवर्तनों की पुष्टि करते हैं। उनका कहना है कि भूकम्प आने के पहले पृथ्वी का चुम्बकीय आकर्षण वायुमण्डल को प्रभावित करने लगता है। हवाओं की गति और तापमान में अन्तर आ जाता है। धरती और आकाश के बीच का दबाव बढ़ जाता है। ये परिवर्तन बहुत सूक्ष्म होते हैं जिन्हें पशु-पक्षी ही पहचान पाते हैं तथा वे अपनी सुरक्षा की व्यवस्था करने लगते हैं।

यह तो सच है कि बहुत सूक्ष्म परिवर्तन स्थूल परिवर्तनों का बोध इन्द्रियों के माध्यम से नहीं होता या सूक्ष्म तरंगें इन्द्रियों की पकड़ में नहीं आतीं उन्हें इन्द्रियां पहचानने में असमर्थ होती हैं। इसलिए जिन व्यक्तियों को इनका आभास होता है वे अतीन्द्रिय सामर्थ्य से सम्पन्न कहे जाते हैं। पशु पक्षियों में यह सामर्थ्य मनुष्यों की तुलना में अधिक बढ़ी-चढ़ी रहती है, क्योंकि वे प्राकृतिक जीवन जीते हैं और मनुष्यों की तुलना में कम बुद्धिमान हैं सम्भवतः इसी कारण प्रकृति ने अपने इन नन्हे लाड़लों को यह विशेष सामर्थ्य दी है, जो भी हो, यह तो मानना ही पड़ेगा कि कुछ है जो इन्द्रिय चेतना से परे है, अतीन्द्रिय एवं मानवी बुद्धि से परे है।

‘‘फ्राइबर्ग इन्स्टीट्यूट ऑफ पैरासाइकोलॉजी (प. जर्मनी) के प्रोफेसर डॉ. हान्स बेण्डर ने पशुओं में पाई जाने वाली अतीन्द्रिय क्षमताओं की 500 घटनाओं का संकलन किया है। इन घटनाओं में फ्राई बर्ग पार्क की एक ऐसी चिड़िया का उल्लेख है जो मित्र राष्ट्रों द्वारा की जाने वाली बमबारी की सूचना ठीक 15 मिनट पहले चिल्ला-चिल्ला कर देने लगती थी। इस संकेत को सुनते ही स्थानीय नगर निवासी सुरक्षित स्थानों (एयर रेड शेल्टर्स) में पहुंच जाते थे। इस प्रकार उस पक्षी ने अनेक अवसरों पर हजारों लोगों की जान बचाने के लिए भावी आपत्ति की पूर्व सूचना दी। एक दिन सूचना देने का अपना कर्तव्य पूरा करके जब वह अपने छिपने के लिए निरापद स्थान की तलाश कर रही थी तभी बमबारी होने लगी और सबकी जान बचाने वाला वह पक्षी अपनी जान गंवा बैठा। स्थानीय निवासियों को जब उसकी मृत्यु का पता चला तो उसी पार्क में उस पक्षी का एक भव्य स्मारक बनाकर, उसे श्रेष्ठतम नागरिक का अलंकरण प्रदान कर दुःखी संतप्तों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

प्रसिद्ध मनोविश्लेषक श्रीमती रेनी हाइन्स ने अपनी पुस्तक ‘दि हिडेन स्प्रिंग्स’ में पशुओं में पाई जाने वाली ऐसी अतीन्द्रिय क्षमताओं के अनेक उदाहरणों का संकलन किया है। उसमें एक ऐसे कुत्ते का दृष्टान्त दिया गया है जिसके मालिक का घर आने का समय अनिश्चित रहता था। उसने एक चीनी रसोइया नौकर रखा हुआ था ताकि हारे-थके घर लौटने पर गर्म भोजन तत्काल मिल सके। वह कुत्ता मालिक के लौटने से तीन-चार घण्टे पूर्व ही रसोइये को मालिक के आने की सूचना उसके कपड़े खींचकर अथवा विशेष आवाज में बोलकर दे देता था। रसोइया इस संकेत को समझकर तुरन्त भोजन बनाने की तैयारी में जुट जाता और मालिक को पधारने पर गर्मागर्म भोजन तैयार मिलता। कुत्ते द्वारा बिना टेलीफोन के दी जाने वाली यह सूचना कभी भी गलत नहीं निकली।

दि साइकिक पावर ऑफ एनीमल्स नामक पुस्तक में मानवेत्तर प्राणियों में पाई जाने वाली अतीन्द्रिय शक्तियों सम्बन्धी कई घटनाओं को संकलित किया गया है। उसमें लेखक ने अपने ही एक अनुभव का उल्लेख इस प्रकार किया है।

‘‘एक दिन मैं अपने घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहा था। अचानक घोड़ा एक मिनट के लिए अड़ गया। काफी मारपीट करने और जोर लगाने पर भी वह टस से मस नहीं हुआ। उसी समय थोड़ी दूर पर बिजली गिरी। यह देखकर मेरे मन में अपने घोड़े के प्रति असीम प्यार उमड़ पड़ा क्योंकि यदि वह अपने स्थान से चल देता तो हम दोनों की मृत्यु हो जाती।

एक और विचित्र घटना अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन से जुड़ी है। उनका प्यारा कुत्ता ‘पैट’ जो व्हाइट हाउस में बंधा था, लिंकन की हत्या से कुछ समय पूर्व विचित्र प्रकार से भौंकने एवं अपने स्थान पर ही बेचैनी से चहल कदमी करने लगा था।

सोसायटी ऑफ पैरासाइकोलॉजी रिसर्च के डा. जे.बी. राइन ने कबूतरों के पैर में नम्बर डालकर कई प्रयोग किए। उसमें 167 नम्बर के कबूतर की एक घटना इस प्रकार है।

इस विशिष्ट कबूतर को पालने के लिए एक लड़के की नियुक्ति की गई थी। उसका नाम हग ब्रेडी परकिन्स था। सर्दी का मौसम था उस लड़के को एक रात ‘‘फ्रास्ट वाइट’’ के कारण तकलीफ हुई। शल्य चिकित्सा के लिए उस लड़के को 120 मील दूर अस्पताल में ले जाया गया। दिन में ऑपरेशन सम्पन्न हो गया। रात को वह लड़का हॉस्पिटल के एक कमरे में सोया हुआ था। बाहर बर्फ पड़ रही थी। बर्फीली हवा भीतर न आये इसलिए खिड़की दरवाजे बन्द रखे गये थे। तभी खिड़की के शीशे पर कुछ फड़फड़ाहट की आवाज सुनायी पड़ी। नर्स ने ज्यों ही खिड़की खोली कबूतर भीतर घुस आया। इसकी आहट पाकर लड़के की नींद खुल गयी। लड़के ने नर्स से पूछा कि ‘‘इसके पैर में बंधे टैग पर कहीं 167 नम्बर तो नहीं लिखा है।’ नर्स ने उसके कथन को सही पाया।

ग्रह-नक्षत्रों की तरह ही अन्य जीवधारियों एवं मनुष्य में भी एक विशिष्ट विद्युत का प्रवाह निःसृत होता है। वह एक दूसरे को बांधता है। इस प्रकार समस्त मनुष्य जाति का प्रत्येक सदस्य एक दूसरे के साथ अनजाने ही बंधा हुआ है और जिन धागों को यह बन्धन कार्य करना पड़ता है वही एक से दूसरे तक उसकी सत्ता का भला-बुरा प्रभाव पहुंचता है। एक व्यक्ति दूसरे के विचारों से अनायास ही परिचित और प्रभावित होता रहता है यह आगे की बात है कि वह प्रभाव कितना भारी-हल्का था और उसे किस कदर, किसने, स्वीकार या अस्वीकार किया।

आइन्स्टीन ‘समग्र ज्ञान’ को सामान्य ज्ञान की परिधि से आगे की बात मानते थे वे कहते थे जिज्ञासा प्रशिक्षण चिन्तन एवं अनुभव के आधार पर जो जाना जाता है उतना ही ‘ज्ञान’ नहीं है वरन् चेतना का एक विलक्षण स्तर भी है जिसे अन्तर्ज्ञान कहा जा सकता है। संसार के महान आविष्कार इस अन्तर्ज्ञान प्रज्ञा के सहारे ही मस्तिष्क पर उतरे हैं। जिन बातों का कोई आधार न था उनकी सूझ अचानक कहां से उतरी? इसका उत्तर सहज ही नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उसका कोई संगत एवं व्यवस्थित कारण नहीं है। रहस्यमय अनुभूतियां जिस प्रज्ञा से प्रादुर्भूत होती हैं उन्हें अति मानवीय मानना पड़ेगा।

सिक्स्थ सेन्स, साई फिनॉमिना, दिव्य दृष्टि इ.एस.पी. इत्यादि नामों से अतिमानवी चेतन शक्ति की बहुधा चर्चा होती रहती है। वस्तुतः यह हर किसी की पहुंच के भीतर है। अतीत ज्ञान, भविष्य दर्शन, मनःपाठन, दूरश्रवण आदि विशेषताएं तो असामान्य एवं विशिष्ट व्यक्तियों में पाई जाती हैं। किन्तु अपने प्रसुप्त को जगाकर हर कोई अपनी छठी इन्द्रिय को तो कम से कम विकसित कर ही सकता है।

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