मनुष्य में काम करने और सोचने की क्षमता है। इन्हीं दोनों के समन्वय से अनेकानेक प्रकार की कलाओं और कुशलताओं का स्वरूप सामने आता है। उपार्जनों और उपलब्धियों के पीछे इन्हीं क्षमताओं का संयोग उपयोग काम कर रहा होता है। समृद्धि और वैभव के जो कुछ चमत्कार दीखते हैं उनके पीछे मनुष्य की यह शारीरिक और मानसिक क्षमताएं ही काम कर रही होती हैं।
अतिरिक्त क्षमताएं इससे आगे की भूमिका में उत्पन्न होती हैं। इन्हें विभूतियां कहते हैं और इनके पीछे दैवी अनुकम्पा काम करती समझी जाती हैं। ऋद्धि-सिद्धियों का क्षेत्र यही है।