बाल संस्कारशाला मार्गदर्शिका

शुभकामना संदेश

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आत्मीय परिजनो! 

          राष्ट्र में आज महामानवों की बड़ी आवश्यकता है। राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति का चक्र चलाने के लिए प्रखर- तेजस्वी व्यक्तित्वों की बड़ी जरूरत है। समय की माँग बहुत बड़ी है, जिसकी पूर्ति तभी हो सकेगी, जब बाल्यावस्था से ही भावी पीढ़ी के नौनिहालों का सर्वांगीण निर्माण किया जा सके। 

   देश भर में सक्रिय- प्राणवान् परिजन किसी भी सामुदायिक केन्द्र, मन्दिर, हॉल या अपने घर में ही बाल संस्कार शालाओं को चलाने की छोटी सी जिम्मेदारी निबाहने लगें, तो भावी पीढ़ी का वाञ्छित नव- निर्माण हो सकेगा। इसके लिये थोड़ा समय अलग निकालना होगा। बालकों को नियमित रूप से यदि वैचारिक पोषण, भावनात्मक पोषण मिलता रह सके, तो युग की माँग पूरी हो सकेगी। परम पूज्य गुरुदेव- वन्दनीया माताजी के विराट् स्वप्नों की नींव भी यही नयी पीढ़ी के सुकोमल बच्चे हैं। इनके व्यक्तित्व के निर्माण में लगना गुरुसत्ता की सर्वश्रेष्ठ सेवा होगी। उनके अगणित अनुदान एवं प्रसन्नता हर पल पाते रहने के सच्चे श्रेयाधिकारी बनने का अनुपम सौभाग्य आपको मिल सकेगा। 

     प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में अत्यन्त सहायक सिद्ध होगी। हर मुहल्ले में, हर गाँव में कोई- न परिजन आगे आकर प्राणवान् अग्रदूत की भूमिका निबाहें। इस कार्य में हमारी बहिनें अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। मातृशक्ति में सुकोमल बच्चों के नव- निर्माण की अतीव क्षमता विद्यमान है। बस आवश्यकता है, तो  सिर्फ उनके उभरकर आगे आने की। बच्चों का निर्माण करना एक श्रेष्ठतम यज्ञ है। साधनों की कहीं कोई कमी न पड़ेगी, केवल संकल्पपूर्वक आगे आयें। इस अत्यन्त विशिष्ट दायित्व को साप्ताहिक कक्षा के रूप में किसी भी स्थान से प्रारम्भ करायें। अनुपम आत्म संतोष, दैवी अनुग्रह और लोक सम्मान के त्रिविध लाभ आप पाते रहेंगे। 

आप सबको सम्पूर्ण अन्तःकरण से हमारी शुभकामनाएँ एवं गुरुसत्ता के भाव भरे आशीष। 

आपका भाई                                                                  आपकी बहिन 

(प्रणव पण्ड्या)                                                             (शैलबाला पण्ड्या)
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