अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

​​​भूत और भविष्य भी ज्ञात और ज्ञेय

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लन्दन में एक ऐसी हत्या हुई, जिसका पता लगाने के लिये पुलिस सी.आई.डी., कुत्ते सब नियुक्त किये गये पर अपराधी का कोई पता न चला। अपराधी उसी मुहल्ले का एक सम्भ्रांत व्यक्ति था। उसके बारे में कोई कल्पना तक भी नहीं कर सकता था कि वह कभी अपराध कर सकता है।

अन्त में प्रसिद्ध भविष्य वक्ता ‘क्लेयर वायेन्ट’ की मदद ली गई। क्लेयर वायेन्ट जो भी भविष्य वाणियां करता है, वह अधिकांश सत्य निकलती हैं वहां के बड़े-बड़े व्यापारी, पुलिस और म्युनिसपेलिटी तक उसकी मनन लेते हैं। क्लेयर वायेन्ट ने अपराधी का पूरा हुलिया और नाम बता दिया। उसके आधार पर अपराधी पकड़ा गया और उसने सारी घटना बड़े रोमांचक ढंग से स्वीकार की। इस घटना से पता चलता है कि संसार में अतिरिक्त सहजानुभूति (एक्स्ट्रा सेंसरी परसेप्सन) मनुष्य-जीवन का एक महान सत्य है और वह मनोविज्ञान का ही विषय नहीं वरन् उसे वैज्ञानिक यन्त्रों के विकास द्वारा भी उपलब्ध किया जा सकता है।

ऐसी सैकड़ों घटनाएं होती रहती हैं जो इस तथ्य से सैद्धान्तिक पहलू का समर्थन करती हैं। यह घटनाएं देखकर देखकर यह विश्वास होता है कि संसार में कोई ऐसी भी सत्ता या तत्व है जहां भूत और भविष्य वर्तमान के दृश्य-पटल की भांति मिलते हैं। कभी-कभी अनायास दिख जाने वाली घटनाओं की शक्ति को यदि विकसित या यन्त्रित किया जा सके तो सचमुच मनुष्य त्रिकालदर्शी हो सकता है।

16 अगस्त सन् 1964 के धर्मयुग के पेज 50 पर दिनकर सोननलकर का एक संस्मरण छपा है। शीर्षक है—‘वह स्वप्न और नेहरू अस्थि विसर्जन दिवस पर वच्चियों की जल-समाधि’। इस लेख में भी ऐसी ही एक आश्चर्यजनक घटना का वर्णन है जिसमें कल होने वाली घटना का पूर्वाभास एक साथ कई लोगों को हुआ और उसके बाद वह घटना सचमुच होकर भी रही।

धर्मयुग में एक और ऐसी ही घटना छपी है, जो इस विश्वास की पुष्टि करती है कि संसार में एक कोई ऐसा तत्व अवश्य है जिसके अनेक रहस्यमय गुणों में सहजानुभूति का गुण भी है। वह तत्व भूत-भविष्य सबको जानता है।

तमिल भाषी हिन्दी लेखक री टी.एस. कन्नन लिखते हैं—‘‘मेरे भाई विजयकुमार विश्व-यात्रा पर गये थे। एक रात मेरे पिताजी ने स्वप्न में देखा, एक जहाज ऊपर उड़ने को है, उसमें विजयकुमार भी है। जहाज जैसे ही उड़ा, उसमें आग लग गई और वह ध्वस्त होकर भूमिसात हो गया। यह स्वप्न देखने के साथ ही पिताजी के मन में घबराहट बढ़ी और नींद टूट गई। उन्होंने स्वप्न मुझे बताया और बोले—कोई बात अवश्य है। हमने बहुत समझाया कि ऐसे स्वप्न तो आते ही रहते हैं। पर उनकी बेचैनी दूर न हुई। शेष सारी रात प्रार्थना करते रहे—मेरे विजयकुमार का कोई अहित न हो। हे प्रभु! उसका ध्यान रखना।’’

‘‘दूसरे दिन के समाचार पत्र में एक विमान के दुर्घटना ग्रस्त होने का समाचार छपा था। पर उसमें विजयकुमार रहा हो, ऐसी कोई सूचना नहीं थी। चौथे दिन विजयकुमार का पत्र भी आ गया। हमने पिताजी की हंसी उड़ाई, देखो न, आपका स्वप्न झूठा ही था। पिताजी कुछ न बोले। बात आई गई हो गई।’’

‘‘विजयकुमार यात्रा से वापस लौटे। मद्रास हवाई अड्डे पर हम उन्हें लेने गये। उनके आते ही यात्रा की कुशल-मंगल पूछी तो उन्होंने कहा, और तो सब ठीक रहा पर एक दिन तो सचमुच मुझे भगवान् ने ही बचाया। हम लोग घर आ गये तब उन्होंने सारी घटना विस्तार से बताई।’’

‘‘भाई साहब को ट्रूवान्टी (कनाडा) से न्यूयार्क जाना था। हवाई जहाज बुक हो चुका था। अपने निवास स्थान से वे हवाई अड्डे के लिये निकले तब कुल आधा घण्टा समय शेष था। उसी बीच एक कनाडियन उन्हें जबर्दस्ती पकड़ ले गया और उन्हें एक होटल में उनकी अनिच्छा के बावजूद काफी पिलाई। लगता था वह जान-बूझकर देर करना चाहता है। किसी तरह जल्दी-जल्दी हवाई अड्डे उसने पहुंचाया तो, पर तब तक जहाज छूट चुका था। विजय कनाडियन पर क्रुद्ध हो रहा था तभी लोगों ने देखा कि उस जहाज में एकाएक आग लग गई और एक धड़ाके के साथ वह पृथ्वी पर आ गिरा। उसमें बैठी सवारियां जल मरीं। यह घटना सुनकर हम आश्चर्यचकित सोचते रह गये कि पिताजी के स्वप्न में सचमुच सत्य था। भाई साहब को किसी अज्ञात शक्ति ने ही बचाया।’’ स्वप्नों के माध्यम से भविष्य के पूर्वाभास की ये घटनायें फ्रायडवादी मनोविज्ञान को जड़मूल से ही निरस्त कर देती हैं, जिसके अनुसार स्वप्नों का कारण केवल अतृप्त यौनाकांक्षा मात्र है। इतना ही नहीं फ्रायड ने तो मनुष्य की प्रत्येक क्रिया और इच्छा में यौन भावना का आरोपण किया है। उन्हें मां और बेटे के सम्बन्ध में भी यौनेच्छा का ही नर्तन दिखाई दिया। यही नहीं किसी भी प्रकार के स्वप्नों को उन्होंने यौन भावना का प्रतीक कहा और यह सिद्ध करने की चेष्टा की कि अतृप्त यौनाकांक्षा किसी भी रूप में—भले ही वह स्वप्न ही हो अपनी पूर्ति कर लेती है। फ्रायड प्रणीत मनोविज्ञान के प्रतिनिधि ग्रन्थ ‘ए जनरल इण्ट्रोडक्शन टु साइको एनैलिसिस’ में उन्होंने ऐसे कई स्वप्नों का विवरण कर अपना सिद्धान्त प्रतिपादित करने की खींच-तान की है एक स्वप्न विवरण इस प्रकार है—‘‘स्वप्नद्रष्टा यात्रा करने वाला था और उसका सामान एक गाड़ी में स्टेशन से लाया जा रहा था। उसमें एक दूसरे पर बहुत से सन्दूक लदे हुए था और उनमें दो बड़े काले सन्दूक थे। उसने दिलासा देते हुए किसी से कहा, ‘‘देखा, वे सिर्फ स्टेशन तक जा रहे हैं।’’

यह स्वप्न कोई विशेष अर्थ लिये नहीं दिखता, पर फ्रायड ने अपनी उक्त पुस्तक में इस स्वप्न की जो व्याख्या की है वह दृष्टव्य है—‘‘दो काले सन्दूक दो काली स्त्रियों के प्रतीक हैं।’’ फ्रायड के अनुयायी ही नहीं आधुनिक मनोविज्ञान के कई पण्डित भी स्वप्नों को अतृप्त वासना की प्रतीकात्मक तृप्ति ही बतलाते हैं।

भारतीय शास्त्र ग्रन्थ स्वप्नों के सम्बन्ध में जिस धारणा का प्रतिपादन करते हैं वह अतृप्त आकांक्षाओं की पूर्ति के साथ अतीन्द्रिय शक्तियों के स्पन्दन, स्फुरण को भी पुष्ट करती है। पुराण ग्रन्थों में स्वप्नों को भविष्य दर्शन की भाषा कह कर कई स्थानों पर उनकी विशिष्ट व्याख्या की गई है। इस प्रकार की घटनाओं के कई विवरण भी मिलते हैं, जो स्वप्नों में प्रकट हुई अतीन्द्रिय चेतना का सिद्धान्त पुष्ट करते हैं। भारत ही नहीं विदेशी इतिहासों में भी इस प्रकार की घटनाओं के विवरण मिलते हैं। ढाई हजार साल पहले मिश्र के राजा फैराओं ने एक अद्भुत स्वप्न देखा था। जिसकी व्याख्या करते हुए एक यहूदी बब्दी ने सात वर्ष बाद मिश्र में एक भीषण अकाल पड़ने की भविष्यवाणी कर दी। क्लियोपैट्रा के प्रेमी सीजर और हैनरी तृतीय को अपनी हत्या का पूर्वाभास स्वप्न द्वारा ही हो गया था।

इन्हें पुरानी घटनायें कह कर गप्प भी माना जाता है। परन्तु इसी शताब्दी में स्वप्नों में अतींद्रिय चेतना के अनुभव के सैकड़ों प्रमाण मिले हैं। जिनकी फ्रायडवादी कोई संगति नहीं बिठा पाये हैं। स्वप्नों में होने वाले भविष्य दर्शन के प्रति भारत ही नहीं विदेशों में भी कई लोग विश्वास करते हैं। कई बार तो सपने इतने आश्चर्यजनक रूप से सत्य सिद्ध हुए कि सुनने वालों के साथ-साथ स्वप्न दृष्टा को भी हत्प्रभ रह जाना पड़ा। अमेरिका की प्रसिद्ध रेडरौक सोने की खान का पता विनफील्ड स्कौट स्ट्रेटन को स्वप्न द्वारा ही लगा था। जब वे बेहद आर्थिक तंगी में थे तो एक रात उन्होंने सपना देखा कि बैटिल पर्वत के रेडरॉक क्षेत्र में सोने की खुदाई हो रही है। पहली बार तो स्ट्रेटन ने कोई गौर नहीं किया पर बार-बार जब वह सपना दिखाई देने लगा तो उन्होंने अपने एक मित्र से चर्चा की। मित्र ने आरम्भ में हंसी उड़ाई, पर स्ट्रेटन को उस स्वप्न का इतना विश्वास हो गया था कि वे जबर्दस्ती अपने मित्र को वहां खींच कर ले गये। तथा खुदाई करने लगे। कुछ ही गहरा खोदने पर उन्हें एक सोने का टुकड़ा दिखाई दिया। मित्र को अब विश्वास हो गया। उस सोने के टुकड़े को बेचकर दोनों ने वह जमीन खरीद ली और खुदाई द्वारा प्राप्त सोने से अरबपति हो गये। इसी प्रकार की एक घटना 8 मार्च 1946 की है। लौर्डकिल ब्रेफन तब पढ़ते थे। एक रात उन्होंने सपने में देखा कि वे कोई समाचार पत्र पढ़ रहे हैं। समाचार अगले दिन का—अर्थात् 10 मार्च का था। रह-रह कर उन्हें इस अंक में दो घोड़ों के नाम दिखाई दिये जो रेस में जीते थे। किल ब्रेफन रेस के न आदी थे और न ही उन्हें इसका शौक था। इस सपने के सम्बन्ध में उन्होंने अपने कई मित्रों को बताया जो रेस में घोड़ों पर दाव लगाया। मजाक उड़ाते हुए मित्रों ने किलब्रेफन से कहा—‘‘यदि तुम्हें अपने सपनों पर इतना विश्वास है तो खुद ही विन्दल और जिलादीन पर दाव क्यों नहीं लगा देते।’’ ये नाम उस घोड़ों के थे जो कि उन्होंने रात सपने में देखे थे। न जाने किस शक्ति से प्रेरित होकर किलब्रेफन ने रेस खेली और एक बड़ी रकम जीती। जिसने उनकी आर्थिक स्थिति का ही काया पलट कर दिया।

स्वप्नों के माध्यम से सम्भावित खतरों का आभास भी हो जाता है। यदि उन्हें समझने की क्षमता हो तो सचमुच यह संयोग एक वरदान बन सकता है। लिंकन की हत्या का सपना उनकी पत्नी ने एक दिन पहले ही देखा था। इसी प्रकार फ्रान्स के एक प्रोफेसर चार्ल्स लन्दन में अपने मित्र के यहां कुछ दिनों के लिए ठहरे। एक रात उन्होंने स्वप्न देखा कि एक व्यक्ति ने लम्बे चाकू से शयन कक्ष में उनके मित्र की हत्या करदी है। स्वप्न इतना स्पष्ट और प्रभावशाली था कि उन्होंने स्वप्न के हत्यारे का हुलिया भी हू-बहू याद रहा। सुबह चार्ल्स ने अपने मित्र को इस स्वप्न के सम्बन्ध में बताया और उस व्यक्ति का हुलिया भी। हुलिया मित्र के माली से एकदम मिलता था जो दस वर्ष से उनके यहां नौकरी कर रहा था। चार्ल्स ने माली को निकाल देने की सिफारिश की उस समय तो उसे नहीं हटाया पर चार्ल्स जब विदा हुए तो उसे हटाना पड़ा क्योंकि एक रात सचमुच उसने अपने मालिक पर शयन कक्ष में उसी प्रकार हमला बोल दिया था जिस प्रकार का स्वप्न चार्ल्स ने देखा था।

अपने प्रिय परिजनों के लिये ही नहीं स्वयं के लिये भी सम्भावित खतरों का आभास स्वप्नों के माध्यम से मिलता देखा गया है। फरवरी 53 में एक रात कार्लीमेपल्स ने सपना देखा कि वह अगले दिन किसी दुर्घटना का शिकार हो गया है। इन सब बातों को ढकोसला मानने के कारण उसने कोई ध्यान नहीं दिया पर, सचमुच अगले दिन वह मोटर-साइकिल समेत सड़क को एक रपट पर फिसल गया, इस दुर्घटना में उसे प्राणान्तक चोटें आयीं।

ब्रिटेन की एक महिला ट्रटिन ने बार-बार यह सपना देखा कि कोई अजनबी उसके घर में घुस आया है और चीजों को उलट-पलट रहा है। ट्रटिन के सामने पड़ जाने पर उसे डरा धमका कर अजनबी एक मोटी रकम मांगता है। जिसे वह देने से इन्कार करती है। इस पर अजनबी उसे गोली मार देता है। कई रात तक यह सपना देखने के बाद उसे न जाने क्यों सपने की सचाई पर विश्वास हो गया और पुलिस से मदद मांगी। सपने के आधार पर पुलिस सहायता देने को तैयार नहीं हुई तो ट्रटिन ने अपनी निजी व्यवस्थायें कर लीं और सम्भावित खतरे का मुकाबला करने की पूर्ण तैयारियां भी। एक दिन जब वह अपने मकान में अकेली थी पास वाले कमरे में किसी के चलने-फिरने की आहट सुनाई दी। चुपके से ट्रटिन ने झांका, आगन्तुक अजनबी था और कुछ तलाश कर रहा था। उसका हुलिया भी सपने में दिखाई देने वाले अजनबी की तरह था बस ट्रटिन ने हल्ला-गुल्ला मचा कर पड़ोसियों को इकट्ठा कर लिया और उस अजनबी को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। सचमुच ही उसके पास एक रिवाल्वर भी मिली।

किसी विशिष्ट व्यक्तियों के सम्बन्ध में भी स्वप्नों द्वारा पूर्व संकेत मिलने के उदाहरण सामने आये हैं। जिन व्यक्तियों के प्रति हम अपने हृदय में आन्तरिक सम्मान रखते हैं उनसे एक सूक्ष्म आत्मिक सम्बन्ध भी बन जाता है, भले ही उनके लिये हम अपरिचित हों। इंग्लैण्ड के एक सामान्य नागरिक जान विलियम्स को तत्कालीन वित्तमन्त्री पर्सीवल के प्रति इसी स्तर की आत्मिक घनिष्ठता थी एक बार जौन ने स्वप्न में देखा कि पार्लियामेण्ट में कुछ लोग पर्सीवल की हत्या कर रहे हैं। यह भी कि पर्सीवल सफेद ड्रेस में है और उनकी हत्या करने वालों का हुलिया भी अच्छी तरह दिखाई देता है। इस सपने का उल्लेख जीन ने पार्लियामेन्ट के कुछ सदस्यों से किया। सुरक्षा अधिकारियों को भी इस सम्बन्ध में बताया, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद पार्लियामेन्ट भवन में ही पर्सीवल की हत्या कर दी गई। पर्सीवल ने उस समय सफेद रंग के कपड़े ही पहन रखे थे। इतना ही नहीं जब हत्यारों को गिरफ्तार किया गया तो जौन ने बताया कि इन्हीं लोगों को वह स्वप्न में हत्या करते देखता रहा है। बाद में जौन को स्वप्न आधार पर हत्या का गवाह भी बनाया गया।

यह जानकर तो और आश्चर्य होता है कि स्वप्नों के आधार पर अपराधियों की धर पकड़ भी की गयी है। रोम में की गयी एक हत्या का सुराग मृतक की पत्नी द्वारा देखे गये सपने के आधार पर मिला। बताया जाता है कि मृतक की पत्नी एमीलिया ने ही सर्व प्रथम पुलिस को यह सूचना दी कि उसके पति की हत्या की गयी है—जबकि उसके पति रूसो का शव एक दुर्घटनाग्रस्त क्षत-विक्षत कार में पाया गया था। जिसके सम्बन्ध में यह मान लिया गया था कि रूसो की मृत्यु कार दुर्घटना के कारण हुई है। जब पोस्ट मार्टम हुआ तब पता चला कि मृत्यु दुर्घटना से पहले ही हो चुकी है और मृत्यु का कारण दुर्घटना नहीं एक तीव्र जहर है जो शराब में मिला कर पिलाया गया है।

एमीलिया ने स्वप्न में अपने पति का शव देखा था और उस पर बैठी हुई एक स्त्री भी जिसने हत्या की थी। इस स्त्री के सम्बन्ध में एमीलिया तो कुछ भी नहीं जानती पर वह उसके पति को फांसने वाली एक चालाक औरत थी, जिसने एक लम्बी रकम ऐंठने के बाद रूसों की हत्या कर दी थी। लिसा और उसके सहयोगी भारि को गिरफ्तार कर लिया गया जिन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया। एमीलिया ने लिसा को देखते ही पहचान लिया और कहा कि यही है वह औरत जिसे मैंने स्वप्न में अपने पति के शव पर बैठा देखा है। मैं इस रात वाली इसकी कुटिल मुस्कान को तो जिन्दगी भर नहीं भूल सकूंगी।

लिसा के सहयोगी भारि ने अपने बयान में एक विस्मय जनक बात कही कि जब वह और लिसा रूसी की लाश को खोह में छोड़कर बाहर आ रहे थे, तो उन्हें लगा था कि खोह में उन दोनों के अलावा कोई तीसरा व्यक्ति भी मौजूद है यह अनुभूति बहुत तीव्र थी मैंने लिसा को बार बार बताया भी कि कोई हमारा पीछा कर रहा है। इस घटना में प्रेम सम्बन्धों की प्रगाढ़ता से व्यक्तियों के घनिष्ठ और सूक्ष्म आन्तरिक सम्पर्क सूत्रों की प्रतीती होती है, जिसे भारतीय ऋषियों ने हजारों वर्ष पूर्व सिद्ध कर दिखाया है।

अब इस प्रश्न का उत्तर आसानी से खोजा जा सकता है कि स्वप्न क्या केवल यौनेच्छाओं की प्रतीकात्मक तृप्ति का साधन है या और भी कुछ? यह तो ठीक है कि व्यक्ति अतृप्त आकांक्षाओं की पूर्ति स्वप्नों के माध्यम से भी करता है, पर उसमें केवल यौन जीवन का सम्बन्ध नहीं है। स्वप्नों के माध्यम से भविष्य के संकेत भी प्राप्त किये जा सकते हैं। इस विद्या में प्राचीन ऋषियों ने काफी प्रगति भी की है।

परन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि सभी स्वप्न अनागत के संकेत या पूर्व सूचक होते हैं। इस सम्बन्ध में जानकार व्यक्तियों का अभिमत है कि भविष्य की पूर्व सूचना देने वाले स्वप्न बहुत स्पष्ट, शृंखलाबद्ध और क्रमगत होते हैं। प्रायः हम सभी स्वप्न भूल जाया करते हैं, कुछेक दो-चार दिन तक याद भी रहते हैं, पर ऐसे स्वप्न पूरे व्यक्तित्व को झकझोर देने वाले बहुत दिनों तक प्रभावित करने तथा आजीवन अविस्मरणीय रहते हैं।

सपनों के झरोखे से

प्रायः स्वप्नों में अपने या अपने सम्बन्धी स्वजनों के संबंध में ही पूर्वाभास होते हैं। हर किसी के बारे में सपने आते हैं। इसका कारण संबंधित जनों के प्रति घनिष्ठता का भाव ही कहा जाता है। सामान्य जीवन में भी आत्मिक घनिष्ठता का बहुत महत्व और मूल्य है। उसके आधार पर छोटे-बड़े आदान-प्रदानों का क्रम चलता रहता है। परायेपन का भाव आने और स्नेह सहयोग का आधार झीना रहने पर अन्य मनस्कता बनी रहती है, पर जब घनिष्ठता का संचार होता है तो व्यक्तियों का न केवल सहयोग ही प्रखर होता है वरन् आन्तरिक एकता भी सघन होती चली जाती है। इसकी प्रतिक्रिया दोनों पक्षों के लिये हितकारक बनती है। व्यावहारिक जीवन में मित्रता के लाभों से सभी परिचित हैं।

सूक्ष्म जीवन में यह घनिष्ठता मरण काल का आभास आत्मीय जनों के सामने अदृश्य सूचना के रूप में जा पहुंचती है। कितने ही प्रसंग ऐसे हैं जिनमें एक मित्र या संबंधी की मृत्यु होने पर उसकी सूचना द्वारा दूसरे पक्ष को जानकारी मिली है। कई बार तो यह सूचना स्वप्नों के माध्यम से मिलती है और कई बार ऐसे ही चौंका देने वाली विकलता के रूप में उभरती हैं। कई बार ऐसे आभास मिलते हैं कि मृतक की आत्मा स्वयं अपने मरण की सूचना देने और अन्तिम बार मिलने के उद्देश्य से सूक्ष्म शरीर में समीप आई है। ऐसे अनेकों प्रसंग हैं जिन्हें विश्वस्त एवं प्रामाणिक ही कहा जा सकता है।

स्वप्नों के सम्बन्ध में सोचा जाता है कि किसी पूर्व सम्भावना का दृश्य प्रत्यक्ष बन कर दीख सकता है, पर जब उस प्रकार की कोई कल्पना तक न हो तो उसे क्या कहा जाय? अति वृद्ध, अशक्त बीमारी से ग्रसित युद्ध क्षेत्र में लड़ते हुए अथवा ऐसी ही किसी विपन्न स्थिति में पड़े हुए व्यक्ति के सम्बन्ध में उसकी मृत्यु संभावना का कल्पना क्षेत्र के स्थान हो सकता है और उस स्तर के स्वप्न दीख सकते हैं किन्तु जो पूर्ण स्वस्थ एवं भली चंगी स्थित में हैं उनके आकस्मिक निधन की सम्भावना किस की कल्पना में होगी और कोई, क्यों उस प्रकार के स्वप्न देखेगा।

आकस्मिक मृत्यु की सूचना बिना किसी संचार साधन के जब स्वजन सम्बन्धियों के मिलती है तो उससे आत्मा के अस्तित्व और सूक्ष्म जगत में घटित होने वाली हलचलों का सूक्ष्म रूप से प्रमाण मिल जाता है। घनिष्ठता स्नेह सूत्र में बंधे हुए लोगों के साथ किसी विशेष उत्तेजना के समय विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। इस तथ्य को हम मृत्यु की अदृश्य सूचनाओं का विश्लेषण करते हुए सहज ही जान सकते हैं। ऐसी घटनाएं एक नहीं अनेक हैं और ऐसी हैं जिन्हें किंवदंती नहीं, प्रामाणिकता की कसौटी पर खरा मानने में कोई अड़चन नहीं पड़ती।

ऐसी अनुभूतियां प्रायः स्वप्नावस्था अथवा अर्ध निद्रा की स्थिति में होती हैं। गहरी नींद को सुषुप्ति कहते हैं। वह उतनी प्रगाढ़ होती है कि उसमें मस्तिष्कीय तन्तु प्रायः पूरी तरह निःचेष्ट हो जाते हैं। उस स्थिति में कोई स्वप्न नहीं आता। तन्द्रावस्था में अन्तर्मन सक्रिय रहता है और यदि उसमें सूक्ष्म जगत के सम्पर्क बना सकने लायक संवेदना हुई तो रहस्यमय अदृश्य घटना चक्रों को समझने और पकड़ने में समर्थ हो जाता है। कभी-कभी मृत्यु जैसी घटनाएं अपने आप में इतनी प्रबल होती हैं कि वे सामान्य स्तर के व्यक्तियों को भी आत्मीयता का सूत्र जुड़ा रहने के कारण प्रभावित करती है और उन्हें उस प्रकार की सम्भावना का स्वप्न में आभास देती हैं।

नेपोलियन जिस दिन मरा, उसी दिन सैकड़ों मील दूर अपनी मां से मिलने पहुंचा। मां ने यही समझा कि वह सहसा मिलने आ गया है। मृत्यु की तब तक कोई सूचना मिलने का प्रश्न भी तो नहीं था। नेपोलियन मां के पास पहुंच कर बोला—‘‘मां! अभी ही झंझटों से मुक्त हो पाया हूं।’’ अन्य तीन व्यक्तियों ने भी उसे देखा। बाद में पता चला, नेपोलियन की उसी समय मृत्यु हुई थी। कवि बायरन ने भी ऐसी अनेक अनुभूत घटनाओं का वर्णन किया है। उनमें से एक यह है—

‘‘एक ब्रिटिश कैप्टिन किड गहरी नींद में सो रहे थे। सहसा उन्हें लगा—बिस्तर पर कोई भारी बोझ है। आंखें खोली तो देखा, सुदूर वेस्टइण्डीज में नौकरी कर रहा भाई बिस्तर पर बैठा है। उसका उस समय वहां होना असम्भव था। किड ने सोचा सपना है और आंख मूंद ली। थोड़ी देर बाद फिर देखा—भाई अभी भी वहीं हैं। तब भाई की ओर हाथ बढ़ाया। उसका कोट पानी से तर था। हड़बड़ा कर वे उठे। कुछ देर में भाई गायब हो गया। बाद में पता चला उसी समय भाई की पानी में डूब जाने से वेस्टइण्डीज में ही मृत्यु हो गई थी।’’

फिल्म—तारिका ओलिविया एक शाम को कुछ उदास थी। अपने एक मित्र के यहां से काम के बाद पैदल ही टहलती घर की ओर चल पड़ी। घर के पास वह पहुंचती तो लगा—उसकी बांह के नीचे कोई हाथ है और साथ का व्यक्ति धीरे-धीरे एक गीत गुनगुना रहा है। वह बेहद थकी थी। स्वर व स्पर्श परिचित था। अतः मान लिया कि उसका वह मित्र अभी ही बाहर से आया होगा। घर आने पर यह जानकर कि मैं अमुक जगह काम पर गई हूं, वहां पहुंचा होगा। फिर वहां पता चला होगा कि मैं अभी-अभी पैदल ही घर चल दी हूं तो राह में आ पकड़ा है। यह उसकी आदत थी। ओलिविया को स्वाभाविक ही खुशी हुई। वह चलती रही। फिर स्वयं भी उसके साथ गुनगुनाने लगी। जब घर के दरवाजे पर पहुंची तो उसने कहा—‘‘गुडनाइट’’ और जाकर सो गई। सोचा—मित्र भी घर गया।

सुबह नाश्ते के समय अखबार पलट रही थी, तो अन्दर के पृष्ठ पर एक खबर छपी थी कि ओलिविया का वह मित्र एक दिन पूर्व दोपहर को मार डाला गया है। कैप्टिन फ्रेडरिक प्रथम वर्मा युद्ध में एक जहाज में कमांडर ऑफिसर के नाते ड्यूटी पर थे। एक रात सहसा उन्होंने एक व्यक्ति को अपने कैबिन में घुसते देखा। वे सतर्क हो गये और उस पर आक्रमण करना ही चाहते थे कि चांदनी के प्रकाश में उन्होंने स्पष्ट पहचाना—उनका भाई। वे चौंक पड़े। भाई और पास आया। बोला—‘फ्रेड, मैं तुम्हें यह बताने आया हूं कि मैं मर चुका हूं।’ फ्रेड सभी घटनाओं का ब्योरा लिख रखते थे। अतः, इस घटना का भी समय व विवरण लिख लिया। इंग्लैंड लौटे तो पता चला, उसी घटना वाले दिन, ठीक उसी समय उनके भाई की मृत्यु हुई थी।

क्वीन्स टाउन की श्रीमती काक्स का अनुभव भी दिलचस्पी है। जब वे मायके में थी, उनका भाई जो कि नेवी में अफसर था और हांग-कांग में तैनात था, अपने छोटे बच्चे को उन्हीं की देखभाल में छोड़ गया था। एक रात जब वे नित्य की भांति उस भतीजे को कमरे में सुलाकर अपने कमरे आई, तो थोड़ी ही देर बाद वह बालक भाग आया और डरी-डरी आवाज में बताया आंटी! मैंने अभी-अभी पिताजी को अपने बिस्तर के पास चलते हुए देखा। श्रीमती काक्स ने समझाया कि तूने सपना देखा होगा। बच्चा डरा था अतः अपने कमरे में नहीं गया। कुछ समय बाद श्रीमती काक्स भी लेट गईं। लेटने के थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा...... उनके भाई अंगीठी के पास कुर्सी पर बैठे हैं। उनके चेहरे पर पीलापन है। वे चौक पड़ी। बाद में वह छाया गायब हो गई। कुछ दिनों बाद पता चला कि उक्त घटना के कुछ घण्टों पहले श्रीमती काक्स के भाई की हांगकांग में आकस्मिक मृत्यु हो गई थी।

रूसी बैले नर्तक श्री सजडक्रेस की 1919 में एक ड्रामे हेतु रिहर्सल करके लौट और भोजन के पश्चात थकान दूर करने बिस्तर पर लेट गये। रात के पहले चरण में ही सर्जे ने स्वप्न देखा कि वृक्ष के नीचे क्रिसमस त्यौहार मनाया जा रहा है वहां एक नाटक मंच सजा है जिस पर ‘इन्फान्टा’ संगीत नाटिका दिखाई जाने वाली है। अचानक पेड़ पर से एक जलती हुई मोमबत्ती मंच पर गिरी और प्रोड्यूसर एडाल्फवाम मन्च के पीछे भगाते नजर आये और उस स्थान पर सुन्दर सफेद फूलों का ढेर लगा हुआ है। इतना देख कर सर्जे की नींद भंग हो गई। और सचमुच ही वह आयोजन जिसके लिए सर्जे रिहर्सल करके लौटे थे क्रिसमस के दो दिन पूर्व ही हुआ और तैयारी के बीच में ही सूचना मिली कि संचालक मौत का शिकार हो गया और सर्जे ने अपनी आंखों से पुनः स्वप्न वाले सफेद फूल मृतात्मा की श्रद्धांजलि के रूप में देखे।

अर्थों का सामंजस्य न बिठाये जा सकने वाला एक स्वप्न 27 नवम्बर 1917 को अमेरिका के डा. बाल्टर फैंकलिन प्रिंस को आया। उनने देखा स्वप्न में एक महिला ने आकर उनके हाथ में एक पर्चा दिया जिसमें लिखा था ‘पत्र वाहिका को सजाये मौत दी जाये लाल स्याही से लिखी इस बात को पढ़कर उनने उस महिला को बड़े ध्यान से निहारा इसी बीच उस महिला ने उनका हाथ पकड़ कर जोर से दबा दिया। प्रिंस को ऐसा अनुभव हुआ कि महिला ने उनके दूसरे हाथ की अंगुलियां दांतों से चबा डालीं और ऐसा करते ही उस महिला का सिर धड़ से अलग होकर गिर गया। यह स्वप्न प्रिंस के मन-मस्तिष्क पर हावी रहा। उनने यह स्वप्न अमेरिकी परामनोविज्ञान शोध समिति की सदस्या किसटवी को सुनाया तो उनने भी नोट भर कर लिया और अधिक कर भी क्या सकती थीं वे, पर सुबह के समाचार-पत्र में एक 27 वर्षीय महिला द्वारा रेल की पटरी पर लेटकर आत्महत्या करने का समाचार देखा उसका हैण्ड बैग उसका नाम ‘सारा-हैण्ड’ बता रहा था। डा. प्रिंस ने शव देखा तो स्वप्न वाली महिला का ही था। तब उन्हें ‘हैण्ड’ हाथ को दांत से काटना, सिर धड़ से अलग होना ये सारे संदर्भ जुड़ते नजर आये।

अमेरिका के उच्च सैनिक अधिकारी कर्नल गाडिनर की पुत्री ‘जूलिमा’ और जल सेना के तत्कालीन सेक्रेटरी श्री थामस डब्ल्यू. गिलमर की पत्नी ‘ऐनी’ दोनों ने 27 फरवरी 1844 को स्वप्न में अपने-अपने पतियों की मृत्यु को देखा तो दूसरे ही दिन 28 फरवरी को वाशिंगटन में होने वाले राष्ट्रीय उत्सव में जाने से अपने-अपने पतियों को रोका, पर वे गये ही और उत्सव में प्रदर्शन होने वाली दो तोपों के वैरेल में ही गोले फट जाने से उन दोनों की मृत्यु हो गई।

‘जूलिमा’ सौमील दूर बैठे अपने पति की स्थिति से अवगत (स्वप्न में) होने का दावा करतीं। एक स्वप्न में उनने अपने नवविवाहित पति प्रेसीडेन्ट-टेलर का पीला चेहरा देखा—तब वे रिचमान्ड में थे। स्वप्न में वे हाथ में टाई और कमीज लिये हुए कह उठे ‘‘मेरा सिर थामलो।’’ स्वप्न टूटा पर घबराई हुई जूलिमा सुबह ही रिचमांड के लिए रवाना हो गई और प्रेसीडेंट टेलर को सकुशल पाया, पर जहां वे ठहरे थे उस होटल में दुर्घटना के कारण एक मृत्यु का ठीक वही दृश्य था।

श्रद्धायुक्त, स्वच्छ, पवित्र मन वाले उपासक आत्मचिंतन करते हुए सार्थक स्वप्न देख मानव कल्याण का हेतु बन सकते हैं।

इंग्लैण्ड की एक 12 वर्षीय बालिका जेनी को भी सत्यसूचक स्वप्न आते थे। पहले तो उस पर कोई विश्वास न करता। किन्तु 29 जनवरी 1898 के दिन उसके पिता कप्तान स्प्रूइट एक जहाज पर कोयला लाद कर विदेश चल दिये। एक रात सहसा बालिका चीख पड़ी। कारण पूछने पर उसने बताया—पिताजी का जहाज डूब गया है, पर उन्हें एक अन्य जहाज ने बचा लिया है। मां ने डांटकर जेनी को चुप कर दिया पर 25 फरवरी को लौटकर स्प्रेइट ने जो कुछ बतलाया वह जेनी के स्वप्न के अनुसार पूरी तरह घटित हुआ था। सभी विस्मित रह गये।

वर्तमान के घटनाक्रमों का स्वप्न में दिखाई पड़ना इस आधार पर सही समझा जा सकता है कि सूक्ष्म जगत में हो रही हलचलें एक स्थान से दूसरे स्थान तक रेडियो तरंगों की तरह जा सकती हैं और बिना संचार साधनों के भी, उनका परिचय मिल सकता है, पर आश्चर्य तब होता है जब भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का बहुत समय पहले ही आभास मिल जाता है। ऐसे स्वप्नों की भी कमी नहीं, जिनमें मृत्यु अथवा अन्य प्रकार के पूर्व संकेत स्वप्न में मिले हैं और वे सही सिद्ध होकर रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने रात को एक स्वप्न देखा कि उन्हें रोने की बहुत सी आवाजें सुनाई पड़ती हैं। वे बिस्तर से उठ कर ह्वाइट हाउस के कमरों में चक्कर लगा कर इन रोने की आवाजों का कारण तलाश करते हैं। एक कमरे में वे एक लाश कफ़न से ढकी हुई देखते हैं और वहीं कुछ सिपाही खड़े पाते हैं। वहां बहुत से लोग रो रहे हैं। सपने में ही लिंकन एक सिपाही से पूंछते हैं—कौन मरा? सिपाही कहता है राष्ट्रपति लिंकन की हत्या गोली मार कर कर दी गई है। यह उन्हीं की लाश पड़ी है।

लिंकन ने सपना अपने परिचितों को सुनाया। चार दिन बाद ही वह स्वप्न सच हो गया। जब वे वाशिंगटन के फोर्ड थियेटर में नाटक देख रहे थे तो एक अभिनेता ने उनकी गोली मार कर हत्या करदी।

अमेरिका के एक नागरिक एलन बेधन ने एक रात स्वप्न देखा कि तत्कालीन राष्ट्रपति राबर्ट कनैडी एक भीड़ के साथ किसी पार्टी में जा रहे हैं। रास्ते में विरोधी दल का एक सदस्य उन्हें गोली मार देता है और राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है।

एलम ने अपना सपना ‘स्वप्न अनुसंधान संस्था’ के रजिस्टरों में नोट कर दिया और अनुरोध किया कि वे इस सपने की बात राष्ट्रपति तक पहुंचा दें। इसके एक सप्ताह बाद सचमुच वह सपना सत्य हो गया और राष्ट्रपति गोली से मारे गये।

एक दिन एक आस्थावान छात्र अपने नास्तिक प्रोफेसर फ्रान्ज मेमर के पास प्रातःकाल ही पहुंच गया और बोला सर! आज बहस करने नहीं प्रमाण लेकर आया हूं। जेना विश्व-विद्यालय के ये प्रोफेसर एवं छात्र प्रायः आस्तिकता वाद पर विवाद करते रहते पर बिना प्रमाण प्रोफेसर महोदय मानने को तैयार नहीं होते। छात्र ने कहना प्रारम्भ किया आज रात मैंने एक स्वप्न देखा है किन्तु आपको बताऊंगा नहीं। मात्र इतना बताता हूं कि मेरी मृत्यु शीघ्र ही हो जायेगी। प्रसंग यहीं समाप्त हो गया। घटना घटित होने तक के क्षणों तक के लिए और हफ्ते भर बाद ही सोमवार को वह छात्र बीमार पड़ा और तीसरे दिन तक उसका काम ही हो गया। प्रोफेसर महोदय आतुर मन लिये अन्त्येष्टि समाप्त होते ही छात्र के घर पहुंचे और उस दिन छात्र द्वारा मृत्यु के बाद बक्सा खोलकर देखने के लिये दिये संकेतानुसार बक्सा खोल कर उस दिन के स्वप्न का लिखित वृत्तांत पढ़ा। लिखा था—‘‘तारीख 17 दिन बृहस्पतिवार को प्रातःकाल पांच बजे मेरी मृत्यु हो जाएगी। मुझे अमुक स्थान पर दफनाया जायेगा। जब मुझे दफनाया जा रहा होगा तब मेरे माता-पिता आयेंगे और मुझे एक बार फिर बाहर रखकर देखेंगे। इसके बाद मुझे दफना दिया जायेगा।’’ प्रोफेसर महोदय के आश्चर्य का ठिकाना न रहा लिखित विवरण अनुसार ही सारा नाटक आंखों से देख कर अंततोगत्वा उन्हें स्वीकार करना पड़ा उस सत्ता को जिसे हठ वश उपेक्षित किया जाता है। अवोहर (पंजाब) से छपने वाले पत्र ‘दीपक’ में 7 अगस्त 1939 के अंक में एक घटना छपी कि लुधियाना के पुराना बाजार में एक ब्राह्मण के यहां झीवर नौकरी करता और प्रतिदिन पूजन के लिए विल्वपत्र तोड़ लाता। उसने एक दिन स्वप्न देखा कि वह विल्व-पत्र तोड़ने पेड़ पर चढ़ा तो नीचे खड़ा हुए भैंसा कह रहा है कि तुम नीचे उतरे और मैंने तुम्हें मार डाला। यह बात उसने गांव वालों को सुनाई पर किसी ने उस स्वप्न को महत्व नहीं दिया। किन्तु सचमुच ही जब वह दूसरे दिन प्रातःकाल विल्व पत्र तोड़ने पेड़ पर चढ़ा तो एक क्रोधित भैंसा पेड़ के नीचे आ धमका। उसे देख वह भयभीत हो नीचे गिर पड़ा और मर गया।

एक रात हरफोर्ड के आर्क विशप की पत्नि ने स्वप्न देखा कि एक सुअर उनकी डाइनिंग टेबल पर भोजन कर रहा है। प्रातःकाल यह विशप से कही गई तो वे हंस कर रह गये। पर वास्तव में जब पत्नी-पति गिरजा घर से प्रार्थना करके लौटे तो देखा कि पड़ौसी का पालतू सुअर किसी प्रकार उनके घर घुस आया है और भोजन की टेबल पर सवार है। पति-पत्नी के लिये नौकर द्वारा लगाया गया नाश्ता उनके पहुंचने तक सुअर साफ कर चुका था।

एक दुर्घटना की पूर्व सूचना, दुर्घटना तथा दुर्घटना हो जाने के निश्चित समाचार लगातार एक ही स्वप्न के तीन बार आने के रूप में मैनचेस्टर की ही एक स्त्री का अनूठा अनुभव है। तीनों बार स्वप्न में उसने देखा कि उसकी लड़की की मृत्यु मोटर-दुर्घटना से हो गई है और प्रातःकाल सचमुच ही समाचार आ गया कि उसकी लड़की मोटर दुर्घटना में समाप्त हो गई है। एक ही स्वप्न की तीन बार पुनरावृत्ति के द्वारा पहले दुर्घटना के भविष्य की रचना, दूसरी बार दुर्घटना एवं तीसरी बार दुर्घटना हो चुकने के समाचार के अवगत कराया गया।

स्वयं डा. फ्राइड ने अपनी पुस्तक ‘इन्टर प्रिटेशन आफ ड्रीम’ में एक अनूठी घटना से सम्बन्धित स्वप्न के सम्बन्ध में लिखा कि......... ‘‘मेरे शहर में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के पुत्र का देहावसान हो गया। रात्रि में अंत्येष्टि सम्भव न होने में प्रातःकाल करने का निर्णय कर शव के चारों ओर मोमबत्ती जला एक पहरेदार छोड़ मृतक का पिता अपने कमरे में जा सोया। नींद लगे थोड़ा ही समय हुआ होगा कि स्वप्न में उनका लड़का उनके सामने खड़ा हो कह रहा है कि मेरी लाश यहीं जल जाने दोगे। यह स्वप्न देखते ही उसकी नींद टूटी और उसने झांककर देखा तो लाश वाले कमरे में प्रकाश हो रहा था। वह वहां पहुंचा तो देखा कि पहरेदार सो गया है और मोमबत्ती गिर जाने से कफ़न में आग लगने ही क्या यदि विलम्ब हो जाता तो मकान ही जल जाता।

इस स्वप्न से फ्राइड को यह स्वीकार करना पड़ा कि स्वप्न जगत को दृश्य जगत एवं स्थूल वासनाजन्य कल्पनाओं तक सीमित करना भूल ही होगी। हां अक्षरशः सत्य निकलने वाले स्वप्नों की तह तक हम अवश्य ही नहीं पहुंच पाते।

भूतकाल में हुई घटनाओं के आभास भी कई बार स्वप्नों में मिलते हैं। इस संदर्भ में यह समझा जा सकता है कि जिस प्रकार मस्तिष्क में भूतकाल स्मृतियां प्रसुप्त स्थिति में पड़ी रहती हैं और जब कभी अवसर आता है, तब वे उभर कर सामने आ जाती हैं। इसी प्रकार सूक्ष्म जगत में भूतकाल की घटना अपना अस्तित्व बनाये विचरण करती रहती होंगी और जब जहां उनका सम्पर्क बनता होगा वहां स्वप्न अथवा आभास रूप में जिस-तिस को उनका अनुभव हो जाता होगा।

पर मनोविज्ञान की वर्तमान खोजों में इस प्रकार के हजारों प्रमाण बहुत छान-बीन के बाद एकत्रित किए हैं और विशेषज्ञों ने तथ्यों का कारण समझ सकने में अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए भी इतना तो स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि जिन सूत्रों से इन घटनाओं का संकलन पूरी छान-बीन के साथ किया गया है उनमें अतिशयोक्ति एवं किम्वदन्तियों का अंश कदाचित ही कहीं रहा होगा अन्यथा वे विश्वस्त भी हैं और प्रमाणिक भी।

मैनचैस्टर की घटना है। एक पिता ने अपने दो पुत्रों को एक खण्डहर मकान में ले जाकर मार डाला और जलाकर हड्डियां गाढ़ दीं और पुलिस मैनचेस्टर के इस दम्पत्ति के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए लड़कों की खोज करती रही, पर पता न लग सका। एक रात चिंतित माता को स्वप्न आया जिसमें उसने देखा कि उनके पति महाशय अपने दोनों लड़कों को साथ लेकर एक खण्डहर मकान में घुसे और उनको मौत के घाट उतार दिया। यह निर्मम दृश्य देख मां का हृदय चीत्कार कर उठा और नींद भंग हो गई। उसने स्वप्न का संदर्भ देते हुए पुलिस में रिपोर्ट की पर पुलिस बिना प्रमाण मानने तैयार नहीं हुई। तब उसने कहा ‘‘मैंने उस जगह स्वप्न में ‘चेस्टर सिटी’ लिखा देखा था। यदि मुझे चेस्टर सिटी ले जाया जा सके, तो मैं उस स्थल को बता सकती हूं। पुलिस इस आधार पर उस महिला की मदद को तैयार हो गई। और चेस्टर-सिटी पहुंच कर महिला ने पहले कभी न देखे उस शहर के गली कूंचे पार करते हुए उस खण्डहर मकान में लेजाकर पुलिस को खड़ा कर दिया, जहां शब को जलाने के निशान मिले और गड्ढे में गाड़ी गई हड्डियां भी मिलीं।

इन घटनाओं से कुछ ऐसे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। अधिक गम्भीरता से तो साधना और प्रयोगों द्वारा ही समझा जा सकता है। सामान्य स्वप्नों के माध्यम से भविष्य को परखने की विद्या हमारे यहां स्वप्नों के शुभाशुभ निर्णय करने वाले विज्ञान के रूप में भी विकसित हुई है, पर उस सम्बन्ध में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता क्योंकि साहित्य और दूसरे सूत्रों द्वारा इस सम्बन्ध में जो भी जानकारियां उपलब्ध होती हैं वे तथ्यों पर आधारित होने की अपेक्षा पेट भरने की विद्या के सिद्धान्त पर ही अधिक आधारित हैं। लेकिन इतना निश्चित है कि जीवन में विविध दिशाओं से उस अविज्ञात तत्व का निमन्त्रण मिलता रहता है, जिसे चेतन कहते हैं। वह अपनी उपस्थिति का आभास किन्हीं न किन्हीं रूपों में कराता ही रहता है।
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