निवास (कटनी) में नवरात्रि में गायत्री चालीसा के 240 पाठ और 5000 का हवन किया। गायत्री माता की कृपा से मैं नास्तिक से आस्तिक बन गया हूँ।
-राम गोपाल श्रीवास्तव
झाँसी में नवरात्रि में यज्ञानुष्ठान सुसज्जित झाँकी में शामिल किया गया। महिलाओं द्वारा प्रतिदिन हारमोनियम पर गायत्री चालीसा का गायन पाठ होता रहा। अन्तिम दिन तीन वेदियों पर सामूहिक यज्ञ हुए। एक हजार गायत्री चालीसा बाँटे गए। ता. 17, 18, व 19 मई 1956 को झाँसी में गायत्री महायज्ञ होगा। जिसमें पूज्य आचार्य जी भी भाग लेंगे।
-बालकृष्ण अग्रवाल
दिगौड़ (टीकमगढ़) के गायत्री परिवार के 20 व्यक्तियों ने मिलकर सामूहिक जप, पाठ, हवन, यज्ञ किया। नौमी की पूर्णाहुति को देखने देहातों से भी जन-समूह एकत्रित हुआ। कन्याओं को भोजन कराया गया। यह समारोह गायत्री मंदिर दिगोड़ा में हुआ जो बड़ा ही रमरणीक स्थान है।
-बैजनाथ प्रसाद
राजपुर (निमाड़) में गायत्री परिवार के उपासकों ने गायत्री जप के अनुष्ठान किए। एक सदस्य ने गायत्री चालीसा के 240 और एक महिला ने 108 पाठ किए गायत्री चालीसा वितरित किये गये।
-नाथूराम सोलंकी
रोहीशाला (सौराष्ट्र) में गायत्री परिवार के सदस्यों ने अनुष्ठान किया। यज्ञ में गाँव भर के लोग शामिल हुए। ब्रह्मभोज भी हुआ। इससे गायत्री प्रचार को बहुत बल मिला है।
-पद्यकान्त मूलशंकर व्यास
रिसिया (बहराइच) में नवरात्रि में गायत्री जप और चालीसा का पाठ बड़े उत्साह से किया गया। बालिकाओं को भोजन कराया और सब लोगों को गायत्री चालीसा बाँटे गये। रामायण, गीता उपनिषद् आदि पर उपदेश भी हुये।
-कन्हैयालाल श्रीवास्तव
विछियवाँ (इलाहाबाद) गायत्री परिवार सदस्यों ने सवा लाख जप, 6336 मंत्र लेखन, 1215 चालीसा का पाठ और 4212 आहुतियों का अनुष्ठान किया 400 चालीसा वितरण किये गये। अनुष्ठान में मुझे सूर्य के प्रकाश के से दर्शन होते रहे और उसके बीच में माता की मूर्ति भी दिखलाई पड़ती थी।
-रामसिंह
पाडल्या (निमाड़) की शाखा की तरफ से 11 हजार जप और 1600 आहुतियों का अनुष्ठान किया गया।
-रामेश्वर पंढ़रीलाल अत्रे
कटाहन (मुरेना) में सामूहिक जप और हवन बड़ी धूमधाम से किया गया। ता. 6 को 33 कन्या और 5 साधुओं को भोजन कराया गया है। उत्सव गायन वादन के साथ बड़े समारोह से हुआ।
-रामस्वरूप शर्मा
राठ (हमीरपुर) में दो स्थानों पर सामूहिक अनुष्ठान किये गये और कुछ सज्जनों ने घर पर यज्ञ किये। सामूहिक यज्ञों में स्थानीय जनता भी बड़ी संख्या में शामिल हुई। कुल मिला कर 24 हजार आहुतियों का हवन हुआ। पं. श्याम सुन्दर जी ‘बादल’ का बड़ा सारगर्भित प्रवचन हुआ। एक छोटा गायत्री मंदिर बनाने पर विचार किया गया।
-राम स्वरूप चचौंदिया
इमलौटा (झाँसी) में नवरात्रि में प्रतिदिन यज्ञ तथा गायत्री जप और 28 पाठ गायत्री चालीसा अनुष्ठान किया गया।
-देवकीनन्दन विश्वकर्मा
दमदम (शाजापुर) में सामूहिक हवन किया गया। घूरालाल जी ने 108, यागीलाल वर्मा ने 240 और राजमल वर्मा ने 108 सेवाराम शर्मा ने 108, रामलाल वर्मा ने 108 पाठ गायत्री चालीसा के किये।
- रामप्रसाद शर्मा
बुलन्दशहर के गायत्री सदस्यों ने 24 हजार मंत्रों का लघु अनुष्ठान किया। ता. 6 को सामूहिक हवन भी किया गया। श्रीमती स्वर्णलता देवी ने जप के साथ गायत्री चालीसा के 108 पाठ भी किये। साधनाकाल में एक विशेष अनुभव यह हुआ कि घण्टे की सी आवाज प्रातःकाल ही उठा देती थी और सूर्योदय के समय तक कानों में गूँजती रहती थी।
-हृदय प्रकाश
जोबट (झाबुआ) में नवरात्रि का अनुष्ठान नौ दिन तक किया गया। अन्तिम दिन 3500 आहुतियों का हवन किया गया।
-चन्द्रशेखर चतुर्वेदी
खरियार (कालाहाँडी-उड़ीसा) में नवरात्रि के अनुष्ठान में जप, हवन, गायत्री चालीसा का पाठ, भगवद्गीता का पाठ किया गया। कन्याओं को भोजन कराया गया।
-प्रतापचन्द प्रधान
झारडेश्वर महादेव (झाबुआ) में नवरात्रि के अनुष्ठान में 9 दिन बराबर प्रभात फेरी निकलती रही जिससे बड़ा उत्साहदायक वातावरण रहा। कुल 4857 आहुतियाँ दी गई। जप, पाठ और 2400 मंत्रलेखन हुआ। गायत्री चालीस वितरण किये गये। इसका श्रेय संत जगदीश भारती जी को विशेष रूप से है। पाठक राम नारायण पुरोहित आदि सज्जनों का कार्य भी सराहनीय रहा।
-एक प्रत्यक्षदर्शी
खेडी (बरार) की गायत्री शाखा के 14 सदस्यों में से प्रत्येक ने 24 हजार जप और दशांश हवन किया। 25 कन्याओं और 20 विद्यार्थियों को भोजन कराया गया।
-किसन जाणु वाघमारे
कोयला (कोटा) में सभी सदस्यों ने लघु अनुष्ठान किये और उसकी पूर्णाहुति बड़े समारोह से हुई। गायत्री चालीसा प्रसाद स्वरूप वितरण किये गये। यहाँ शुरू में गायत्री-परिवार के दस सदस्य थे जिनकी संख्या अब 32 तक पहुँच गई है जो प्रति रविवार को 900 से 1000 तक आहुतियों का हवन करते रहते हैं।
-सरदारमल गौतम
चींवौड़ा (देतूल) में 12 सदस्यों ने 3 लाख 18 हजार जप और 108 गायत्री चालीसा का पाठ किया और बड़ी धूमधाम से गायत्री माता का उत्सव मनाया।
-कुज्जीलाल बाइकट
कैमोर (जबलपुर) में श्री मदनसेन तियारी के यहाँ सामूहिक अनुष्ठान हुआ। प्रतिदिन दो घण्टा रोज हवन भी किया जाता था। पूर्णाहुति के दिन 100 नर-नारियों से भी अधिक ने यज्ञ में भाग लिया और कई सौ दर्शक भी उपस्थित थे।
-गौतम बाबू
हरदुआ (अलीगढ़) में गायत्री अनुष्ठान नौ दिन तक निर्विघ्न समाप्त हो गया। नवमी को हवन और कन्याओं को भोजन कराया गया।
-राम सेवक बहरे
सेगाँव (निमाड़) में गायत्री प्रचार के फलस्वरूप कई स्थानों पर जप और हवन किया गया। नवमी के दिन सामूहिक रूप से भी जप और हवन का आयोजन किया। एक सामूहिक हवन विश्वनाथ जी के यहाँ भी पुरुषोत्तम महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। एक-दो बार ऐसे सामूहिक रूप से होने पर यहाँ शाखा की स्थापना भली प्रकार हो जायगी।
-पेंढरीनाथ चतुर्वेदी
डेढ़रोटा (साँबरकाँठा, बम्बई) में नवरात्रि का अनुष्ठान उत्साह पूर्वक किया गया।
-किशोरसिंह जी दौलतसिंह झाला
बिहटा (पटना) में 2400 हवन और गायत्री चालीसा के 240 पाठ का अनुष्ठान किया गया 2420 सत्र लेखन भी किया गया।
-रामप्रीत गुप्ता
चाँपा (बिलासपुर) में सामूहिक अनुष्ठान किया गया और पूर्णाहुति के पश्चात् लगभग 200 कन्याओं को भोजन कराया गया।
-वैद्य पुनीराम
कसरावद (निमाड़) के गायत्री परिवार के पन्द्रह सदस्यों ने तीन लाख 60 हजार जप और 3600 आहुतियों से यज्ञ किया। गायत्री चालीसा के 2844 पाठ किये गये। प्रत्येक सदस्य ने तन, मन, धन से सहयोग किया।
-संतोषचन्द्र व्यास
बिलासपुर में 40 व्यक्तियों ने नवरात्रि की सामूहिक साधना में भाग लिया। अन्तिम दिन 9600 नियमित आहुतियों के अतिरिक्त उपस्थित सभी व्यक्तियों को 24-24 आहुतियाँ देने का अवसर दिया गया। लाउडस्पीकरों से आधा नगर यज्ञ ध्वनि से गूँजता रहा।
-सुधाराम महाजन
भिन्ड (ग्वालियर) में अष्टमी को 24 घंटे का अखंड कीर्तन व रामायण पाठ हुये। नवमी को यज्ञ हुआ। जिसमें 4000 आहुतियों दी गई। जनता ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर यज्ञ भगवान के दर्शन किये। दूसरा गायत्री यज्ञ 11 अप्रैल को रामदासजी गुप्ता के यहाँ हुआ जिसमें समस्त गायत्री परिवार ने भाग लिया और 3600 आहुतियाँ दी गई। इन यज्ञों से जनता में गायत्री-प्रचार बढ़ रहा है। श्री सत्यदेव जी शास्त्री का प्रयत्न इस दिशा में सराहनीय है।
-केदारनाथ गुप्त
बड़ोरा (कोटा) में वृजमोहन जी, कल्याण प्रसाद जी, कस्तूर चन्द्र जी आदि 7 सदस्यों को प्रयत्न से सवालक्ष गायत्री जप और आहुतियों का हवन हुआ।
-नाथूला दाघीव
छालियाँ (खरगोन) में चार सदस्यों ने 24 हजार जप के अनुष्ठान हुए। दो सदस्यों ने गायत्री चालीसा का पाठ किया।
-राधेश्याम काशीनाथ शर्मा
धमतरी (रायपुर) में गायत्री के उपासकों ने सामूहिक अनुष्ठान किया और हवन भी किया गया, जिस में आस-पास के बहुसंख्यक व्यक्तियों ने भाग लिया। कन्याओं को भोजन कराया गया।
-जेठालाल
बाँदा (यू.पी.) में गायत्री का सामूहिक अनुष्ठान और गायत्री चालीसा का नित्य प्रति 27 पाठ हुए। नवमी को हवन और ब्राह्मण भोजन भी सम्पन्न हुआ।
-सुखदयाल निगम
लखनऊ में सामूहिक हवन जप और 240 गायत्री चालीसा का पाठ का अनुष्ठान सानन्द पूरा हो गया। पूर्णाहुति के अवसर पर 150 व्यक्तियों का समूह था। लाउडस्पीकर के लग जाने से और भी प्रभावशाली रहा।
-मदनमोहन शुल्क
रायपुर (मध्य-प्रदेश) में 52800 जप तथा दशाँश हवन का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। 356 पाठ गायत्री चालीसा के किये गये। कई महिलाओं ने भी इसमें भाग लिया।
-हरीशंकर अग्रवाल
नरयावली (सागर) में 24000 का लघु अनुष्ठान किया गया। यहाँ के सब सदस्य एक माला प्रतिदिन जप करते हैं। अब चन्दा करके गायत्री पुस्तकालय स्थापित किया जायगा।
-नारायण प्रसाद रावत
इचाक (हजारीबाग) में 72000 जप का अनुष्ठान किया गया। नवमी को हवन तथा कन्याओं और ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। 240 गायत्री चालीसा जनता में वितरित किये गये।
-बद्रीनाथ तिवारी
बागोद् (निमाड़) में मंत्र लेखन का अनुष्ठान किया गया और 9 ता. को सब सदस्यों ने हवन भी किया। श्री लक्षमन प्रसाद वर्मा का अनुष्ठान भी पूर्ण हो चुका है।
-रतनलाल सक्सेना
जावरा (म.प्र.) में गायत्री परिवार ने सवालक्ष जप और दशाँश हवन का अनुष्ठान किया। साथ में रामायण का नवाह्निन परायण भी हुआ।
-वंशीधर शर्मा
सतना (रीवाँ) में गायत्री चालीसा सामूहिक अनुष्ठान किया गया और नवमी के ब्रह्मभोज के स्थान पर गायत्री चालीसा का ही वितरण किया गया।
-मुकुन्दलाल ‘मुकुल’
बरेली (यू.पी.) में देवी जी के मन्दिर में गायत्री यज्ञ किया गया। जिसमें 5 लाख जप, 48 हजार आहुतियाँ और 400 गायत्री चालीसा का पाठ सामूहिक रूप से किया गया। पूर्णाहुति के अवसर पर मंझला कुआँ (शाहजहाँपुर) से स्वामी केवलानन्दजी पधारे थे। पूर्णाहुति में गोला और नारियल बहुत चढ़ाये गये।
-चिम्मनलाल शूरी
उमरिया (म.प्र.) में सामूहिक अनुष्ठान में 1,16000 जप, 5561 आहुतियाँ और 874 गायत्री चालीसा के पाठ किये गये। यज्ञ मंडप खूब सजाया गया था, कीर्तन भी हुआ और कन्याओं को भोजन कराया गया। गायत्री चालीसा बाँटा गया।
-स्वामी गणेशप्रसाद
अलीगढ़ (यू.पी) में नवमी के दिन 11 हवन कुण्डों में 27500 आहुतियों का हवन किया गया। जिसमें लगभग 100 स्त्री-पुरुष उपस्थित थे। मोहनभोग और खीर की भी आहुतियाँ दी गई। सभी उपस्थित जनों ने हवन करने में भाग लिया। 500 गायत्री चालीसा बाँटे। कन्याओं को भोजन कराया गया।
-श्रीराम पाण्डेय
धरणगाँव (पूर्वखानदेश) में 24000 जप तथा 240 गायत्री चालीसा के पाठ का अनुष्ठान किया गया। साथ में सात दिन तक ‘अखंड नाम-सप्ताह’ भी मनाया गया।
-कृष्णदास भाटिया
शाहजहाँ (यू.पी.) में पाँच सदस्यों ने लघु अनुष्ठान किये। सोमवार को श्री शमसेर बहादुर के यहाँ यज्ञ हुआ। संध्या के समय श्री रामसिंह जी के स्थान पर एक हजार आहुतियों का हवन किया गया। 15 हजार मंत्र लिख कर शाखा कार्यालय में आ गये हैं।
-रंगेलाल शुल्क
खामगाँव (बरार) के नागझरी तीर्थ में सामूहिक जप और गायत्री की आहुतियों का हवन किया गया। 240 गायत्री चालीसा वितरण किए गए।
-कन्हैयालाल तिवारी
लश्कर (ग्वालियर) में बलवन्तगढ़ देवी जी के मन्दिर में सामूहिक जप किया गया। 50 ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। इस समारोह का श्रेय पं. बद्रीप्रसाद शर्मा को है वे अब एक बहुत बड़ा यज्ञ कराने की योजना कर रहे हैं।
-मुरलीधर डंडौतिया
खूँटी (राँची) में गायत्री सदस्यों ने 1-1 हजार आहुतियों के हवन किये। सामूहिक प्रीतिभोज और ब्रह्मभोज भी हुआ।
-देवेन्द्रनाथ साहू
नागपुर के तेलनखेड़ी स्थित “कल्याणेश्वर महादेव” मन्दिर में नागपुर गायत्री शाखा के सदस्यों ने सामूहिक हवन किया। इन सदस्यों ने नवरात्रि में लघु अनुष्ठान भी किये।
-कृपाशंकर
टीकमगढ़ (बुन्देलखंड) में कुन्डेश्वर मन्दिर पर लगभग 100 व्यक्तियों ने 7 ता. को सामूहिक हवन किया जिसका श्रेय श्री देवीदत्त जी पाँडेय ‘काका’ को है। 8 ता. को एक अन्य सदस्य श्री राधाचरणा जी खरे के घर पर हवन हुआ।
-जगतराम पस्तोरे
एरंडा (राँची) नवमी को गायत्री शाखा के सदस्यों का सामूहिक हवन हुआ जिसमें एक हजार आहुतियाँ दी गई। सदस्यों ने जप भी पूरे किये।
-बनवारीलाल जायसवाल
आसिंकपुर (मुँगेर) में गायत्री शाखा के सदस्यों ने सामूहिक जप व हवन किया जिसमें 4320 आहुतियाँ दी गई। मंत्र लेखन भी किया गया।
-राजपतिप्रसाद
सटई (बुन्देलखंड) में रामनवमी के दिन 2400 आहुतियों का यज्ञ किया गया। ता. 7 को धर्म फेरी की गई और गायत्री-उपासक सम्मेलन भी हुआ। 26601 गायत्री मंत्र भी लिखे जा चुके हैं।
- शिवप्रसाद शर्मा
जोधपुर (राजस्थान) में मंगला माताजी के मंदिर में 10 सदस्यों ने 24-24 हजार के लघु- अनुष्ठान किये। श्रीमद्भागवत का परायण व रामचरितमानस का 24 घन्टे का पाठ किया गया। अष्टमी को 24 हजार आहुतियों का हवन किया गया। भजन और कीर्तन भी बहुत उत्तम रहा। आगे के लिये सवालक्ष आहुतियों का यज्ञ करने का विचार किया जा रहा है।
-कन्हैयालाल मिश्र
काँकणपुर (गोधरा) के गायत्री परिवार के कई सदस्यों ने फलाहार पर रह कर 24 हजार जप व 24 सौ मंत्र लेखन के अनुष्ठान किये। शताँश का हवन ता. 12 अप्रैल को किया गया।
-लचुभाई मेहता
खलघाट (धार) में नवरात्रि का अनुष्ठान बड़े उत्साह से हुआ। नौमी को 24 सौ आहुतियों का हवन व ब्राह्मण भोजन हुआ। प्रसाद में गायत्री चालीसा और चित्र बाँटे गये। गायत्री चालीसा का सामूहिक पाठ हारमोनियम पर बड़े सुन्दर-ढंग से हुआ।
-व्यंकटेश दयारामशर्मा
मुहम्मदाबाद-युसफ पुर (गाजीपुर) में गायत्री शाखा के 14 सदस्यों ने नित्य 10 हजार जप किए। श्री मोहनलाल जी ने नित्य 50 माला का जप किया। नौमी को हवन किया गया।
-रामवक्षराम विशारद्
बरुर (निमाड़) में सवालक्ष जप, 1600 आहुति, 501 चालीसा के पाठ और दस हजार मंत्र लेखन का अनुष्ठान हुआ। परिवार के 12 सदस्यों ने भाग लिया। समारोह में और भी जनता ने भाग लिया।
-माँगीलाल पटेल
नुनार (झाँसी) में 11 हजार आहुतियों का यज्ञ किया गया। बरुआ सागर में भी एक बड़ा यज्ञ हुआ जिसमें गायत्री महामंत्र की आहुतियाँ दी गई।
-सालिगराम पाँडे
बहराइच (यू. पी.) में नवरात्रि का सामूहिक अनुष्ठान बड़े उत्साह और सुव्यवस्थित ढंग से हुआ। एक कमरे में गायत्री माता की मूर्ति बड़े सुन्दर ढंग से सजाई गई थी और वहीं 14 साधक निरन्तर बने रहते थे। विश्राम आदि की व्यवस्था भी वहीं थी। नौवें दिन पूर्णाहुति हुई। इस बार के अनुभव से सब को यह विश्वास हो गया कि व्यक्तिगत अनुष्ठान की अपेक्षा सामूहिक अनुष्ठान में अनोखा ही आनन्द मिलता है।
-भगौतीलाल
बीसापुर (सुल्तानपुर) में 8607 जप और हवन का अनुष्ठान किया गया। शाखा का कार्य बढ़ रहा है। 6 नये सदस्य बने हैं।
-हरिगोविन्द त्रिपाठी
जासलपुर (होशंगाबाद) में गायत्री परिवार के साधकों द्वारा सामूहिक जाप और हवन हुआ। कीर्तन और रामायण पाठ भी हुये।
- पु. आ. साखरे
खैरापलारी (सिवनी) में सामूहिक अनुष्ठान में 65 हजार जप किये और गायत्री चालीसा का भी पाठ होता रहा। नवमी को दशाँश हवन किया गया।
-रामनाथ शुल्क
अजीतगढ़ (सीकर, राजस्थान) में सदस्यों ने लघु अनुष्ठान किये। जिनकी समाप्ति पर हवन भी हुए। यज्ञ में सभी सदस्यों ने भाग लिया। गायत्री चालीसा वितरित किये गये।
- जगदीशनारायण मिश्र
जहरा (बुलन्दशहर) में नवरात्रि भर लगातार हवन किया गया। कुछ ब्रह्मचारियों को यज्ञोपवीत दिये गये।
-स्वामी आत्मानन्द
फुलवरिया (चम्पारन) में 24 हजार आहुतियों का हवन गायत्री परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया। शाखा के 10 नये सदस्य बनाये गये हैं।
-रामकर्ण मिश्र
हस्वा (फतेहपुर) में सामूहिक जप और 1600 आहुति का हवन किया गया। संध्या समय कीर्तन भजन आदि होते रहे।
-रामावतार शर्मा
कौंडगाँव (बस्तर) में गायत्री अनुष्ठान बड़े सजधज और समारोह से किया गया जिसमें अनेकों माताओं और भाइयों ने भाग लिया।
-शिवराम कौशिक
सराय तरीन (मुरादाबाद) में नवरात्रि के अवसर पर पं. मिश्रिलाल जी के यहाँ 10 हजार आहुतियों का बड़ा हवन किया गया। जिसमें गायत्री परिवार के सभी सदस्यों ने भाग लिया। अन्य सदस्यों ने भी अपने यहाँ यज्ञ किये।
-इच्छापूर्ण गौड
साले चौकारोड़ (नरसिंहपुर) में नवरात्रि भर एक माला रोज का सामूहिक हवन चलता रहा। भैयालालजी सोनी के घर पर सायंकाल को आरती और स्वाध्याय का क्रम जारी रहा।
-रामस्वरूप जैसवाल
डुमरिया (संथाल परगना) में कितने ही सदस्यों ने 24 हजार का अनुष्ठान किया। नवमी को सात सदस्यों ने 240 आहुति प्रति सदस्य के हिसाब से दीं।
-पद्माकर झा
फुसावली (बदायूँ) में नवरात्रि का समारोह बड़े ही अच्छे ढंग से चला। सब उपासकों को रात के 3 बजे उनके घरों पर जाकर उठा दिया जाता था और 4 बजे से कार्यक्रम प्रारम्भ हो जाता था। 9 ता. को हवन होने के पश्चात् नगर निवासियों को हलुवा का प्रसाद वितरण किया गया। गायत्री चालीसा, चित्र व छोटे सैट भी बाँटे गये। कन्याओं को भोजन कराया गया।
- गायत्री प्रसाद गुप्ता
सेरसा (झाँसी) के गायत्री परिवार के सदस्यों ने 81 हजार जप तथा 20 हजार आहुतियों का हवन किया गया। प्रातःकाल धर्म फेरी लगाई गई। कीर्तन, प्रवचन, कन्या भोजन और प्रसाद वितरण हुआ।
-नाथूराम तिवारी
मनसूरपुर (मुजफ्फर नगर) में गायत्री अनुष्ठान के लिये मंडप बड़े उच्च पैमाने पर सजाया गया था। नौ सदस्यों ने 240 हजार के हिसाब से जप किये। 10 हजार आहुतियों का सामूहिक यज्ञ भी किया गया।
- बनारसीदत्त शर्मा
बिजनौर में महिला गायत्री मंडल की 19 सदस्याओं ने 26 माला रोज जप तथा चालीसा के 3 पाठ नित्य किये। 48 बहिनों ने हवन में भाग लिया।
-सरस्वती देवी गुप्ता
चीरीमीरी (सरगुजा) में 24 हजार जप और 1250 आहुतियों का अनुष्ठान किया गया। ब्रह्मभोज में 10 कन्याओं को भोजन कराया।
-नारायण जटा शंकर व्यास
जमशेदपुर (बिहार) में गायत्री शाखा के आठ सदस्यों ने अनुष्ठान किया जिसकी पूर्णाहुति एक हजार आहुतियों की बुधवार को की गई। नवरात्री में दो दिन छोड़कर नित्य ही शाखा में हवन होता रहा।
- ज्ञानचन्द
रानी मूँड़ा (काला हाँडी) में सामूहिक यज्ञ और जप बड़े समारोह से हुआ। शाखा का काम अग्रसर हो रहा है।
- हरिकृष्णा शर्मा
उरदई (जालौन) में सामूहिक जप, अखंड ज्योति, 9 दिन का मौन, चालीसा पाठ, रामायण पाठ किया गया। नित्य प्रति हवन भी होता रहा। अन्तिम दिन कन्याओं को भोजन कराया गया।
-शिवकान्ती देवी मिश्र
हसनपुर (मुरादाबाद) में प्रतिदिन गायत्री का सत्संग होता रहा और 108 आहुतियों का यज्ञ भी नित्य किया गया। श्रीमती ज्ञानवती रस्तोगी ने विशेष अनुष्ठान किया।
- रामानन्द रस्तोगी
बिसनगर (उत्तर गुजरात) में 5 साधकों ने 24-24 हजार का अनुष्ठान किया और 8 ता. को 2400 आहुतियों का सामूहिक यज्ञ किया।
-चन्द्रकान्त म. याज्ञिक
अण्डा (जालौन) में सामूहिक गायत्री जप, 486 गायत्री, चालीसा का पाठ, 40806 गायत्री मन्त्र लेखन हुआ। ता. 9 को 1025 आहुतियों से पूर्णाहुति हवन किया गया।
- राम खिलावन द्विवेदी
कुन्देरा (सीतापुर) में सामूहिक जप व हवन किया गया। गायत्री चालीसा का पाठ भी हुआ।
-सोहनलाल वैद्य
बंधी (जबलपुर) में सामूहिक जप हवन व 240 गायत्री चालीसा के पाठ हुये। अन्तिम दिन धूमधाम से हवन किया गया।
-शारदाकाँत श्रीवास्तव
चेचट (कोटा) में गायत्री जप व रामचरित मानस के पाठ का मिला जुला कार्यक्रम बनाया गया। मानस के अखंड पाठ के साथ गायत्री चालीसा के भी 40 पाठ नित्य प्रति हुये। अखंड दीप, पूजन, व रात्रि में सत्संग की भी व्यवस्था अच्छी रही।
-मोतीलाल शर्मा
डेरापुर (कानपुर) में परिवार के अनेक सदस्यों ने 24 हजार के अनुष्ठान किये। नवमी को सामूहिक यज्ञ भी समारोहपूर्वक हुआ।
-सतीश नारायण मिश्र
बुलन्द शहर में गायत्री अनुष्ठान के पूर्व 24 घन्टे का अखंड रामायण पाठ किया गया। गायत्री परिवार के सब साधकों ने 24-24 हजार के अनुष्ठान किये और गायत्री चालीसा का पाठ किये।
-रामचरन सिंह
मझोला (पीलीभीत) में सब सदस्यों ने मिल कर सामूहिक जप व हवन किया। 24 मंत्र लेखन व गायत्री चालीसा के पाठ नित्य हुये।
-लक्षमण सिंह मनराल
रेडरी (सीतापुर) में सामूहिक जप व हवन किया गया
-बजरंग सिंह
झालावाड़ (राजस्थान) में श्री माधोलाल शर्मा ने 50 हजार जप व 5 हजार आहुतियों का यज्ञानुष्ठान किया। श्री विश्वम्भर प्रसाद ने भी उत्साहपूर्वक अनुष्ठान किया। इन्होंने पहले भी ऐसा अनुष्ठान किया था।
परिवार के अन्य सदस्यों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया।
गोविन्दपुर (काला हाँडी) में सब सदस्यों द्वारा सामूहिक अनुष्ठान किया गया। सदस्यों में काफी उत्साह है।
-रविशंकर वेहेरा
विक्रमपुर (बरेली) में सामूहिक अनुष्ठान में 3 लाख 20 हजार जप व 32 हजार आहुतियों दी गई। समीपस्थ शाखाओं के सदस्यों का सहयोग बड़ा ही सराहनीय रहा। कीर्तन व चालीसा पाठ का कार्यक्रम भी बड़ा आकर्षक रहा।
-चतुर्भुज गंगवार
गया (बिहार) के गायत्री परिवार के सभी सदस्यों ने 24-24 हजार के अनुष्ठान किये। गायत्री चालीसा का पाठ हारमोनियम के साथ किया गया। मंत्र लेखन भी किया गया। रामनवमी को 2400 आहुतियों का हवन किया गया। आत्मदानी प्रेमप्रभा जी ने इस कार्य में सराहनीय सहयोग दिया। ब्रह्मभोज, कन्या भोज तथा ब्रह्मदान (चालीसा) वितरण भी हुआ
-धर्मेन्द्र सिंह अध्यापक
खानपुर (झलावाड़) में नवरात्रि में साधकों ने अनुष्ठान का जप किया। रामनवमी के ब्रह्माणी देवी पर सामूहिक हवन व भोज हुआ। ता. 6 से 11 तक हरीगढ़ ग्राम के साधकों ने 24 हजार आहुतियों का यज्ञ कराया। जिसमें आसपास के बहुसंख्यक साधकों ने भाग लिया।
-मंत्री, शाखा सभा
कनगेटी (मन्दसोर) में सात सदस्यों ने चालीसा के 240-240 पाठ किये और एक-एक पुरश्चरण भी किया।
-वैद्य गेंदालाल समाधिया
मलेहटा (हमीरपुर) में गायत्री परिवार के 13 सदस्यों 24-24 हजार के अनुष्ठान किये और 3120 आहुतियों का हवन किया गया। साथ में भजन, कीर्तन, रामायण, ब्राह्मण भोजन का कार्यक्रम रहा।
-विष्णुदत्त शर्मा
काँकेर (बन्तर) में 7 सदस्यों ने 24-24 हजार जप तथा 240 चालीसा का पाठ किये । ता. 10 को सामूहिक यज्ञ हुआ जिसमें 1440 आहुतियाँ दी गई।
-महतरदास कश्यप
गोंडा में सभी सदस्यों ने नित्य प्रति हवन किया और नवमी के दिन 15 हजार आहुतियों का यज्ञ किया गया। बच्चों की आहुतियाँ इससे अलग थीं। 25 कन्याओं और 15 साधुओं को भोजन कराया गया। ज्ञानदान में गायत्री चालीसा और 8 ट्रैक्टों के सेट बाँटने का संकल्प किया गया।
-राम सेवक त्रिपाठी
श्योपुर कलाँ (मुरेना) में सवालक्ष जप और 1250 आहुतियों का अनुष्ठान नवमी को सकुशल पूर्ण हो गया। कुछ रूढ़िवादी विघ्न डालना चाहते थे पर माता की कृपा से समय पर वे सब अनुकूल हो गये।
-देवी शंकर वैद्य
खुसरुपुर (पटना) के गायत्री मन्दिर पर नवरात्रि के लिये नौ नये कुण्ड बनाये गये जिनमें समारोह पूर्वक यज्ञ किया गया। ध्वाजारोपण के साथ चालीसा और प्रसाद का वितरण भी किया गया।
-बालकृष्णा वैद्य
कसहीबहरा (रायपुर) में 56 हजार जप और 2520 आहुतियों का अनुष्ठान किया गया। गायत्री चालीसा का प्रचार किया गया।
-राम गरीब अग्रवाल
मेरमाचाह (कोटा) में सात सदस्यों ने गायत्री जप व हवन का अनुष्ठान बड़े उत्साह से किया।
-माघौलाल गुप्ता
लुधियाना में गायत्री शाखा के सभी सदस्यों ने गायत्री के जप तथा गायत्री चालीसा के पाठ का अनुष्ठान बड़ी श्रद्धा से किया। इसका समस्त श्रेय माता विद्यावती जी बिजनौर को है।
-कृष्णकुमार छावड़ा
हथगाँव (फतेहपुर) में 2 लाख 88 हजार जप और तदनुसार आहुतियों का अनुष्ठान बड़े समारोह से हुआ जिसमें दस महिला सदस्याओं ने भाग लिया। 10 वें दिन पूर्णाहुति के यज्ञ में 50 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया व गरी के गोले यज्ञ भगवान को चढ़ाए। चालीसा वितरण व कन्या भोजन भी हुआ।
-जगमोहन लाल निगम
बिजौली (फतेहपुर) में गायत्री अनुष्ठान बड़े उत्साह से मनाया गया। सामूहिक यज्ञ चौधरी गजराज सिंह के यहाँ किया गया। पश्चात् तीन आदमियों की टोली प्रचार हेतु बिजौली से कौंहग्राम गई और 5 नये सदस्य बनाये।
-राम सनेही वर्मा
भगौनापुर (फतेहपुर) में गायत्री परिवार के सदस्यों ने 24-24 हजार जप के अनुष्ठान किये। चालीसा का पाठ हारमोनियम पर समस्त शाखा-बन्धुओं द्वारा किया जाता रहा। कीर्तन भी होता था। नवमी का सामूहिक हवन हुआ ।
-मोहनलाल वर्मा
भाऊपुरा (इटावा) में शाखा के सब सदस्यों ने अनुष्ठान में भाग लिया। कुल 3840 आहुतियों का हवन हुआ। कन्याओं को भोजन कराके दक्षिणा दी गई।
-पदम् नारायण वरुणा
सागाँनभाड़ी (कालाहाँडी, उड़ीसा) में शाखाओं के 105 सदस्यों ने सम्मिलित होकर 15 लाख जप और दस हजार आहुतियों का हवन किया। दो हजार चालीसा पाठ व दस हजार मंत्र लेखन भी किया गया। उपासकगण नित्य कार्यक्रम के अनुसार उपासना करके हविवात्र करते थे और एक रात में तीन बजे उठकर उदन्ती में स्नान करते थे।
-विनायक प्रसाद शर्मा
एलिचपुर (बरार) में सात दिन तक स्वामी शंकरनन्द जी के स्थान पर गायत्री का जप व हवनकार्य सम्पन्न हुआ। जिसमें बहुसंख्यक नर-नारियों ने भाग लिया। आखिरी दिन गरीब तथा श्रद्धालु भक्तों को ब्रह्मभोज दिया गया। स्वामी शंकरानंद जी ने इस कार्य में हर तरह से प्रेरणा और सहायता दी।
-गोविन्द नारायण मिश्र
तनोड़िया (शाजापुर) में श्री नाहरसिंह जी राजपूत और नारायण सिंह जी राजपूत के यहाँ दो सामूहिक हवन सात हजार आहुतियों के सम्पन्न हुए। हर रविवार को सामूहिक यज्ञ का कार्यक्रम निश्चय कर लिया गया है।
-मुन्नालाल कनेरियन
मनसूरपुर (होशंगाबाद) में नवरात्रि में सदस्यों ने जप व गायत्री चालीसा के 27 पाठ प्रतिदिन किये। भिलाड़िया में भी गुलाबसिंह के यहाँ हवन हुआ।
-दत्तात्रय जाणशी
लसूल्डिया (उज्जैन) में 5 सदस्यों ने 24-24 हजार के अनुष्ठान किये और तीन सदस्यों ने 108-108 चालीसा के पाठ किये। 2150 आहुतियों का हवन किया गया।
-मेवादास वैष्णव
नीमरानी (खरगोन) की शाखा में सामूहिक अनुष्ठान किया गया। जिसमें सब सदस्यों ने सहयोग दिया।
-रामेश्वर सोहनी
रोसड़ा (दरभंगा) में गायत्री परिवार की तरफ से 48 हजार जप व 2800 आहुति का अनुष्ठान भरतदासजी के मन्दिर में हुआ।
-विरेन्द्रप्रसाद नायक
हरीगढ़ (कोटा) में अनेक सदस्यों के 24-24 हजार के अनुष्ठान किये । 300 आहुतियों का हवन नित्यप्रति होता रहा और 9 अप्रैल को 24 आहुतियों का यज्ञ किया गया।
-मदनगोपाल बोहरा
गोरहाट (आसाम) में 10 अप्रैल को नवरात्रि के उपलक्ष में सामूहिक हवन किया गया जिसमें 20 सज्जन सम्मिलित थे।
-वेददत्त
श्रीपतपुर (कानपुर) में नवरात्रि में नित्यप्रति हवन किया गया। अन्तिम दिन 240 आहुतियाँ दी गई। शाखा का कार्य सफलतापूर्वक अग्रसर हो रहा है ।
- रूपनारायण त्रिपाठी
फल्यापुर (नीमाड़) नवरात्रि की पुनीत बेला पर प्रत्येक सदस्य ने व्यक्तिगत अनुष्ठान और चालीसा पाठ कर के सामूहिक पुरश्चरण एवं यज्ञ किया 19800 आहुतियाँ डाली गई। पाँच दिन सत्संग हुये जिनमें गायत्री उपासना में समय-समय पर उत्पन्न होने वाली सदस्यों की कठिनाइयों का समाधान किया गया।
-वना रूपचंद पटेल
खामगाँव (बुलढाना) में नवरात्रि का हवन सोमवार की रात्रि को 10 बजे से 11 बजे तक 3100 आहुतियों का किया गया। वहाँ सजावट तो किसी प्रकार की न थी, पर साधकों तथा दर्शकों की भावना से वह भरापूरा था। मंगल के दिन कन्या और बालकों का भोजन हुआ। यथासंभव अनेक सज्जनों के घर पर भी प्रसाद पहुँचाया गया।
-जयनारायण ब्रह्मचारी
इन्दौर में श्री बाबूराव जमींदार ने चैत्र शुक्ल 1 से 24 लक्ष जप का पुरश्चरण शुरू किया है। रविवार को उनके 475 आहुतियों का हवन किया गया।
-प्रत्यक्षदर्शी
कोडक्या (राजस्थान) में प्रतिदिन मंडी पर 3 हजार आहुतियों का यज्ञ किया गया और अष्टमी को 24 हजार की पूर्णाहुति की गई। प्रतिदिन रामायण का परायण होता था। खीर-खाँड का भोजन बालकों व साधुओं को कराया गया और गाँव वालों को भी प्रसाद में मिठाई बाँटी गई। स्कूल के लड़कों ने 2160 म