પાયો મજબૂત બનાવો

સપ્ટેમ્બર 1986

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अखंड ज्योति कहानियाँ
शब्द ब्रह्म नाद ब्रह्म
मनन करने से जो त्राण करे, उसे मंत्र कहते हैं ।। मंत्रविद्या का विस्तार असीम है, उसमें अनेकानेक शब्दगुच्छक हैं ।। अनेक शब्दों में मंत्रों का विस्तार हुआ है ।। उनके जप तथा सिद्धिपरक अनेकानेक योगाभ्यास भी हैं, कर्मकांड भी, किंतु उन सबके मूल में एक ही ध्वनि आती है- वह है ओंकार ।। यही शब्दब्रह्म- नादब्रह्म की धुरी है ।। शब्दब्रह्म यदि मंत्र विज्ञान की पृष्ठभूमि बनाता है तो नादब्रह्म की स
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