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Akhand Jyoti
Year 1987
Version 1
उत्कर्ष का राजमार्ग
उत्कर्ष का राजमार्ग
December 1987
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Page Titles
उत्कर्ष का राजमार्ग
गिलहरी का आदशर्वादी पुरुषार्थ
आत्मबोध से लक्ष्य प्राप्ति
बुद्धि क्षेत्र से परे अपरोक्षानुभूति
दुबुर्द्धि एवं सद्बुद्धि
इंद्रिय निग्रह और धमर्धारणा
व्यामोह का मायाजाल
विचारों की असाधारण सामर्थ्य और परिणति
भूल भुलैया में भटके हुए हम
तृतीय नेत्र एक शक्तिशाली ऊर्जा केन्द्र
सिद्धियाँ कब फलीभूत होती हैं
नादयोग द्वारा आत्म पयर्वेक्षण
अदृश्य चेतना का दृश्य उभार
गहन परिवतर्न की आवश्यकता
यह ब्रह्माण्ड न तो अनगढ़ है न बेतुका
वस्तु स्वरूपं स्फुट बोध चक्षुषा
प्रतिकूलताएँ कभी बाधक बनती
स्वप्न की सत्ता का वैज्ञानिक विवेचन
अन्तगर्रर्ही प्रभावों के घेरे में मनुष्य एवं पयार्वरण
कत्तर्व्यपालन-एक योगाभ्यास
काय ऊर्जा के सुनियोजन से सप्रखरता का विकास
कीतिर्मानों की सनक
आकृतियों की असाधारण प्रभाव क्षमता
जीवन सीमित अवधि के लिए मिला पारस
वह जो कभी आपने देखा नहीं
पृथ्वी से परे भी जीवन विद्यमान है
बढ़ती अनैतिकता और डायनी माहौल
विनाश की सम्भावना भी भूलें नहीं
नवसृजन हेतु कटिबद्ध प्रज्ञा परिवार की नूतन गतिविधियाँ
अपनों से अपनी बात-हम बौने बनकर न रह जाएँ
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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