अध्यात्म क्या था? क्या हो गया? क्या होना चाहिए?

आत्मिकी एक सर्वांगपूर्ण आत्मपरिष्कार का विज्ञान है। अध्यात्म, धर्म धारणा इत्यादि नामों से इसे पुकारा जाता रहा है। अध्यात्म क्षेत्र को विज्ञान की ओर से सतत चुनौती मिलती रहती है क्योंकि उस पर भ्रान्तियों, मूढ़मान्यताओं का एक कुहासा छाया हुआ है। अध्यात्म के शाश्वत, सनातन, अनादि रूप को ऋषियों ने आप्तवचनों के माध्यम से प्रकट किया एवं वही आज हमारे समक्ष बदलते हुए रूप में विद्यमान है। इसका क्या कारण है? आखिर क्यों विज्ञान को ऐसा मौका मिला कि वह अध्यात्म पर प्रहार कर सका? अध्यात्म ने विज्ञान द्वारा उठाए गये सन्देहों पर विवेक सम्मत उत्तर देने के स्थान पर खीझ अधिक व्यक्त की। यही कारण है कि अध्यात्म विज्ञान संदेहों, अप्रामाणिकता के आरोपों का शिकार होता चला गया। यह मध्यकाल के पतन पराभव की चरम परिणति मानी जा सकती है।

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