उपासना-साधना-आराधना
देवियो,
भाइयो! गायत्री मंत्र तीन टुकड़ों में बँटा हुआ है । आध्यात्मिक साधना का
सारा का सारा माहौल तीन टुकड़ों में बँटा हुआ है । ये हैं उपासना, साधना और
आराधना । उपासना के नाम पर आपने अगरबत्ती जलाकर और नमस्कार करके उसे समाप्त
कर दिया होगा, परंतु हमने ऐसा नहीं किया । हमने अगरबत्ती जलाकर प्रारंभ तो
अवश्य किया है, परंतु समाप्त नहीं किया । हमने अपने जीवन में अध्यात्म के
जो भी सिद्धांत हैं, उन्हें अवश्य धारण करने का प्रयास किया है । त्रिवेणी
में स्नान करने की बात आपने सुनी होगी कि उसके बाद कौआ, कोयल बन जाता है ।
हमने भी उस त्रिवेणी संगम में स्नान किया है, जिसे उपासना, कहते हैं ।
वास्तव में यही अध्यात्म की असली शिक्षा है ।
उपासना माने भगवान के नजदीक बैठना । नजदीक बैठने का भी एक असर होता है ।
चंदन के समीप जो पेड़-पौधे होते हैं, वह भी सुगंधित हो जाते हैं । हमारी भी
स्थिति वैसी ही हुई । चंदन का एक बड़ा सा पेड़, जो हिमालय में उगा हुआ है,
उससे हमने संबंध जोड़ लिया और खुशबूदार हो गए ।
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