‘‘व्यक्ति के परिवर्तन से ही समाज, विश्व एवं युग का परिवर्तन संभव है। इस धरती पर स्वर्ग का वातावरण सृजन करने के लिए हमें जन मानस का स्तर बदलना पड़ेगा। आज जिस स्वार्थपरता, संकीर्णता, असंयम और अनीति ने अपने पैर पसार रखे हैं, उसे हटाने का प्रयत्न करना होगा और उसके स्थान पर सज्जनोचित सद्भावनाओं एवं सत्प्रवृत्तियों को प्रतिष्ठापित करना पड़ेगा। यह कार्य केवल कहने-सुनने से, लिखने-पढ़ने से संभव नहीं। इसके लिए प्रयत्न यह करना होगा कि परिष्कृत आध्यात्मिक दृष्टिकोण के अनुसार लोग अपना जीवन क्रम बनावें।’’
—वेदमूर्ति पं. श्रीराम शर्मा आचार्य —माता भगवती देवी शर्मा