बालक विष्णुगुप्त ने मां को रोते हुए देखा तो बहुत चिंतित हो उठा। विष्णुगुप्त के लिए इस संसार में अपना कोई था तो मां और उस वृद्धा के लिए कोई था जिसे वह अपने बुढ़ापे का सहारा कह सके तो विष्णु गुप्त। इसलिए बालक का चिंतित हो उठना स्वाभाविक था। उसने पूछा—‘‘मां! तुम क्यों रो रही हो।’’