बालकों का भावनात्मक निर्माण

बच्चों की देखभाल, पालन-पोषण करने में विकसित व्यक्ति को ही अपना चातुर्य और अपनी योग्यता पर्याप्त मात्रा में लगानी पड़ती है। इसलिये छोटे बच्चों की देखभाल अल्पविकसित एवं विकासशील बड़ी आयु के बच्चे को सौंप देना बिल्कुल ही अस्वाभाविक होगा। हर बच्चे को प्रारम्भिक सहानुभूति पूर्ण समझदारी की बड़ी जरूरत होती है और यह उसे किसी अनुभवी व्यक्ति से ही मिल सकती है। मेरे विचार से किसी बच्चे पर घर को अकेला छोड़ देना या उस पर पूरा खाना बनाने का काम छोड़ देना या सारे घर की सफाई का काम उस पर डाल देना आदि कुछ ऐसी जिम्मेदारियां हैं जो उगते हुए बच्चे के लिए बहुत भारी होती है और उन पर नहीं डाली जानी चाहिए।

जब बच्चे कुछ बड़े हो चलें तो उनसे यह आशा की जा सकती है कि वे अपने कपड़े और खिलौने साफ रखें अपना हाथ मुंह अपने आप धोकर सफाई से कपड़े पहन लें। लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें आरम्भ से तैयार करते रहना चाहिए कि वे अपना काम आप कर लें और जहां तक हो सके बड़ों की सहायता के आसरे में न रहें। बच्चे कुत्ते, बिल्ली जानवर भी बड़े चाव से पालते हैं। तो यह भी करना चाहिए कि वे अपने जानवर की देख-भाल खुद करें। ऐसा कर सकना हर छोटे बच्चे के लिए बड़ा कठिन होता है और उसे उस क्षेत्र में स्वतन्त्र बना देने के लिए यह आवश्यक है कि उसे आरम्भ में काफी मदद दी जाये। इस सम्बन्ध में सफाई करना और खाना खिलाना ये दो ही ऐसी बातें हैं जो नियमित रूप से होनी चाहिए। जब शुरू में कोई जानवर पालता है तो उसका पालन पोषण उत्साह-पूर्वक करता है लेकिन ज्यों ज्यों समय बीतता है उसका उत्साह ठण्डा पड़ता जाता है और उसे उस काम में ऊब हो जाती है।
" name="txtdata" type="hidden" lang="english" />
बच्चों की देखभाल, पालन-पोषण करने में विकसित व्यक्ति को ही अपना चातुर्य और अपनी योग्यता पर्याप्त मात्रा में लगानी पड़ती है। इसलिये छोटे बच्चों की देखभाल अल्पविकसित एवं विकासशील बड़ी आयु के बच्चे को सौंप देना बिल्कुल ही अस्वाभाविक होगा। हर बच्चे को प्रारम्भिक सहानुभूति पूर्ण समझदारी की बड़ी जरूरत होती है और यह उसे किसी अनुभवी व्यक्ति से ही मिल सकती है। मेरे विचार से किसी बच्चे पर घर को अकेला छोड़ देना या उस पर पूरा खाना बनाने का काम छोड़ देना या सारे घर की सफाई का काम उस पर डाल देना आदि कुछ ऐसी जिम्मेदारियां हैं जो उगते हुए बच्चे के लिए बहुत भारी होती है और उन पर नहीं डाली जानी चाहिए।

जब बच्चे कुछ बड़े हो चलें तो उनसे यह आशा की जा सकती है कि वे अपने कपड़े और खिलौने साफ रखें अपना हाथ मुंह अपने आप धोकर सफाई से कपड़े पहन लें। लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें आरम्भ से तैयार करते रहना चाहिए कि वे अपना काम आप कर लें और जहां तक हो सके बड़ों की सहायता के आसरे में न रहें। बच्चे कुत्ते, बिल्ली जानवर

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118