अध्यात्म साधना का परम लक्ष्य अपने दृष्टिकोण को खंड- खंडता, विभिन्नता, संकीर्णता से हटाकर सर्वत्र विश्वात्मा, परमात्मा की विराट सत्ता का दर्शन और उसकी अनुभूति प्राप्त करना है । जिस क्षण उस विश्वात्मा की अनुभूति प्राप्त होगी, उसी क्षण समस्त पाप, ताप, अभ्यासजनित संस्कार आचरण का अंत हो जाएगा । अनंत आत्मबल विकसित होगा और सर्वत्र आनंदरूपी अमृत के ही दर्शन होंगे । इस अनंत आत्मबल और अनंत आनंद की उपलब्धि ही अध्यात्म दृष्टिकोण का सर्वोत्तम सत्परिणाम है ।