इस पुस्तक में सूर्य- किरणों की महत्ता बताई है और सूर्य- सेवन से स्वस्थ
रहने पर जोर दिया गया है। साथ ही क्रोमोपैथिक साइंस के आधार पर रंगीन
कांचों की सहायता से किरणों में से आवश्यक रंगों का प्रभाव लेकर उनके
द्वारा रोग निवारण की विधि बताई गई है। इस चिकित्सा विधि से योरोप तथा
अमेरिका में विगत ५० वर्षों से चिकित्सा हो रही है। वहाँ इस चिकित्सा
विज्ञान में असाधारण सफलता प्राप्त हुई है। अब इसका प्रचार भारतवर्ष में भी
हुआ है। जहँ- जहाँ इस पद्धति के अनुसार चिकित्सा की गई है। आशाजनक लाभ हुआ
है।
सूर्यआत्मा जगस्तस्थुषश्च ।। यजु०७/४२
सूर्य संसार की आत्मा है। संसार का संपूर्ण भौतिक विकास सूर्य की सत्ता पर
निर्भर है। सूर्य की शक्ति के बिना पौधे उग नहीं सकते, अण्डे नहीं बढ़ सकते,
वायु का शोधन नहीं हो सकता, जल की उपलब्धि नहीं हो सकती अर्थात कुछ भी
नहीं हो सकता। सूर्य की शक्ति के बिना हमारा जन्म होना तो दूर, इस पृथ्वी
का जन्म भी न हुआ होता।
स्वस्थ जीवन बिताने के लिए सूर्य की सहायता लेने की हमें बड़ी आवश्यकता है।
इस महत्व को समझ कर हमारे प्राचीन आचार्यों ने सूर्य प्राणायाम, सूर्य
नमस्कार, सूर्य उपासना, सूर्य योग, सूर्य चक्रवेधन, सूर्य यज्ञ आदि अनेक