आज की उपद्रव रहित स्थिति देखकर नारी जागरण की समस्या को समस्या ही न मानने वाले लोग यदि गंभीरतापूर्वक विचार करें तो उन्हें लगेगा कि यही सबसे प्रमुख समस्या है और अपना समाधान आज ही मॉंगने का आग्रह कर रही है । संसार के सभी देशों की महिलाओं की अपने-अपने ढंग की समस्याएँ हैं । उन सबको तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद समझा जा सकता है कि हमारे देश की महिलाओं के पिछडे़पन की समस्या और भी अधिक कष्टकारक है । उसे सुलझाने को विवेकशील वर्ग ने चुनौती फेंकी है । समाधान आवश्यक है और वह होना चाहिए ।