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महाशक्ति की लोकयात्रा
महाशक्ति की लोकयात्रा
गुरुसत्ता के महाप्रयाण के बाद मातृसत्ता का संदेश
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Page Titles
माँ
समस्त संवेदनाओं का मूल-मातृतत्व
दिव्य ज्योति के अवतरण की वेला
विशिष्ट वर्ष में अवतरित हुई महाशक्ति
बाल्यकाल के लीला प्रसंग
बालक्रीड़ा में झलकती दिव्य भावनाएँ
ध्यान की कहनता में दिखाई दिया अतीत
आराध्य से मिलन की भावभूमिका
मातृत्व के साथ निभा अलौकिक दाम्पत्य
परिवार ही नहीं, सबकी माताजी
मातृत्व का आँचल बढ़ता ही चला गया
युगशक्ति की प्राण प्रतिष्ठा गायत्री तपोभूमि में
कण-कण में समाया आत्मवत् सर्वभूतेषु का भाव
to be remove
शिव और शक्ति का अद्भुत अन्तर्मिलन
संचालन सार्मथ्य का लौकिक प्राकट्य
दिव्य साधनास्थली का चयन
भावपरक विदाई लेकर शांतिकुंज आगमन
सिद्धिदात्री माँ की प्रगाढ़ होती साधना
गुरुदेव की वापसी एवं प्राण प्रत्यावर्तन का क्रम
शांतिकुंज का समग्र सूत्र संचालन
सन्तानों पर प्यार व आश्शीष लुटाने वाली माँ
महाशक्ति में समाने का शिव संकल्प
भाव-विह्वल, वियोग महातप करने वाली माँ
प्राकट्य हुआ महाशक्ति की महिमा का
संस्कृति सम्वेदना ने पाया राष्ट्रव्यापी विस्तार
प्रवासी परिजनों ने पाया भावभरा दुलार
महामाया समेटने लगीं अपनी योगमाया
महामिलन हेतु महाप्रयाण की वेला
अपनी सन्तानों को माँ का आश्वासन
शिष्यों की करुण याचना-क्षमा प्रार्थना
गुरुसत्ता के महाप्रयाण के बाद मातृसत्ता का संदेश
हम सन्तानों के संकल्प-चरणों में अनुरक्ति की भावभरी कामना
परम वंदनीय माताजी के जीवन के महत्वपूर्ण सोपान
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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