सन् 1919 की रूस की राज्य-क्रान्ति के अवसर पर मास्को के पास कही एक महत्त्वपूर्ण रेलवेलाइन टूटी पड़ी थी। वहाँ के बहुत से मजदूरों ने अपना शनिवार की छुट्टी का समय अवैतनिक रूप से देकर इस लाइन की मरम्मत करने का निश्चय किया। रूस के कर्ता धरता लेनिन घायल होने पर भी इस कार्य में भाग ले रहे थे और दिन भर लट्ठों को अपने कंधे पर ढोते थे। वर्ष भर पूरा हो जाने पर मजदूरों ने इस श्रम-यज्ञ की वर्षगाँठ मनाई। उस अवसर पर भाषण करते हुए लेनिन ने कहा-साम्यवादियों का श्रम समाज-कल्याण के लिये होता है। वह किसी इनाम या आर्थिक लाभ के लिये नहीं वरन ‘बहुजन हिताय’ अर्पित किया जाता है।”