सन्त वायजीद कहीं नहाने जा रहे थे ; उन्होंने कुत्ते को पास आते देखकर, अपना पायजामा घुटनों से ऊपर कर लिया, ताकि उसके छू जाने से अपवित्र न हों। कुत्ते ने कहा - “संत मेरे छू जाने से तुम कपड़े को पानी से धो सकते थे पर जो नफरत तुम्हारे मन में उपजी है वह तो सात नदियों में नहाने पर भी न धुल सकेगी। वायजीद पछताये कि “मैं इस कुत्ते तक से मोहब्बत न कर सका, तो अल्लाह की इनायत किस तरह पा सकूँगा।”