महकने वाले फूलों में गंध इसलिए होती है कि उसकी मोहक मस्ती से आकर्षित होकर उड़ने वाले कीड़े उस पर आकर बैठें और अपने परों, पैरों में लपेट कर नर और मादा पुष्पों का पराग एक दूसरे तक पहुंचाने के यान वाहन बनें। फूलों का फल बनने का अवसर इसी प्रत्यावर्तन द्वारा सम्भव होता है। यदि पुष्पों में गंध न हो तो पक्षी उन पर बैठने के लिए लालायित न हों। गंधों में भिन्नता न हो तो उन कीड़ों में एक के बाद दूसरे का रसास्वादन करने की इच्छा न हो। ऐसी दशा में पुष्पों का पराग वंध्या होकर ही रह जाय और उन्हें फलने के अवसर से वंचित ही रहना पड़े।
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