एक अनुरोध मतदाताओं से

हमारा संविधान और लोकतंत्र २६ जनवरी १९५० को हमारा संविधान लागू हुआ । यह पूर्णत: गणतंत्र पर आधारित है । इसमें जाति, धर्म, मूल, वर्ग, भाषा आदि का कोई भेदभाव नहीं है । सब नागरिक स्वतंत्र हैं और स्वेच्छानुसार कोई भी धर्म अपना सकते हैं । समान अधिकार हैं और सबके कर्त्तव्य समान हैं । धर्मनिरपेक्ष समाजवादी सिद्धांत को हमने अपनाया है । इसमें लोकमत के आधार पर निश्चित समय में चुनाव होते हैं । इस तरह केंद्र में संसद एवं राज्यों में विधान मंड़लें बनती हैं । ये राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं । कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका को हमारे संविधान के अनुसार पूरी स्वतंत्रता मिली हुई है और वे अपने आदर्शों के अनुकूल निष्पक्ष कार्य करते हैं । मुख्य चुनाव अधिकारी सब चुनाव सपन्न कराता है। जिसकी सहायता क्षेत्रीय चुनाव अधिकारी एवं प्रांतीय सरकारें करती हैं । हमारे देश में हुए अब तक के सभी निर्वाचनों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत में एक सशक्त और निष्पक्ष लोकतंत्र की संभावनाएँ हैं । जनता उपयोगी न समझने पर प्रचंड बहुमत वाली पार्टी को भी गिरा देती है और उपयोगी होने पर अल्पमत वाले दल को सत्तासीन कर देती है । परंतु आज आम मत या लोकमत स्पष्ट नहीं है

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