विवाद से परे ईश्वर का अस्तित्व

ईश्वर का अस्तित्व एक ऐसा विवादास्पद प्रश्न है, जिसके पक्ष और विपक्ष में एक से एक जोरदार तर्क-वितर्क दिये जा सकते हैं। तर्क से सिद्ध हो जाने पर न किसी का अस्तित्व प्रमाणित हो जाता है और 'सिद्ध' न होने पर भी न कोई अस्तित्व अप्रमाणित बन जाता है। ईश्वर की सत्ता में विश्वास उसकी नियम व्यवस्था के प्रतिनिष्ठा और आदर्शों के प्रति आस्था में फलित होता है, उसी का नाम आस्तिकता है । यों कई लोग स्वयं को ईश्वर विश्वासी मानते यताते हैं, फिर भी उनमें आदर्शों व नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था का अभाव होता है। ऐसी छद्म आस्तिकता के कारण ही ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लगता है । नास्तिकतावादी दर्शन द्वारा ईश्वर के अस्तित्व को मिथ्या सिद्ध करने के लिए जो तर्क दिये व सिद्धांत प्रतिपादित किये जाते हैं वे इसी छद्म नास्तिकता पर आधारित है । आस्तिकवाद मात्र पूजा-उपासना की क्रिया-प्रक्रिया नहीं है उसके पीछे एक प्रबल दर्शन भी जुड़ा हुआ है, जो मनुष्य की आकांक्षा चिंतन-प्रक्रिया और कर्म-पद्धति को प्रभावित करता है।

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