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Akhand Jyoti
Year 2008
Version 1
या देवी सर्वभूतेषु...
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता
September 2008
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Page Titles
सहनशील ही जीतता है
दरकता दाम्पत्य जीवन, बढ़ता तनाव, बढ़ते अपराध
जीवन प्रबन्धन के कूछ स्वर्णिम सूत्र
साधना व तपस्या में डूबने का आनन्द
पंचमुखी गायत्री से मिलती है दस सिद्धियाँ
भक्तिगाथा-३२ : तपस्वी का राजगृत में आना एक रहस्य
सूक्ष्म वातावरण के अनुकूलन की प्रचण्ड प्रक्रिया
आदिशक्ति की लीलाकथा-२१ : जगन्माता की ध्यानमूर्ति की विशेषताएँ
गायत्री मन्त्र क्यों है महामन्त्र, गुुरुमन्त्र
कैसे राह पर लाएँ समस्याग्रस्त युवा मन को
इच्छाशक्ति परमात्मा का सबसे दिव्य अनुदान
बढ़ती हिंसा का क्या हो समाधान
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता
कहाँ ले जाएगा यह गति व प्रगति हमें
आर्युवेद-६४ : स्वस्थवृत्त का विज्ञान-पंचमहाभुत एवं आर्युवेद
अब जरूरी है वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों का प्रयोग
योगचिकित्सा-२१: कैसे ठीक हो अनियन्त्रित मूत्रोत्सर्जन
भोग पूर्ण होते ही प्राप्त होती है कैवल्य अवस्था
रामकाज हेतु बजरंगबली को मिली दैवी कृपा
परिष्कृत तपःपूत वाणी से होते हैं चमत्कार
युगगीता-१०४ : योगी पुण्यफलों का अतिक्रमण कर ईश्वरत्व को प्राप्त होता है
चेतना की शिखर यात्रा-७६ : साधना और संजीवनी
कुछ आप कहें कुछ हम
गीता व ध्यान की कक्षाओं ने किया है कायाकल्प (विवि-४३)
शताब्दी वर्ष की उलटी गिनती आरम्भ
मातृस्मरण कविता
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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