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Akhand Jyoti
Year 2008
Version 1
''प्रचोदयात्' शब्द का...
''प्रचोदयात्' शब्द का अर्थ है उज्ज्वल भविष्य की सद्बुद्धि की प्रेरणा
March 2008
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Page Titles
होली के गीत
कहाँ ले जाएगी यह चकाचौंध हमें
अन्तर्भावों का दर्पण हैं आँखें
विज्ञान की एकांगी यात्रा ने हमारी सम्वेदनाएँ छीनी हैं
अपने अस्तित्व की अनुभूति ही अध्यात्म है
आपकी हथेली बताएगी आपका भूत-भविष्य
भक्तिगाथा-२६ : भक्ति ज्ञान से, कर्म से एवं योगसिद्धि से भी श्रेष्ठ है
प्रकृति को माता मानें, उसका सम्मान करें
'पितरों को श्रद्धा दें, वे आप पर शक्ति बरसायेंगे
आदिशक्ति की लीलाकथा-१५ : चमत्कारी मन्त्रमाला देवी सूक्तम्
'सौन्दर्य के व्यवसायीकरण ने बदल दिए मानदण्ड
''प्रचोदयात्' शब्द का अर्थ है उज्ज्वल भविष्य की सद्बुद्धि की प्रेरणा
संकल्प मन्त्र के पीछे छिपी वैज्ञानिकता
होली विशेष : प्रकट हो नृसिंह पराक्रम, तब मिटेगा कुचक्र
गायत्री जप एक यज्ञ भी, विज्ञान भी
मनोयोग व श्रम के साथ जुड़ जाए परहित तो
आर्युवेद-५८ : स्वस्थवृत्त का विज्ञान-सद्वृत्त एवं आचार
स्नेह-सद्भाव सीखने जाना होगा चिडि़याघर
योग चिकित्सा-१५ : कैसे हो ब्रोंकाइटिस ठीक
साधक के भविष्य के दुःख स्वतः नष्ट हो जाते हैं
केसरीकुमार कहलाए हनुमान
दो ही संपत्ति, दो ही विभूति : योग एवं तप
युगगीता-९८ : नामुपेत्य पुनर्जन्म न विद्यते
शिवरात्रि विशेष : युग परिवर्तन के देवता महाकाल
चेतना की शिखर यात्रा-७० : पुण्य ऊर्जा के संस्कार
कुछ आप कहें कुछ हम
कमसु कौशलम् की योजना का शुभारम्भ (विवि-३७
शताब्दी वर्ष की उलटी गिनती आरम्भ
युगनिर्माणी होली कविता
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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