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Akhand Jyoti
Year 1998
Version 1
अपनों से अपनी...
अपनों से अपनी बात-अब युग-परिवर्तन की घड़ी अति निकट आ पहुँची
January 1998
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Page Titles
सत्कार्य के प्रति समपर्ण
नववर्ष का उल्लास अभिव्यक्ति विविध रूपों में
अमृतपर्व कुम्भ और उसकी गौरव गरिमा
अड़सठ तीरथ हैं घट भीतर-३ (समापन किश्त)
अयमात्मा ब्रह्म का नाद
मुर्दे यदि रॉबॉट की तरह चलने लगें तो
हिमालय से अवतरित एक प्रज्ञापुरुष
युगनायक की भविष्यदृष्टि
सौर-रश्मियों के क्रान्तिकारी उत्कर्ष से भरा मंगल पर्व-मकर संक्रान्ति
बर्बर मानसिकता, जो व्यक्तियों को नर-पिशाच बना देती है
एक निस्पृह जाँबाज दम्पति की जीवनगाथा
पृथ्वी से जोड़ें माँ जैसी सघन संवेदना
प्रतिभा-पुरुषार्थ के बल पर अर्जित् की जाती है
एक द्वीप में नूतन सृष्टि का सृजन
सार्वभौम शक्तिशाली भारत के स्वप्नद्रष्टा-नेताजी
सूक्ष्म में समायी असीम शक्ति-सामर्थ्य
महिलाओं के लिए कुछ विशिष्ट गायत्री साधनाएँ
शुभ मनोभावों के सत्परिणाम
मनुष्य को भाव-संवेदना का प्रशिक्षण देते ये जीव
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
अपनों से अपनी बात-अब युग-परिवर्तन की घड़ी अति निकट आ पहुँची
कन्हाई की याद (कविता) -मंगल विजय
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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