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Akhand Jyoti
Year 1997
Version 1
बड़ी चिर-पुरातन है...
बड़ी चिर-पुरातन है आयुवेर्द की परम्परा
September 1997
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क्रान्ति का महापर्व
महाक्रान्ति श्रद्धावानों के बलबूते ही सम्पन्न होगी
श्रद्धा और समपर्ण की नींव पर टिका यह युग निमार्ण मिशन
नवयुग का स्वागत आयोजन- समयदान एवं अंशदान का नियोजन
बड़ी चिर-पुरातन है आयुवेर्द की परम्परा
आयुर्वेद् को पुनजीर्वित किया है शान्तिकुञ्ज युगतीर्थ ने
पर्यावरण् की रक्षा होगी, तो ही मानव बचेगा
प्रदूषण का युग एवं पर्यावरण् संवर्द्धन् की अनिवार्यता
पर्यावरण् संतुलन एवं शान्तिकुञ्ज की भूमिका
सत्कर्मो का मूल आधार मात्र आस्तिकता
साधनाः समग्र व्यक्तित्व की उपचार प्रक्रिया
सद्चिन्तन एवं सत्कर्म के मूल आधारः गायत्री और यज्ञ
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते
विद्या विस्तार का राष्ष्ट्रीय महत्त्वः शान्तिकुञ्ज के प्रयास
भारतीय संस्कृति के गौरव-गरिमा अब दिग्दिगन्त तक फैलेगी
लोकरंजन ही नहीं, साथ में लोकमंगल भी
नारी जागरण से ही सांस्कृतिक जागरण सम्भव
दुष्प्रवृत्तियों के चक्रव्यूह में फँसे देश के अभिमन्यु
युवाशक्ति को राष्ट्रशक्ति बनाने का महा अभियान
देव-संस्कृति पुनः विश्व-संस्सकृति बनेगी
युगचेतना का प्रकाश विश्व में इस तरह फैल रहा है
मातृ स्मृति (कविता) -मंगल विजय
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- जीवन को धन्य बनाने का महानतम अवसर
अपनों से अपनी बात- अपने संकल्पो को महाक्रान्ति की वेला में इस तरह पकाएँ
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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