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Akhand Jyoti
Year 1997
Version 1
सद्गुरु के स्वर
सद्गुरु के स्वर
November 1997
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Page Titles
सद्गुरु के स्वर
स्वप्न से आत्मबोध
अड़सठ तीरथ हैं घट भीतर......
चिरयौवन लाने को आतुर हैं ययाति की संतानें
जीवनविद्या का उच्चतम सोपान-ध्यान
ज्ञान को रटो मत, आचरण में उतारो
कृत्रिम सृष्टि की दिशा में प्रयोगरत विज्ञान क्या सफल हो सकेगा?
वीरमती का आत्मोत्सर्ग
आस्थासंकट का निवारण इस तरह होगा
अक्षय आनन्द अध्यात्म की सवोर्परि उपलब्धि
ब्रह्मविद्या का रहस्य निहित है- ब्रह्मचर्य में
भूलोक की कामधेनु है -गायत्री
मंत्रसिद्धि का मर्म
सपनों के झरोखे से मृत्यु के दशर्न
शाश्वत- सनातन मात्र विवेक ही है
सिद्धिदात्री सामर्थ्य है सविता देता की साधना में
बलिदान ने जगायी संवेदना
यजन प्रक्रिया को सवार्गपूर्ण बनाते हैं - मंत्र
एक उपचार योग्य मनोविकार - प्रेतबाधा
विशेष लेखमाला-१, योगीराज श्रीकृष्ण की समग्र क्रान्ति अब इस रूप में
विशेष लेखमाला-२, ग्रामोत्थान प्रशस्त करेगा राष्ट्रोत्थान की प्रक्रिया को
विशेष लेखमाला-३, निष्कलंक सम्पूर्ण क्रान्ति का बिगुल बज उठा है
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी (गतांक से आगे)
दीघर्सूत्री मत बनो
अपनों से अपनी बात-महाकाल ही मंगलचरण थिरकन को तीव्र से तीव्रतर बना रहा है, परिवतर्न की वेला आ पहुँची, विभूतिवान अपने दायित्व सँभालें
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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