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Akhand Jyoti
Year 1995
Version 1
सच्चे और आत्मीय...
सच्चे और आत्मीय मित्रः श्रेष्ठतम सम्पत्ति
June 1995
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Page Titles
नर से नारायण बनने का परम पुरुषार्थ
जीवन यात्रा कैसे सुव्यवस्थित बने?
अब यह समन्वय अपरिहार्य है
परिष्कृत 'प्राण' के चमत्कारी सत्परिणाम
अमृत पुत्र
गुण सूत्रों में परिष्कार से संस्कार सम्वर्द्धन तक
श्रेष्ठता की संसिद्धि
आत्म साक्षात्कार कराने वाला अद्भुत अध्यात्म उपचार
गायत्री महाशक्ति रूपी ब्रह्मास्त्र
सच्चे और आत्मीय मित्रः श्रेष्ठतम सम्पत्ति
आत्मबल ही सर्वोपरि
शक्ति साधना ही हम सबका लक्ष्य हो
सम्भावामि युगे-युगे
ओजस् के सम्वर्द्धन का राजमार्ग
वाणी का तप है मौन
अवरोध-विरोध व्यक्ति और प्रखर बनाते हैं
वार्धक्य को सुखमय बनायें
परम पूज्य गुरुदेव की पाँच स्थापनाएँ- प्रथम शक्ति केन्द्र आँवलखेड़ा
क्या गुडाकेश बनना चाहेंगे?
आदिकालीन ऋषि परम्परा व उसकी पुनरावृत्ति
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- पाँच प्राण-पंचकोश-पाँच देवता
विशेष संदर्भ गायत्री जयंतीः महाप्रयाण दिवस, हिमालय जैसी विराट् सत्ता के चरणों में श्रद्धा सुमन
अपनों से अपनी बात- पुनर्गठन की इस वेला में आइए, हम सभी आत्मचिंतन करें
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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