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Akhand Jyoti
Year 1995
Version 1
परम पूज्य गुरुदेव...
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- नवरात्रि सत्र की विदाई (२९ अक्टूबर १९७७)
April 1995
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Page Titles
गहना कर्मणो गतिः
गड़रिये से राजा
क्या ईश्वर सचमुच मर गया?
आखिर नींद आती क्यों नहीं?
शत हस्तं समाहर, सहस्रहस्तं संकरि
जीवन खिलाड़ी की तहर जिए, वही है सच्चा कलाकार
अध्यात्म महासागर है-विज्ञान की विभिन्न धाराओं का
जीवन पद्धति बदले, सामूहिकता पनपे
प्रकाश पथ का पथिक
आदर्शवादी आस्थाएँ पुनर्जीवित की जायँ
हमारा सच्चा सहचर ईश्वर
गायत्री साधनाः कुछ स्पष्टीकरण
परिवर्तन, सतत परिवर्तन ही सत्य है
वर्जनाओं का उल्लंघन पतन का कारण
कामुक चिन्तन-आत्म हनन
अपने समय की महाक्रान्ति
एक मृतात्मा की भविष्यवाणी
अ- हम सतत चलते रहेंगे, ब- प्रज्ञावरण
एक ही साधे सब सधे
हम कभी भी पूर्णतया आत्म निर्भर नहीं
प्रेय बने श्रेय
आवरण हटे तो सत्य का दर्शन हो
परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- नवरात्रि सत्र की विदाई (२९ अक्टूबर १९७७)
जिसने जीता मन, उसने जीता संसार
अपनों से अपनी बात- सामूहिक पुरुषार्थ द्वसारा ही अदृश्य का परिशोधन युग शक्ति का अतवरण सम्भव
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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