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Akhand Jyoti
Year 1989
Version 1
सत्य हमारे आचरण...
सत्य हमारे आचरण में उतरे
January 1989
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Page Titles
नियन्ता का दिव्य उपहार-आत्म विश्वास
सफलताएँ टिकी हैं-प्रचण्ड मनोबल पर
हृदयगुहा में होते हैं-परमात्मा के दशर्न
आभामण्डल की प्रभाव-क्षमता अब संदेह से परे
क्या ईश्वरीय सत्ता सवर्व्यापी नहीं है?
यह जीवन प्रभुमय बन जाय
संकल्पशक्ति कुंजी है— प्रगति-पुरुषार्थ की
कैसे आयेगा सतयुग?
विचित्र— विलक्षण यह सृष्टि
जिन खोजा तिन पाइयाँ
इच्छा शक्ति के सुनियोजन से असम्भव भी सम्भव
परस्पर जुडे़ हुए हैं, अन्तःकरण एवं पयार्वरण
कौन है इस अनुशासित सृष्टि का नियन्ता?
जीवन साधना के कुछ सुनिश्चित सूत्र
सहयोग-सहकार पर निभर्र जीवन व्यापार
वनौषधियों की सूक्ष्मीकृत उपचार प्रक्रिया
विभूति का दुरुपयोग न हो
प्रतिभा का निखरः व्यवस्था बुद्धि का विकास
गीता का दिव्य सदेश
सूक्ष्म जगत्, प्रकृति और पुरुष के रूप में
इक्कीसवीं सदी की समझदारी को चुनौती
रंगों में छिपे हैं बडे-बडे गुण
सरल आसनों द्वारा अंगों को सक्रिय कैसे बनाएँ?
प्राणशक्ति के संवर्द्धन हेतु प्रयोग-उपचार!
ध्यान-साधना का वैज्ञानिक आधार
अभक्ष्य भोजन के दुष्परिणाम
जड़ें गहरी और मजबूत हों
एक ही सत्य एक ही लक्ष्य
व्यक्तित्व के विकास हेतु संस्कार आयोजन
बदलेगा निश्चित समाज— यह संकल्प पुनः दुहराते हैं
पगडण्डियों में न भटकें
भविष्य का अनुमान संभव भी, अनिवार्य भी
रहस्यमयी अन्तःस्फुरणा
इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य
समझ से परे अनसुलझी गुत्थियाँ
विराट् सत्ता की दशर्न झाँकी
लय, ताल से बँधी जीवन की यह यात्रा
सत्य हमारे आचरण में उतरे
मानवी परुषार्थ को चुनौती देता प्रकृति का लीला-जगत
अपूणर्ता से अपूणर्ता की ओर
समष्टिगत हलचलें एवं मानवी पराक्रम
चेतना के महासागर में तैरती मानवी काया
बहिरंग नहीं, अंतरंग प्रधान
है स्वर्ग यही, अपवर्ग यही
जिस मरने से जग डरे, मेरे मन आनन्द
अध्यात्म का ककहरा है-अनुशासन
अमृत रसास्वादन हेतु एक उच्चस्तरीय योगाभ्यास
रंगों में निहित रोग निवारक-शक्ति
कण-कण में बसी है-चेतना
चैतन्यता की गंगोत्री-गायत्री
आधुनिकता के अभिशाप-तनावजन्य विकार
जीवन एक सतत् अविराम प्रवाह
भक्ति-भावना इस प्रकार चरितार्थ करें
श्रेष्ठतम सेवा-पतन निवारण
अन्ततः सत्य ही जीतता है
नई डगर, नया सफर, नौनिहाल अग्रसर! अग्रसर!!
अपनों से अपनी बात- सत्रो में सम्मिलित होने का सुयोग चूकें नहीं
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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