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Akhand Jyoti
Year 1987
Version 1
चल तू अगले...
चल तू अगले पड़ाव की तैयारी कर
September 1987
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Page Titles
सच्चा मानवोचित पुरुषाथर्
चल तू अगले पड़ाव की तैयारी कर
आत्मिकी का अवलम्बन एवं उसके प्रतिक
चेतना के तीन चरण
साकार उपासना द्वारा प्रतीक पूजा
दमन अपने आपे का
आत्म पटल पर अंकित हो,परम तत्त्व तेरी ही झाँकी
आस्तिकता विवेकवानों का ही फलती है
ज्ञानेन्दि्रयों को विकसित परिष्कृत किया जाय
आसक्ति से मुक्ति
विचार ही हमें उठाते और ले डूबते हैं
समझदारी का आयु से कोई सम्बन्ध नहीं
तीन शरीर और उनका कायर्क्षेत्र
सविता साधना से अन्तःशक्ति का अभिवद्धर्न
इच्छा शक्ति के चमत्कार
खेचरी संवेदनाओं की निझर्रिणी
चले विज्ञान अब अध्यात्म का कर थाम कर जग में
सिरजनहार का जगती को अनुपम उपहार
कायाबिन्दु में समया सिन्धु
जैव चुम्बकत्व की चमत्कारी शक्ति
घटनाएँ जिनका रहस्य न जाना जा सका
गायत्री गंगा की अनेकानेक धाराएँ
शब्द शक्ति के भले बुरे प्रभाव
मृत्यु के मुख से वापसी
अविज्ञात का चमत्कार या महज एक संयोग
उपवास से अनेक विकृतियों का समाधान
धमर्तंत्र की क्षमता प्रगति प्रयासों में लगे
आन्तरिक और आत्मिक प्रेम
छोटे-छोटे काम बहुत बड़े सत्परिणाम पंचसूत्री कायर्क्रमों पर प्रज्ञा पुत्रो के गतिशील चरण
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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