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Akhand Jyoti
Year 1987
Version 1
समथर्ता का सदुपयोग्
समथर्ता का सदुपयोग्
April 1987
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Page Titles
समथर्ता का सदुपयोग्
आदर्शो की कथनी ही नहीं, करनी भी
ध्यान-धारणा का प्रभाव-परिणाम
तत्त्वज्ञान की परम पवित्रता
देवता बहकायें नहीं जा सकते
महाप्रज्ञा का दशर्न एवं आराधन
पंचप्राणों की पाँच आहुतियाँ
भव बन्धनों की जकड़न और पीड़ा
जीवन में सरसता भर देने वाले चार आधार
प्रामाणिकता की समर्थ क्षमता
काम का वास्तविक स्वरूप क्रीड़ा कल्लोल
ऊध्वर्गमन की वज्रोली मुद्रा
देवताओं का स्वर्ग धरती पर भी
मनुष्य की विद्युत शक्ति का उभार एवं सुनियोजन
निन्दक नियरे राखिये
मन में निहित विलक्षण अतींद्रिय सामर्थ्य
सब्ज बाग न देखें यथाथर्ता से जुड़ें
यह खतरनाक खेल मानवी विशिष्टताओं को नष्ट कर देगा
मस्तिष्क के अविज्ञात का चमत्कार
मनुष्य की पहचान का अदृश्य विज्ञान
कामार्त्ता हि प्रकृति कृपणाश्चेतनाचेतनेषु
क्या भूत प्रेतों का अस्तित्व है
जागरूकता गवाँ न बैठें
सद्भावना संवद्धर्न की पुण्य प्रक्रिया-अग्निहोत्र
आहार की आध्यात्मिक स्वच्छता
अँधेरे भविष्य का एक ठोस कारण
चेतना और ऊर्जा का भाण्डागार-सविता देवता
सूयोर्पासना कब और कैसे
महाप्रज्ञा के आठ दिव्य अनुदान
अपनों से अपनी बात-कुण्डलिनी केन्द्र की साझीदारी
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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