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Akhand Jyoti
Year 1984
Version 1
आत्मा किसी लिंग...
आत्मा किसी लिंग विशेष में रहने के लिए बाधित नहीं
September 1984
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जो गलेगा वही उगेगा
मन का निरोध निग्रह
केषां न स्यादभिमतफला प्राथर्ना ह्युत्तमेषु
उत्थान और पतन में विचार शक्ति की भूमिका
तस्मे ज्येष्ठाय ब्रह्मणे नमः
भगवान् जो इन्सान बन गये
हम सब स्वरचित भाव लोक में रहते हैं
ध्यान योग की सवोर्त्तम साधना
आभा मण्डल रूपी विद्युत सम्पदा का सुनियोजन सदुपयोग
सूफी सन्त सरगद
वास्तविक प्रगति और बलिष्ठता की कसौटी
हस्तरेखा और शरीर विज्ञान
दृश्य आयामों से परे जीवन जीकर तो देखें
अनुशासित जीवन ही श्रेयस्कर है
मोह के दल-दल से निकलें
आनन्द खोजने अन्यत्र कहाँ जायें
जीवन सत्त की आधारभूत सात प्रवृत्तियाँ-२
मन का बुढ़ापा न आने दें
ईसा के भारत में तीस वर्ष
चमत्कारी सामर्थ्यो की पिटारी-अपने ही मस्तिष्क में
आत्मा किसी लिंग विशेष में रहने के लिए बाधित नहीं
लोकान्तरों के अन्तरिक्ष-यान भू-लोक में
अनोखी सूझ-बूझों पर स्रोत
ज्योति विर्ज्ञान अन्तरिक्ष भौतिकी से समन्वित हो
परिस्थितियों पर जीवन विजय पाता रहा है
उठती उमंगों का उपयोग कहाँ करें
बुद्धिमत्ता सवोर्परि सम्पदा
प्राण ही परमेश्वर है
शब्द ब्रह्म की सिद्धि-१
अंतसर्त्ता का प्रचण्ड सूक्ष्मीकरण पुरूषार्थ
वचर्स की सिद्धि एंव युग समस्याओं का समाधान
युग परिवर्त्तन नियन्ता का सुनिश्चित आश्वासन
महाप्राण से मिलन
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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