Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1983
Version 1
नीति शास्त्रियों की...
नीति शास्त्रियों की दृष्टि में विकसित व्यक्तित्व
July 1983
Read Text Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
समर्थ होते हुए भी असमर्थ क्यों ?
अपरिग्रह का वास्तविक अर्थ
आत्म सत्ता आत्मिकी की सर्वांगपूर्ण प्रयोगशाला
कमल के समान निर्लिप्त स्थिति
शक्तियों को बिखेरें नहीं एकत्रित करें
बस तेरी रजा रहे, तू ही तू रहे”
“पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते”
नीति शास्त्रियों की दृष्टि में विकसित व्यक्तित्व
मानसिक परिष्कार और सुखी समुन्नत जीवन
जब मन्यु जाग उठा
मनुष्य और भूलोक को देवताओं के अनुदान
परिवर्तन चक्र में घूमता हुआ अपना ब्रह्माण्ड
यहाँ ध्रुव कुछ नहीं सभी परिवर्तन शील है।
पुनर्जन्म की कुछ और साक्षियाँ
पदार्थों से जुड़े हुए अभिशाप
सर्वोपरि यज्ञ-पीड़ा निवारण
मरण से भयभीत न हों
गंध शक्ति का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान
विशिष्ट प्रयोजनों के लिए विशेष यज्ञ
समग्र चिकित्सा अध्यात्म के समन्वय से ही सम्भव होगी
गायत्री उपासना सम्बन्धी शंकाएँ एवं उनका समाधान
अपनों से अपनी बात - वर्षा ऋतु के तीन विशेष सत्र
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More