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Akhand Jyoti
Year 1980
Version 1
नियति के परिवर्तन...
नियति के परिवर्तन में अध्यात्म शक्ति का उपयोग
January 1980
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Page Titles
प्रगति और विपत्ति में सभी सहभागी
ज्ञान प्राप्ति का मार्ग
तो क्या यह संसार झूठ है
सुन्दर अनुपम सुन्दर यह सृष्टि
अपना स्वंय ही बनायें
दिव्यशक्तियों की उपलब्धि
उपलब्धियों से अधिक महत्वपूर्ण उनका सदुपयोग
मृत्यु जीव का अन्त या नये जीवन की तैयारी
बाह्य जगत, अन्तर्जगत का प्रतिबिम्ब
भावनाओं से घुला हुआ विष और अमृत
सेवा साधना में जीवन की सार्थकता
सहयोग सदभाव भरी उदार दिव्य आत्माएँ
सत्प्रयतन संयुक्त रूप से किये जाँय
यह संसार केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं है
संस्कृति के तीन आधार काय, वाक् एवं चित्त संस्कार
शरीर से पहले मन का उपचार करें
समूचे व्यक्तित्त्व को ही सम्मोहक बनाएँ
हरिद्वार कुम्भ पर्व पर प्रगतिशील जातीय सम्मेलनों की धूम
सन् ८१ के सौरविस्फोट और उनका धरती पर प्रभाव
निकट भविष्य की अशुभ सम्भावनाएँ
नियति के परिवर्तन में अध्यात्म शक्ति का उपयोग
आज में जो जिया सो जिया (कविता) -लाखन सिंह भदौरिया
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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