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Akhand Jyoti
Year 1975
Version 1
सिगरेट जिसने मार्क...
सिगरेट जिसने मार्क बाटर्स् को केंसर के द्वार पहुँचाया
November 1975
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प्रकाश भरा आनन्द हमारी ही मुट्ठी में है
आस्तिकता मानवी प्रगति के लिए नितान्त आवश्यक
प्रायश्चित द्वारा पुनर्जीवल
विलक्षण क्षमताओं से हमारे कलर्पुजे
अपने ब्रह्माण्ड का जन्म और मरण
मानवी प्रगति का एकमात्र आधार भाव भरा सहयोग
आनन्द प्राप्ति की दिशा और चेष्टा
विक्षुब्ध आत्मा और उसके उपद्रव
सुख और दुःख हमारी कल्पनाओं पर निर्भर है
नेत्रों की सुरक्षा इस प्रकार की जाय
शांति और प्रगति तरलता-सरलता पर निर्भर है
कल्पना नहीं तत्परता सफल होती है
आत्महीनता एक महाव्याधि
विज्ञान और आध्यात्म साथ-साथ ही बढ़ेंगे
बीमारियों को हम निमंत्रण देकर बुलाते हें
आत्महत्या मानसिक विकृति की दुःखद प्रतिक्रिया
टहलना एक अति उपयोगी अति सरल व्यायाम
बढ़ती हुई हिंसा वृत्ति उसका कारण और निवारण
परिवार संस्था का नव निर्माण- नारी जागरण से ही होगा
वधू को गृह लक्ष्मी बनाया जाय
सिगरेट जिसने मार्क बाटर्स् को केंसर के द्वार पहुँचाया
समय का पालन एक महत्त्वपूर्ण आदत
अपनों से अपनी बात
मानव नही देवता हे जो
दुख और सुख सहोदर सहचर
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
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नः
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चो
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