Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1973
Version 1
गलोगे तो ही...
गलोगे तो ही उगोगे
December 1973
Read Text Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
गलोगे तो ही उगोगे
बलिदान से दुभक्ष निवारण
समष्टिगत उत्कृष्टता ही धर्म का प्राण है
अध्यात्म का आधा और परिणाम
मरने के बाद भी आत्मा का अस्तित्व बना रहता है
अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की अद्भुत और अतिमानवी क्षमता-२
स्वर्ग और मुक्ति का लाभ समस्त मानव समाज को मिले
बुद्धि पर धर्म का अंकुश रखा जाय
मस्तिष्क की अद्भुत क्षमताएँ, जिन्हें हानें और बढ़ायें
गाले वाली बालू एक रहस्य
विषाणुओं को मारने की ही बात न सोची जाय
हत्यारे की आत्म-प्रताड़ना
प्रसन्न रहना एक अच्छी आदत
कृतज्ञता और प्रतिदान से रहित होकर न जियें
अगली शताब्दी का भविष्य कथन
अदृश्य शक्तियों का द्रष्टा जगत् पर प्रभाव
विज्ञान की तरह दर्शन में भी उत्क्रान्ति होगी
धरती की हत्या करके बचेंगे हम भी नहीं
अचेतन को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता
शब्द ब्रह्म की नाद-साधना
गरीबी उदार दान वीरता में बाधक नहीं
असन्तुलन का तूफानी निराकरण
आग्नेय-उद्वेग का समाधान वरुण संस्कृति से
प्रकृति प्रवाह के साथ तालमेल बिठाना भी साधना का एक उद्देश्य
आत्म बोध और आत्मदेव की उपासना
उपवास स्वास्थ्य रक्षा का महत्त्वपूर्ण आधार
शीतल आचरण से ही समस्वरता सम्भव है
अपनों से अपनी बात: समाज-निर्माण अपने र्कत्तव्य का तीसरा चरण
आज पुलकित प्राण मेरे
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More