Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1966
Version 1
भाग्यवाद को तिलांजलि...
भाग्यवाद को तिलांजलि देना ही श्रेयस्कर
November 1966
Read Text Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
गौरक्षा के लिए एक महान् पुरश्चरण
हम वास्तविक बुद्धिमत्ता अपनायें
परमात्मा का अस्तित्व और अनुग्रह
आत्म-सत्ता और उसकी महान् महत्ता
मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार का परिष्कार
ममता हटाने पर ही चित्त शुद्ध होगा ।
वासना-त्याग के बिना चैन कहाँ
धनवान नहीं चरित्रवान होने की बात सोचिए
सद्ज्ञान का संचय एवं प्रसार आवश्यक है
आलस एक प्रकार की आत्म-हत्या ही है
भाग्यवाद को तिलांजलि देना ही श्रेयस्कर
मनुष्यता को निर्दयता से कलंकित न करें
गौ-रक्षा मनुष्य मात्र का धर्म र्कत्तव्य
परिवार किसी उद्देश्य के लिए बसाया जाय
समाज सुधार के लिए प्रबुद्ध वर्ग आगे बढ़ें
गायत्री की उच्चस्तरीय साधना- आत्म कल्याण की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरि उपासना
अपनों से अपनी बात- हम घट नहीं रहे, बढ़े ही हैं
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More