अध्यात्म साधना को ज्ञान और विज्ञान इन दो पक्षों में विभाजित कर सकता है। ज्ञान पक्ष वह है जो पशु और मनुष्य के बीच का अंतर प्रस्तुत करता है और प्रेरणा देता है कि इस सुरदुर्लभ अवसर का उपयोग उसी प्रयोजन के लिए किया जाना चाहिए, जिसके लिए वह मिला है। इसके लिए किस प्रकार सोचना और किस तरह की रीति-नीति अपनाना उचित है, इसे हृदयंगम कराना ज्ञानपक्ष का काम है। स्वाध्याय, सत्संग, कथा प्रवचन, पाठ, मनन, चिंतन, जैसी प्रक्रियाओं का सहारा इसी प्रयोजन के लिए किया जाना चाहिए। इसी पक्ष का दूसरा चरण यह है कि धर्म, सदाचार, संयम, कर्तव्यपालन के उच्च सिद्धांतों को अपनाकर आदर्शवादी जीवन जिया जाय।