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समाज की अभिनव...
समाज की अभिनव रचना
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समाज की अभिनव रचना
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Page Titles
विश्व-मानव की अखंड अंतरात्मा
समाज और व्यक्ति का उत्कर्ष
सहयोग की आवश्यकता
परस्पर स्नेह-संबंधों का निर्वाह
सहयोग भावना मानवता की प्रतीक है
स्वार्थ ही नहीं परमार्थ को भी साधें
सामाजिक प्रगति का एकमात्र आधार
मिल-जुलकर आगे बढ़िए
सबके हित में अपना हित
हम एकता की ओर बढे़
समाज सुधार की अनिवार्य आवश्यकता
हमारा समाज असभ्य एवं अविवेकी न हो
सभ्यता शिष्टाचार में ही सन्निहित है
नारी को अविकसित न रहने दिया जाए
अनंतवत्सला नारी और उसकी महत्ता
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
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नः
प्र
चो
द
या
त्
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