परकाया प्रवेश

परकाया प्रवेश कैसे हो सकता है? ''

परकाया प्रवेश '' शब्द हमारी रोज की बोल- चाल में कम प्रयोग होता है, इसलिए इसमें कुछ विचिन्नता और अजनवीपन- सा प्रतीत होता है ।। परंतु ध्यानपूर्वक देखने पर इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है ।। यह प्राणियों का स्वाभाविक धर्म है ।। थोड़ी- बहुत मात्रा में सभी प्राणी नित्य के जीवन में इसका प्रयोग करते हैं, जिनमें यह शक्ति अधिक होती है, वह उससे अधिक लाभ उठा लेते हैं ।। विशेष अभ्यास के साथ प्रचुर परिमाण में इस कला को सीख लेने के उपरांत ही बड़े- बड़े कठिन कार्यों में ऐसी सफलता प्राप्त की जा सकती है, जिसे अलौकिक और अद्भुत कहा जा सके ।।

 '' परकाया '' शब्द का अर्थ पराया शरीर है ।। पर- काया प्रवेश अर्थात दूसरे के शरीर में प्रवेश करना ।। यहाँ यह संदेह उत्पन्न होता है कि दूसरे के शरीर में भला किस प्रकार प्रवेश किया जा सकता है? शरीर चमड़े की झिल्ली से ढका हुआ है ।। मांस, मज्जा, अस्थि आदि से उसकी दीवारें इस प्रकार से बनी हुई हैं कि एक सुई भी कहीं होकर प्रवेश नहीं कर सकती ।। यदि एक छोटी- सी आलपिन चुभोई जाए तो सारी देह पीड़ा से बेचैन हो जाएगी और उस जगह से खून निकलने लगेगा ।। ऐसी दशा में भला पर- काया प्रवेश कैसे होगा? यदि मुँह, कान, नाक, मल, मूत्र छिद्रों में से प्रवेश करने की बात हो, तब भी समझ में नहीं आती, क्योंकि यह छिद्र भी कुछ ही दूर तक स्पष्ट रूप से खुले हुए हैं ।।……..

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