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इक्कीसवीं सदी का...
इक्कीसवीं सदी का संविधान
मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी---
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इक्कीसवीं सदी का संविधान
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Page Titles
युग निर्माण मिशन का घोषणा-पत्र
हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर-----
शरीर को भगवान का मंदिर समझकर-----
मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से---
इंद्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम---
अपने आप को समाज का एक अभिन्न अंग---
मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे---
समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और---
चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी---
अनीति से प्राप्त सफलताकी अपेक्षा---
मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी---
दूसरों के साथ वह व्यवहार नहीं करेंगे---
नर-नारी परस्पर पवित्र दृष्टि रखेंगे---
संसार में संद्प्रवृत्तियों के पुण्य प्रसार---
परंपराओं की तुलना में विवेक को महत्त्व देंगे---
सज्जनों को संगठित करने, अनीति से लोहा लेने---
राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति---
मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है---
हम बदलेंगे युग बदलेगा, हम सुधरेंगे युग सुधरेगा---
अपना मूल्यांकन भी करते रहें
तो फिर हमें क्या करना चाहिए
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
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यो
यो
नः
प्र
चो
द
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