सर्वफल प्रदा उपास्य सर्वश्रेष्ठ गायत्री भारतीय धर्म के उपासना विज्ञान में गायत्री को सर्वोपरि माना गया है और सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। इसके कई कारण है, एक तो यह कि इस महामंत्र के अक्षरों में बीज रुप में मानवीय संस्कृति एवं आदर्श वादिता के सारे सिद्धान्त सन्निहित हैं। इसे विश्व का सबसे छोटा मात्र २४ अक्षरों का वह ग्रंथ कह सकते हैं, जिसमें धर्म और अध्यात्म का समूचा तत्व ज्ञान सार रूप में समाविष्ट मिल सकता है। इन अक्षरों की व्याख्या करते हुए जो कुछ मानवी प्रगती एवं सुव्यवस्था के लिए आवश्यक है, यही प्रज्ञा का, विवेकशीलता का मन्त्र है। कहना न होगा कि मनुष्य जीवन की समस्त समस्याएँ दुर्बुद्धि के कारण उत्पन्न होती हैं। संसार पर आये दिन छाये रहने वाले संकट के बादल अशुभ चिन्तन के खारे समुद्र में ही उठते हैं। विवेक सर्वोपरि है। सद्बुद्धि से बढ़कर इस संसार में और कुछ नहीं है। यह तथ्य प्रज्ञा की देवी गायत्री को सर्वोपरि ठहराने में सन्निहित है। गायत्री सद्बुद्धि ही है, इस महामंत्र में सद्बुद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। इसके २४ अक्षरों में २४ अमूल्य शिक्षा संदेश भरे हुए हैं, वे सद्बुद्धि के मूर्तिमान प्रतीक हैं, उन शिक्षाओं में वे सभी आधार मौजूद हैं जिन्हें हृदयंगम करने वाले का सम्पूर्ण दृष्टिकोंण शुद्ध हो जाता है और उस भ्रम जन्य अविधा का नाश हो जाता है, जो आये दिन कोई न कोई कष्ट उत्पन्न करती है।