मथुरा-वृन्दावन रोड पर यह भव्य आश्रम अपने ढंग का अनोखा है। यहां गायत्री माता का भव्य मन्दिर, 2400 तीर्थों का जलरज, 2400 करोड़ गायत्री मन्त्रों का लेखन—तीनों ही कक्ष एक साथ जुड़े हैं। अखण्ड अग्नि पर नित्य प्रातःकाल यज्ञ होता है और जप कार्यक्रम अनवरत चलता है।
गुरुदेव का लिखित सभी साहित्य अनेक भाषाओं में यहां से प्रकाशित होता है। विशालकाय मशीनों वाला यहां अपना प्रेस है।
देशभर में विनिर्मित 2400 गायत्री शक्तिपीठों तथा 72 हजार प्रज्ञा संस्थानों का सूत्र संचालन यहां से होता है। नव सृजन की बहुमुखी योजनाओं को किस प्रकार कार्यान्वित किया जाय, इसका पत्र व्यवहार यहां से होता रहता है। आश्रम में ही गायत्री तपोभूमि पोस्ट आफिस तथा बैंक की शाखा है।
हजारों कार्यकर्ताओं के बालक स्वावलम्बी, सुसंस्कृत, समुन्नत एवं लोक सेवी जीवन जीने की शिक्षा प्राप्त करने के लिए यहां आते और एक वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करते हैं। प्रशिक्षण के प्रमुख अंग गृह-उद्योग की तरह कार्यान्वित हो सकने वाले प्रेस का समग्र संचालन, विद्युत यन्त्रों की मरम्मत, रेडियो निर्माण आदि का सांगोपांग शिक्षण किया जाता है। साथ ही समुन्नत जीवन के हर पक्ष का अभ्यास कराया जाता है। संगीत प्रवचन इसके लिये आवश्यक रखे गये हैं कि उस आधार पर युग चेतना का अपने क्षेत्रों में प्रसार करने के लिए भी वे समर्थ हो सकें। सभी छात्रों की निवास व्यवस्था भी निःशुल्क है। मात्र भोजन का व्यय देना होता है।
हवन सामग्री निर्माण का भी एक सुनियोजित कक्ष है, जिसमें सही और ताजी औषधियां मंगाकर लागत मूल्य पर प्रामाणिक शाकल्य शाखाओं को तथा अग्निहोत्र प्रेमियों को उपलब्ध कराया जाता है।
ब्रजभूमि का दर्शन करने वाले गायत्री तपोभूमि का दर्शन किये बिना नहीं जाते और कहते सुने जाते हैं कि धार्मिक गतिविधियों के केन्द्र-देवालयों को ऐसा ही उद्देश्यपूर्ण होना चाहिये।
शाखाएं अक्सर अपने यहां के आयोजन के लिए प्रचार पत्रिका, पोस्टर, निमन्त्रण पत्र छपती रहती हैं। इसके अतिरिक्त सारी शाखाएं अपने यहां का वार्षिक विवरण स्मारिकाओं के रूप में छपती हैं। इस प्रकार की अच्छी छपाई उचित मूल्य पर कर देने की भी युग निर्माण प्रेस में व्यवस्था है।
यहां के अब तक के प्रकाशित साहित्य, पोस्टर, स्टीकर आदि का विवरण-सूचीपत्र, पत्र भेजकर मंगाया जा सकता है।
पत्र-व्यवहार का पता—
युग निर्माण कार्यालय
गायत्री तपोभूमि, मथुरा।