अनादि गुरुमंत्र—गायत्री

वेदोक्त और तंत्रोक्त मंत्रों का शब्दार्थ साधारण महत्व का होता है परन्तु उन मंत्रों में एक बड़े ही रहस्यमय प्रकार से ऐसी गुप्त शक्तियां सन्निहित होती हैं जो मनुष्य के लिये बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती हैं। मंत्रों के अक्षरों का अर्थ कुछ विशेष कठिन नहीं होता, छपी पुस्तकों के आधार पर मामूली पढ़ा लिखा आदमी उन अर्थों को जान सकता है पर मंत्र की गूढ़ शक्तियों का गुप्त ज्ञान एवं प्रयोग उन्हीं लोगों को विदित होता है जो उसे साधना द्वारा सिद्धि प्राप्त करते हैं।
‘गायत्री’ सर्वोपरि मंत्र है। उसके शब्दार्थ में तो केवल भगवान से यह प्रार्थना की गई है कि ‘‘हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर लगाइए’’ परन्तु इस महा मंत्र की गूढ़ शक्ति इतनी अद्भुत है कि उसका वैज्ञानिक प्रयोग करने से मनुष्य अपने में वह शक्तियां प्राप्त कर सकता है जो सुखी जीवन एवं आत्म कल्याण के लिए आवश्यक है।

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