आसन, प्राणायाम, बन्ध मुद्रा पंचकोश ध्यान

पूर्व निवेदन युगऋषि ने अपने चौथे हिमालय प्रवास से लौटकर युगतीर्थ शांतिकुञ्ज में प्राण प्रत्यावर्तन साधना के सत्र चलाये थे ।। अन्त: ऊर्जा जागरण साधना सत्रों की साधनाएँ प्राण प्रत्यावर्तन सत्रों की साधनाओं के आधार पर ही निश्चित की गई हैं ।। सत्र में भाग लेने वालों को स्वीकृति के साथ उन साधनाओं के विधि- विधान की मार्गदर्शिका भेज दी जाती है ।। वह मार्गदर्शिका ऐसे साधकों को लक्ष्य करके तैयार को गई है जो साधना में सहयोगी आसन- प्राणायाम आदि के बारे में समझते हैं ।। सत्रों की समीक्षा से यह पता चला कि बहुत से साधक उन आधारभूत साधनाओं के बारे में प्रामाणिक जानकारी नहीं रखते ।। इससे उन्हें साधनाओं का समुचित लाम उठाने में कठिनाई होती है ।। यह पुस्तिका ऐसे ही साधकों को लक्ष्य करके सहायक मार्गदर्शका के रूप में तैयार की गई है ।। वैसे रोग साधना के सभी साधकों के लिए यह पुस्तिका उपयोगी सिद्ध होगी ।। इसमें महर्षि पतजलिकृत अष्टांगयोग के संक्षिप्त विवरण के साथ सामान्य साधना में सहयोगी आसन, प्राणायाम, बन्ध, मुद्रा आदि के अतिरिक्त युगऋषि द्वारा निर्देशित पंचकोशीय ध्यान धारणा का भी संक्षिप्त विवेचन दे दिया गया है ।। साधना में कायागत पंचतत्वों के सन्तुलन के लिए प्रयुक्त को जाने

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