युग की पुकार अनसुनी न करें

इस युग की महानतम आवश्यकता है-व्यक्ति के वर्तमान स्तर में आमूलचूल परिवर्तन । जिस मनोदशा, आकांक्षा, आस्था और कार्य-पद्धति को लेकर हम चल रहे हैं, वह हर कसौटी पर खोटी सिद्ध हो रही है। प्रगति की आशा बहुत करते है, पर लगती है हाथ-अप्रगति ही । सुख प्राप्ति करने की योजनाएँ बनती हैं, पर परिणाम पल्ले बँधना ही दु:ख है । इस विपर्यय का कारण एक है-हमारी दिशा क्य उलटी हो जाना। कुछ ऐसे मति भ्रम के वातावरण में इन दिनों समाज को रहना पड़ रहा है, जिसमें वस्तुस्थिति सूझ नहीं पड़ती वरन् उचित को अनुचित और अनुचित को उचित अनुभव करने की विडंबना ने जनमानस को आच्छादित कर लिया है । "सादा जीवन-उच्च विचार" का कितना सरल, सौम्य और शुचिता भरा आदर्श है, जिसे विना किसी अड़चन के अपनाया जा सकता है ।

Write Your Comments Here:







Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118