विवाहों का वातावरण धर्मानुष्ठानों जैसा हो

विवाहों का वातावरण धर्मानुष्ठान जैसा हो विवाह मानव- जीवन का एक सर्वोत्कष्ट यज्ञ है ।। दो आत्मायें अपना स्वतन्त्र अस्तित्व खो कर परस्पर एक दूसरे में विलीन होती हैं और उस संगम से एक सम्मिलित शक्ति का अभिनव अविर्भाव होता है ।। गंगा और यमुना के मिलन स्थल को संगम कहते है ।। जिस स्थान पर यह पुण्य प्रयोजन पूर्ण हुआ है,वहाँ तीर्थराज प्रयाग अस्तित्व में आया ।। उस पावन भूमि का दर्शन करने मात्र से भक्त अपने को धन्य मानते है ।। दो नदियों का मिलन निश्चित ही महत्वपूर्ण है ।। मिलन की महिमा असामान्य है ।। दो के मिलने से तीसरी एक नई ही प्रबल शक्ति का अविर्भाव होता ।। निर्जीव पड़ी हुई दो ऋण एवं धन विद्युत धाराएँ जब परस्पर जुड़ती है तो प्रचण्ड विद्युत प्रवाह तत्काल अविर्भूत हो उठता है ।। रासायनिक पदार्थो के मिलने से कितने नये तत्व विनिर्मित होते है उसे कौन नहीं जानता ।। दिन और रात्रि के मिलन की संध्या कितनी पवित्र है इसके महात्म्य से हर धर्म प्रेमी भली-भाँति परिचित है ।। चतुर माली जानता है कि दो पीधों को कलम आपस में जोड़ देने से जो 'कलम- पौदा बनता है उसके फल- फूल कितने परिष्कृत होते है ।। यह तो जड़

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