आतुरता और अधीरता की बुराई मनुष्य को बुरी तरह परेशान करती है। प्रायः हमें हर बात में बहुत जल्दी रहती है, जिस कार्य में जितना समय एवं श्रम लगना आवश्यक है उतना नहीं लगाना चाहते, अभीष्ट आकांक्षा की सफलता तुर्त−फुर्त देखना चाहते हैं। बरगद का पेड़ उगने से लेकर फलने-फूलने की स्थिति में पहुंचने के लिए कुछ समय चाहता है, पर हथेली पर सरसों जमी देखने वाले बालकों को इसके लिए धैर्य कहां? यह आतुरता की बीमारी जन-समाज के मस्तिष्कों में बुरी तरह प्रवेश कर गई है और लोग अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ऐसा रास्ता ढूंढ़ना चाहते हैं जिससे आवश्यक प्रयत्न न करना पड़े और जादू की तरह उनकी मनोकामना तुरन्त पूरी हो जाय।